रायपुर : धान खरीदी में अव्यवस्था के चलते किसानों को हो रही परेशानी को
लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता
सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पूरे प्रदेश के धान संग्रहण केंद्रों में बफर लिमिट
से अधिक धान जाम हो चुका है, जिसके कारण धान खरीदी लगभग बंद होने
की स्थिति में है। बालोद जिले में स्थिति यह है कि 143 में
से 134 संग्रहण केंद्रों में बफर लिमिट से अधिक धन जाम हो चुका है, लगभग 94
प्रतिशत सोसाइटियों में बफर लिमिट से अधिक धान का स्टॉक जमा हो गया
है। बीजापुर जिले में अब तक के कुल खरीदी का 90 प्रतिशत धान
सोसाइटियों और संग्रहण केंद्रों में ही जाम है। परिवहन और मिलिंग के अभाव में
सोसायटीयां आगे की खरीदी से हाथ खड़ा कर रहे हैं। बारदाने की समस्या को लेकर गौरेला
पेंड्रा मरवाही जिले के किसान चक्का जाम करने बढ़े हैं और यह सरकार केवल झूठे वादे
करने में मस्त है।
प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की
सरकार के किसान विरोधी सोच और दुर्भावना के चलते पूरे प्रदेश में किसान आक्रोशित
हैं। 3100 रू.
प्रति क्विंटल की दर से एक मुफ्त पैसा किसी किसान को नहीं मिला, 21 क्विंटल प्रति एकड़ का दावा भी झूठा निकला अधिकतम खरीदी राज्य में 20
क्विंटल 40 किलो प्रति एकड़ के दर से ही हुआ है
कई जगह फर्जी अनावारी रिपोर्ट के आधार पर उसमें भी कटौती कर दी गई। हर ग्राम
पंचायत में नगद भुगतान के लिए काउंटर खोलने का मोदी का वादा भी जुमला निकला। सरकार
की उपेक्षा और अकर्मण्यता के चलते सोसाइटियों की माली हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही
है। फड में जाम धान के सुखत के चलते सोसाइटियों को भारी नुकसान होना तय है। इसी
तरह के सरकार के रवैया के चलते पिछले खरीफ सीजन में 26 लाख
क्विंटल धान खराब हुआ जिसके चलते सोसाइटियों को 1037 करोड़ का
नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई सरकार ने आज तक सोसाइटियों को नहीं
किया है।
प्रदेश
कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 14 नवंबर से धान की खरीदी शुरू हुई है,
आज तक डेढ़ महीने से अधिक समय में लगभग 90 लाख
मैट्रिक टन धान ही यह सरकार खरीद पाई जिसमें से अधिकांश धान परिवहन के भाव में
खरीदी केंद्रों में पड़े हैं। अवकाश के दिनों को छोड़कर इस महीने में लगभग 20
दिन की खरीदी ही शेष है, अब तक का औसत खरीदी
लगभग डेढ़ लाख मीट्रिक टन प्रतिदिन ही है, इस अनुपात में यदि
सरकार 20 दिन और खरीदी करती है तो लक्ष्य तक खरीदी संभव नहीं
है। किसान विरोधी भाजपा सरकार के दुर्भावना के चलते धान खरीदी जानबूझकर धीमी कर दी
गई है। किसानों को बारदाने और टोकन के लिए बार-बार लौटाया जा रहा है, भाजपा सरकार की नियत किसानों का पूरा धान खरीदने का नहीं है, इसके पीछे केंद्र सरकार का भी षड्यंत्र है। जब तक केंद्र में यूपीए की
सरकार थी राज्य सरकारों के द्वारा एमएसपी पर उपार्जित अतिरिक्त धान और चावल को
प्रतिबंधित करने का कोई नियम नहीं था लेकिन भाजपा सरकार ने केंद्रीय पूल में लिमिट
लगाकर किसानों से धान खरीदी बाधित करना चाहती है। तौल में गड़बड़ी, बारदाने के वजन में गड़बड़ी, टोकन की प्रक्रिया में
गड़बड़ी, बारदाने की कमी, उठाव और मिलिंग
नहीं होना इन सब के पीछे सरकार की दुर्भावना है। इस सरकार में किसान, सहकारी सोसाइटी, ट्रांसपोर्टर, मिलर सभी पीड़ित और प्रभावित हैं। भाजपा सरकार की मंशा किसानों से पूरा धान
खरीदने की नहीं है।