January 09, 2025


पिछड़ा वर्ग आरक्षण के नाम भाजपा सरकार का धोखा : कांग्रेस

रायपुर : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने भारतीय जनता पार्टी किसान सरकार को ओबीसी विरोधी करार देते हुए कहा है कि इस सरकार के द्वारा स्थानीय निकाय (त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय) चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है उसके परिणाम सामने हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए जिला पंचायत, जनपद पंचायत, सरपंच और पांचों के आरक्षण में ओबीसी के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती इस सरकार ने की है। उदाहरण के तौर पर बिलासपुर जिले में त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में जिला पंचायत सदस्यों के 17 में से केवल एक क्षेत्र क्रमांक 1 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है, ओबीसी पुरुष के लिए 17 में से एक भी सीट आरक्षित नहीं है। इसी तरह बिलासपुर जिले के चार जनपद पंचायत में दो जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, एक अनारक्षित महिला और एक जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है। ओबीसी के लिए बिलासपुर जिले के अंतर्गत चार जनपद पंचायतों में से एक भी जनपद पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिये आरक्षित नहीं है। भाजपा के तमाम नेता होल्डिंग और विज्ञापन बोर्ड में ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का दावा कर रहे थे, आज आरक्षण प्रक्रिया के परीणाम सामने आने पर पिछड़ा वर्ग हितैषी होने का ढोंग करने वाले भाजपाई दलिय चाटुकारिता में मौन है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बदनियति के चलते अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए तरस जाएंगे। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में साय सरकार ने जो दुर्भावना पूर्वक संशोधन किया है वह ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है, अत्याचार है। बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में ओबीसी वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं जबकि यहां बड़ी आबादी ओबीसी वर्ग की है पूर्ववर्ती सरकार के समय न्यूनतम 25 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ओबीसी वर्ग को मिल रहा था लेकिन भाजपा सरकार ने दुर्भावना पूर्वक संशोधन करके पिछड़ा वर्ग के प्रतिभागियों के अधिकार को कुचल दिया है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा की सरकार जब से आई है तब से पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को छीनने का काम कर रही है। सरकार की दुर्भावना के चलते छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी जो पिछड़ा वर्ग से आती है, उस वर्ग के लोग महापौर, पार्षद, जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष, जनपद पंचायत सदस्य, अध्यक्ष और ग्राम पंचायतों में सरपंच और पंच के रूप में जनप्रतिनिधि बनने के लिए तरस जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी मुलतः आरक्षण विरोधी पार्टी है। जब ये छत्तीसगढ़ में विपक्ष में थे तब ओबीसी को 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक को राजभवन में रोकने का काम किये, 2 दिसंबर 2022 से आज तक यह विधेयक राजभवन में लंबित है। अब जब ये सत्ता में आए हैं, स्थानीय निकायों (त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय) में आरक्षण के प्रावधानों में दुर्भावना पूर्वक संशोधन करके ओबीसी के हक में कटौती करने का षड्यंत्र रचा है।


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