रायपुर| बैकुण्ठपुर
के भर्रा की रहने वाली मीनल का एक सपना था कि उनका खुद का एक घर हो, लेकिन ये सपना लंबे समय से सपना
ही बना हुआ था। मीनल के पास पैसे नहीं थे कि वो अपने लिए घर बनाए। मीनल ने गांव
में दूसरे की घरों की दीवारों को मजबूत करने के लिए अक्सर उनपर गोबर की पुताई करती
थी, लेकिन आज इसी गोबर को बेचकर
मीनल ने अपने लिए मजबूत घर बना लिया है। गोधन न्याय योजना की मदद से मीनल ने 140 क्विंटल गोबर बेचकर 28 हजार रूपए कमाए और गोबर से 500 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद
बनाकर बेचने से 5 लाख रूपए की आय अर्जित की। मीनल का ये कारवां अभी थमा नहीं
है और वो इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहती है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश
बघेल के द्वारा शुरू की गयी गोधन न्याय योजना की ये कहानी सिर्फ मीनल की ही नही है, छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना
के शुरू होने के बाद से ऐसे कई जीवंत उदाहरण सामने आए हैं जिसमें गोबर बेचकर लोगों
ने अपने सपनों को साकार किया है। किसी ने गोबर बेचकर मोबाइल खरीदा, किसी ने मोटरसायकिल, किसी ने गहने तो किसी ने अपने
बेटी की शादी की है।
मुख्यमंत्री के द्वारा इस योजना
के शुरू करने के पीछे का उद्देश्य पशुपालकों की आय में वृद्धि, पशुधन की खुली चराई में रोक
लगाकर फसलों की सुरक्षा, द्विफसली क्षेत्र का विस्तार करना, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा
देना, स्थानीय लोगों को रोजगार के
अवसर प्रदान करना, भूमि की उर्वरता में सुधार करना और सुपोषण को बढ़ावा देना
है।छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना पूरे देश में लोकप्रिय योजना का रूप ले
चुकी है जिसकी प्रशंसा भारत सरकार ने भी की है। इस योजना से ग्रामीण और शहरी
इलाकों में गौ पालकों को आमदनी का अतिरिक्त जरिया मिला है।
गोधन न्याय योजना देश दुनिया की
इकलौती ऐसी योजना है जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर की
खरीदी की जा रही है। गौठानों में 15 जून तक खरीदे गए गोबर के एवज
में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों को 147.06 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा
चुका है। गौठान समितियों एवं महिला स्व सहायता समूहों को अब तक 136.04
करोड़ रूपए की
राशि का
भुगतान किया जा चुका है। गौठानों
में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर
वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा
रहा है।गौठानों में महिला स्वसहायता समूहों अन्य आयमूलक गतिविधियों का भी संचालन
किया जा रहा है जिससे महिला समूहों को अब तक 72.19 करोड़ रूपए की आय हो चुकी है।
राज्य में अब तक गौठानों से 13,969 महिला स्वसहायता समूह सीधे जुड़
चुके हैं जिनकी सदस्य संख्या 82,874 है ।