रायपुर : एक अप्रैल से छत्तीसगढ़ की
जनता को नए आबकारी नीति का लाभ मिलना शुरू हो गया है. आबकारी विभाग ने नए वित्तीय
वर्ष में शराब की नई दरों को लागू कर दिया. इससे छत्तीसगढ़ में शराब की कीमतों में
4 प्रतिशत की कमी देखने मिली. राजनीति
में शराब और सियासत का रिश्ता पुराना है. नई आबकारी नीति के लागू होने से एक बार
फिर सियासी आग पूरे छत्तीसगढ़ में फैल रही है.
छत्तीसगढ़ में आज से शराब सस्ती शराब
हो गई है. शराब की कीमतों में 4% कमी की
गई है. नई शराब नीति के तहत नई रेट निर्धारित की गई है, जिससे
एक हजार रुपए की बोतल पर 40 से 50 रू
तक कमी आई है. वहीं बड़े ब्रांड की कीमतें भी कम हो गई है. प्रीमियम शराब की
कीमतों में 300रु तक रेट कम हुई है. राज्य में 67 देसी शराब दुकानें भी खुलने को तैयार है. आबकारी आए से 12 हजार करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखा गया है.
नई आबकारी नीति को मिली
मंजूरी
3 मार्च को हुए साय कैबिनेट
की बैठक में नई आबकारी नीति को मंजूरी दी गई. दरअसल सरकार ने विदेशी शराब पर लगने
वाला 9.5 प्रतिशत के आबकारी शुल्क को खत्म कर दिया. नई
आबकारी नीति लागू करने का कारण अवैध शराब को रोकना बताया..सरकार ने कैबिनेट बैठक
की जानकारी में यह बताया था कि दूसरे राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में शराब की
कीमतें ज्यादा है. जिस कारण से दूसरे राज्य में अवैध रूप से शराब की तस्करी होती
थी.. अवैध रूप से शराब तस्करी के कारण राजस्व का घाटा होता था. ऐसे में सरकार ने
शराब की कीमतों को कम करने का फैसला लिया.वहीं नई शराब नीति के लागू होने से 67
नई शराब दुकानें खोली जाएगी..कुल 674 शराब
दुकानें राज्य में संचालित होंगी.
दबाव बनाकर खोली जा रही
शराब दुकान – भूपेश
बघेल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने
सोशल मीडिया पर भाजपा सरकार पर तंज कसा. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि
पंचायतों में जबरिया दबाव बनाकर शराब दुकान डाली जा रही है.
घोटाला करने वाली
कांग्रेस अनर्गल बातें ना करे – अरुण
साव
शराब का सियासत से पुराना रिश्ता है.
2023 में हुए विधानसभा चुनाव में
शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बना था. भाजपा ने विपक्ष में रहकर शराब के मुद्दे पर
तात्कालिक कांग्रेस सरकार को घेरा था..ऐसे में नई आबकारी नीति पर पूर्व
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सोशल मीडिया पोस्ट सहित उनके बयान पर उपमुख्यमंत्री
अरुण साव ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने शराब को घर घर तक पहुंचाया. 2000
करोड़ रुपयों का घोटाला करने वाली कांग्रेस अनर्गल बातें ना करे.
छत्तीसगढ़ में शराब पर चर्चा से
ज्यादा बहस तेज रहती है. सियासी गलियारों में नई आबकारी नीति पर जमकर सवाल खड़े हो
रहे हैं. अब देखना होगा कि आखिर नई आबकारी नीति शराब की अवैध तस्करी को रोक पाने
में सफल होती है या नहीं.