जबलपुर
: मध्यप्रदेश के
जबलपुर में राज्य की सबसे बड़ी कांवड़ यात्रा सावन के दूसरे सोमवार को गौरी घाट में
मां नर्मदा की पूजन अर्चन के बाद निकाली गई। कांवड़ यात्रा गौरीघाट से प्रारंभ
होकर रामपुर, बंदरिया
तिराहा, गोरखपुर, शास्त्री ब्रिज,
मालवीय चौक, सराफा, बेलबाग,
घमापुर, कांचघर, सतपुला,
गोकलपुर, रांझी, खमरिया
होते हुए कैलाश धाम में भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के साथ समाप्त हुई।
राज्य की सबसे बड़ी कावड़ यात्रा
निकली
संस्कारधानी की सड़कों से श्रावण मास
के द्वितीय सोमवार को सुबह-सबेरे राज्य की सबसे बड़ी कावड़ यात्रा निकली। यह यात्रा
14 वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है।
सुबह से हजारों कावड़िया अपने-अपने कांधों पर कांवड़ उठाकर नर्मदा जल लेकर 35
किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए कैलाश धाम मटामर के लिए निकल
निकले। हर कवाड़िया नर्मदा जल के साथ-साथ एक पौधा भी रखे हुए था, जिसे कैलाश धाम की पहाड़ी में लगाया जाता है।
नर्मदा का जल और दूसरे पात्र में
पौधे लेकर संस्कारधानी की गलियों में निकले
यात्रा में कांवड़िए एक पात्र में
मां नर्मदा का जल और दूसरे पात्र में पौधे लेकर संस्कारधानी की गलियों में निकले।
भोलेनाथ के जय घोष के साथ कांवड़िए 35 किलोमीटर
की यात्रा तय किया। सावन के दूसरे सोमवार को इस कावड़ यात्रा के लिए पुलिस-प्रशासन
ने भी तैयारी पूरी कर ली है।
सुरक्षा के लिए 200
से अधिक पुलिसकर्मियों को किया तैनात
कावड़ यात्रा में सुरक्षा के लिए 200
से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही शहर में
संस्कार यात्रा के दौरान बड़े वाहनों के प्रवेश पर वर्जित रखा गया है। जबलपुर की
संस्कार कावड़ यात्रा का नाम गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज है।
कांवड़ियों के
स्वागत के लिए शहर में जगह-जगह मंच बनाए गए। यात्रा के समापन पर कैलाश धाम पहाड़ी
में लगभग 25000 पौधों
का रोपण किया। करीब 50 हजार से अधिक कवाड़िया गौरीघाट से
सुबह सात बजे यात्रा शुरू कर कैलाशधाम के लिए निकल चुके है।
बच्चे से लेकर बुजुर्ग और महिलाए तक
बड़ी संख्या में शामिल
खास बात यह है कि इस कावड़ यात्रा
में बच्चे से लेकर बुजुर्ग और महिलाए तक बड़ी संख्या में शामिल हुए। कावड़ याात्रा
दोपहर करीब दो बजे 35 किलोमीटर का पैदल
सफर कर कैलाश धाम मंदिर में पहुंचकर भगवान महादेव का नर्मदा जल से अभिषेक करेंगे।