रायपुर। छत्तीसगढ़ में बॉक्साइट और लेटराइट अयस्कों का जिलेवार डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (एसईसीओएसटी), रायपुर और जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम अनुसंधान, विकास और डिजाइन केंद्र (जेएनआरडीसी) के बीच एमओयू किया गया है।
११ मई २०२२ को हुए एमओयू में छत्तीसगढ़ के बॉक्साइट भंडार परियोजना भू-तकनीकी मूल्यांकन के लिए समझौता किया गया है। दोनों संस्थान भू-संदर्भित मानचित्रों का उपयोग करते हुए लेटराइट और बॉक्साइट जमा का जिलावार डिजिटल डेटाबेस तैयार करेंगे। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की मदद से छत्तीसगढ़ में स्थित बॉक्साइट और लेटराइट जमा का भू-तकनीकी मूल्यांकन करेंगे।
यह परियोजना अच्छे ग्रेड के कच्चे अयस्क (बॉक्साइट) की कमी का सामना कर रहे एल्यूमीनियम उद्योगों के लिए बहुत उपयोगी होगी।
बॉक्साइट और लेटराइट अयस्कों का कारोबार करने वाले उद्यमियों के अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य भारत में स्थित मौजूदा खदान मालिकों और बॉक्साइट उद्योगों को भी फायदा होगा।
राज्य के नए उद्यमियों रिमोट सेंसिंग और जीआईएस से प्राप्त डेटाबेस का उपयोग किसी भी मौजूदा खनिक, एल्यूमीनियम उद्योग में किया जा सकता है।
इस अवसर पर समुद्र तट वैज्ञानिक ई-१ एम.के. बेग, वैज्ञानिक सी (स्थापना) डॉ. वसीम रजा, और परियोजना वैज्ञानिक युद्धवीर सिंह और प्रधान वैज्ञानिक, जेएनएआरडीडीसी, खनिज मंत्रालय, भारत सरकार, नागपुर डॉ प्रवीण भुकटे, सचिव प्रशासन अधिकारी आर श्रीनिवासन, तकनीकी सलाहकार संजय वाडोडकर एवं वैज्ञानिक सहायक गोपाल उपस्थित थे।