दमोह : मध्य प्रदेश के सबसे नए वीरांगना रानी
दुर्गावती टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है। 2018 में बाहर से लाकर यहां बाघों को बसाया गया था। उसके बाद से यहां बाघों की
संख्या लगातार बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक अब यहां 20 से
अधिक बाघ रहते हैं। सटीक आकलन के लिए अगले टाइगर सेंसस का इंतजार रहेगा। सागर और दमोह जिले के रिजर्व एरिया में बाघों का मूवमेंट बढ़ रहा है।
प्रबंधन जिस इलाके में बाघों को बसाने की सोच रहा है, वह
इलाका खड़ी चट्टानों वाला वन क्षेत्र है जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। इस
लिहाज से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
2018 में राष्ट्रीय
बाघ संरक्षण योजना के तहत नौरादेही अभ्यारण्य (वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर
रिजर्व) में बाघों को बसाया गया था। तभी से यहां पर विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो
गई थी। अभी 50 गांव ऐसे हैं जिनमें बजट की कमी के कारण
विस्थापन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। टाइगर रिजर्व के 26 गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुके हैं और करीब 10 गांव
में विस्थापन की प्रक्रिया जारी है। रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व दमोह, सागर और नरसिंहपुर जिले में फैला हुआ है। दमोह, सागर
में बाघों का अधिक मूवमेंट है। जो गांव खाली हो चुके हैं, वहां
पर टाइगर रिजर्व प्रबंधन धीरे-धीरे बाघों को बसाने के लिए व्यवस्थाएं कर रहा है।
बाघ भी अपने सीमित दायरे से बाहर आकर विस्थापित गांव में अपनी टेरिटरी बना रहे
हैं।
रानी दुर्गावती टाइगर
रिजर्व के बारे में
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व का नौरादेही
अभ्यारण्य 1197 वर्ग किमी
क्षेत्रफल में फैला था। सितंबर 2023 में नौरादेही अभ्यारण्य
और दमोह के रानी वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व की अधिसूचना
जारी कर दी गई। इसके बाद पहले से चल रही विस्थापन की प्रक्रिया और तेज हो गई और
करीब 26 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। नौरादेही
अभ्यारण्य के समय से मौजूद बाघ नौरादेही और सिंगपुर रेंज में अपनी टेरिटरी बनाए
हुए थे, लेकिन जैसे-जैसे गांव विस्थापित होते गए, बाघों ने अपना दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया और अब ये बाघ राहगीरों को भी
मार्गों पर कभी-कभी दिखाई देते हैं।
दोनों मार्गों पर बाघों
का बसेरा
नौरादेही में पांच साल पहले एक
बाघ-बाघिन का जोड़ा छोड़ा गया था, लेकिन
अब उनकी संख्या में काफी बढ़ोतरी हो गई है। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर
स्थित नौरादेही वन्य प्राणी अभयारण्य के जंगलों में वर्तमान में बाघ परिवार में करीब
18 बाघ मौजूद हैं। जबकि एक बाघ किशन एन-2 की पिछले वर्ष टेरिटरी फाइट में मौत हो चुकी है और दो बाघों के गायब होने
की जानकारी भी सामने आई थी, जिसकी जांच चल रही है।
बांधवगढ़ और कान्हा से
लाए थे बाघ
बाघ विहीन हो चुके नौरादेही में बाघ
पुनर्स्थापन प्रोजेक्ट के तहत 2018 में कान्हा से टाइगर एन-1 और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
से टाइगर एन-2 किशन को लाया गया था। पहले साल में ही बाघिन
ने तीन शावकों को जन्म दिया था। उसके बाद लगातार बाघों की संख्या में बढ़ोतरी होती
रही है। यह बढ़ोतरी पिछले साल तक सागर मार्ग पर थी, लेकिन इस
वर्ष मार्च माह में महराजपूर मार्ग यानी डोगरगांव रेंज की सीमा में भी बाघ-बाघिन
का जोड़ा छोड़ा गया है। अनुमान है कि सागर मार्ग की तरह महाराजपूर मार्ग पर भी कुछ
ही वर्षों में दर्जनों की तादाद में बाघ का बसेरा होगा।
बाघ दिवस पर निकली रैली
नौरादेही अभ्यारण्य की रेंजों में
विश्व बाघ दिवस के अवसर पर जगह-जगह कार्यक्रम हुए। सर्रा में रेंजर द्वारा बाघ
दिवस पर ग्रामीणों के साथ स्कूली बच्चों की मौजदूगी में एक रैली निकाली गई जो गांव
के मुख्य मार्गों से होकर गुजरी। सर्रा रेंजर बलविंदर सिंह ने कहा कि वीरांगना
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) में 2018 में बाघ-बाघिन का एक जोड़ा छोड़ा गया था और आज उस एक जोड़े से बाघों की
संख्या बीस के लगभग हो गई है। उन्होंने बाघों के महत्व और पर्यावरण को संतुलित
रखने में उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी।