रायपुर :
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और गुजरात के राज्यपाल आचार्य
देवव्रत आज राजधानी रायपुर के डीडीयू ऑडिटोरियम में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती और आर्य समाज के 150वें स्थापना वर्ष के
शुभ अवसर पर आयोजित धर्मरक्षा महायज्ञ एवं वैदिक सनातन संस्कृति सम्मेलन में शामिल
हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस दौरान धर्मरक्षा यज्ञ में हवन-पूजन कर प्रदेश
कल्याण की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय और राज्यपाल आचार्य देवव्रत
ने छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा तैयार पुस्तिका "चुनौतियों
का चिंतन" का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सभा को
संबोधित करते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती का पुण्यस्मरण किया। उन्होंने कहा कि आर्य
समाज को मानव कल्याण का कार्य करते हुए आज 150 वर्ष पूरे हो गए हैं। आर्य समाज के द्वारा निरंतर देश सेवा, धर्म-संस्कृति की रक्षा तथा जनजागरण का कार्य किया जा रहा है। श्री साय ने
बताया कि वे महर्षि दयानंद के विचारों से प्रभावित होकर वर्ष 1999 से आर्य समाज से जुड़े हुए हैं और विभिन्न अवसरों पर समाज के मनीषियों का
मार्गदर्शन उन्हें प्राप्त होता रहा है। आर्य समाज महर्षि दयानंद के विचारों को
आगे बढ़ाते हुए संस्कार और शिक्षा का पुनीत कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि
हमारे प्रधानमंत्री जी प्राकृतिक खेती और देशी नस्ल की गायों के उपयोग को बढ़ावा
देने पर विशेष जोर दे रहे हैं। प्रदेश सरकार निश्चित रूप से इस दिशा में अपने
प्रयासों को और अधिक गति देगी। श्री साय ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्षों में हमारी
सरकार ने मोदी की गारंटियों को पूरा करने का कार्य किया है। गरीब परिवारों को आवास
उपलब्ध कराने के लिए हमने पहले ही कैबिनेट में 18 लाख आवास की स्वीकृति दी थी और अब आवास प्लस-प्लस का सर्वेक्षण किया जा
रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जरूरतमंद परिवारों को पक्का घर उपलब्ध
कराया जाएगा। साथ ही भूमिहीन मजदूरों को सालाना 10 हजार
रुपये, माताओं-बहनों को प्रति माह एक हजार रुपये, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना और रामलला दर्शन योजना के माध्यम से
प्रदेशवासियों के तीर्थदर्शन के पुण्य संकल्प को भी पूरा किया जा रहा है।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत
ने महर्षि दयानंद सरस्वती को नमन करते हुए कहा कि उनके जीवन-मूल्यों और विचारों को
आत्मसात करने से शारीरिक, मानसिक
एवं सामाजिक उन्नति का संकल्प पूरा होगा। उन्होंने महर्षि दयानंद की संपूर्ण
जीवन-यात्रा और उद्देश्यों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक
कृषि और देशी गौवंश की रक्षा एवं उनका संवर्धन अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिक
दृष्टिकोण अपनाकर यदि हम गौपालन को लाभकारी बनाएंगे, तो समाज
में उसकी रक्षा हेतु स्वाभाविक चेतना विकसित होगी। इससे सड़कों पर पशुओं के विचरण
की समस्या स्वतः समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के माध्यम से हम
स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
इस अवसर पर योग आयोग के अध्यक्ष श्री
रूप नारायण सिन्हा, गौ सेवा आयोग के
अध्यक्ष श्री विशेषर पटेल, स्वामी धर्मानंद सरस्वती जी
महाराज, श्री सुरेश जी, कैप्टन रुद्रसेन,
श्री विनय आर्य, डॉ. राजेंद्र विद्या अलंकार,
श्री प्रबल प्रताप जूदेव, आर्य समाज के श्री
रामकुमार पटेल सहित आर्यवीर और आर्य समाज के अनुयायी उपस्थित थे।