रायपुर। राज्य
में व्यापारिक सुगमता को बढ़ावा देने एवं श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के
उद्देश्य से छत्तीसगढ़ शासन ने दुकान एवं स्थापना अधिनियम 2017
तथा नियम 2021 लागू कर दिया गया है। यह
अधिनियम श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार की सिफारिश पर
तैयार मॉडल शॉप एक्ट के अनुरूप है। अधिनियम के लागू होने से छत्तीसगढ़ में दुकानें
24 घंटे खुले रह सकेंगी। अधिनियम राज्य के समस्त नगरीय एवं
ग्रामीण क्षेत्रों में उन दुकानों और स्थापनाओं पर लागू होगा, जहां 10 या उससे अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। वहीं जिन
प्रतिष्ठानों में 10 से कम कर्मचारी हैं या कोई भी श्रमिक
कार्यरत नहीं है, उन्हें इस अधिनियम से पूर्णतः मुक्त रखा
गया है।
अधिनियम के तहत कर्मचारियों को 8
दिन आकस्मिक और त्योहारी अवकाश एवं अर्जित अवकाश का लाभ मिलेगा।
महिला श्रमिकों को रात्रिकालीन पाली में नियोजन की अनुमति दी गई है, बशर्ते नियोजक द्वारा सुरक्षा एवं आवश्यक सुविधा सुनिश्चित की जाए। सप्ताह
के सभी दिनों में दुकान संचालन की अनुमति दी गई है, बशर्ते
कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश सुनिश्चित किया जाए। राज्य शासन आवश्यकतानुसार
क्षेत्रीय स्तर पर साप्ताहिक अवकाश घोषित कर सकेगा।
ऑनलाइन पंजीयन कराना
होगा
नए अधिनियम के तहत पंजीयन की
प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है। प्रत्येक व्यवसायी को 6
माह के भीतर श्रम विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर पंजीयन कराना
अनिवार्य होगा। पंजीयन उपरांत डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
साथ ही किसी भी प्रकार का संशोधन या दुकान बंद करने की सूचना भी ऑनलाइन माध्यम से
दी जा सकेगी। पंजीयन आवेदन के 15 कार्य दिवस के भीतर यदि
विभाग द्वारा प्रमाणन नहीं किया जाता तो डीम्ड रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू होगी,
जिससे समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकेगी।
श्रम कानून की बाध्यता
से राहत
अधिनियम के लागू होने से अब जटिल
श्रम कानूनों की बाध्यता से राहत मिल जाएगी। अधिनियम के तहत श्रम कानूनों से जुड़ी
मामूली त्रुटियों पर अब न्यायालयीन कार्यवाही के बजाय समझौता शुल्क का प्रावधान
किया गया है, जिससे विवादों का समाधान
शीघ्र और सरल होगा।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति
को मिलेगी मजबूती
इस अधिनियम के लागू होने से राज्य
में ईज रूहान ऑफ डूइंग बिजनेस नीति को मजबूती मिलेगी। लघु एवं मध्यम व्यापारियों
को कानूनी सरलता, महिला श्रमिकों की
भागीदारी में वृद्धि, नए रोजगार के अवसर तथा संगठित क्षेत्र
में श्रमिकों को बेहतर अधिकार मिलेंगे। यह अधिनियम छत्तीसगढ़ को न केवल व्यावसायिक
दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी अधिक समावेशी
और प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित करने में मददगार होगा।