भोपाल : मुख्यमंत्री
डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्यों के सशक्तिकरण में ही राष्ट्र का सशक्तिकरण है, इसलिए केन्द्रीय करों और राजस्व प्राप्तियों में राज्यों
की हिस्सेदारी अर्थात् अनुदान बढ़ाया जाना चाहिए। राज्य अपनी क्षमता और सीमित
संसाधनों से ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए काम करते हैं। केन्द्र सरकार से
अधिक वित्तीय अनुदान मिलने से राज्य अपने दीर्घकालीन लक्ष्यों को अल्पकाल में ही
प्राप्त कर सकेंगे। विकसित भारत का निर्माण, विकसित
मध्यप्रदेश के बिना नहीं हो सकता, इसलिए केन्द्रीय करों में
राज्यों की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 48 प्रतिशत तक की जाए। इससे राज्य सशक्त होंगे और राष्ट्र को विकास की ले
जाने में सहायक होंगे।
डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश
एक बड़ा राज्य है, इसलिए इसकी
जरूरतें भी बड़ी हैं। लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना ही केन्द्र और राज्य
सरकारों का लक्ष्य है। केन्द्र और राज्यों के बेहतर तालमेल और आपसी सामंजस्य से यह
लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव गुरुवार को
कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में 16वें केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक
को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आयोग के राज्य के दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति
के लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता का जिक्र कर वित्त आयोग से प्रदेश की
अपेक्षाओं से भी अवगत कराया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक प्रगतिशील राज्य है। प्रदेश कृषि, अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पर्यटन,
नगरीय विकास और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा
है। इन क्षेत्रों में और अधिक विकास के लिए केन्द्र सरकार से और अधिक वित्तीय
सहयोग/अनुदान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत में मध्यप्रदेश को भी
योगदान देना है। हम विकसित मध्यप्रदेश का संकल्प पूरा करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ.
यादव ने कहा कि अभी हमारा बजट करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रूपए है। अगले पांच सालों
में हम इस बजट को बढ़ाकर दोगुना कर देंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वित्त
आयोग से कहा कि हम नदियों को जोड़कर जल बंटवारे के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर
काम कर रहे हैं। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) नदी जोड़ो परियोजना में हमने
राजस्थान के साथ मिलकर किया जा रहा हैं। केन्द्र सरकार ने इस राष्ट्रीय नदी जोड़ो
परियोजना के लिए 90 हजार करोड़ रूपए
आवंटित किए। इसी तरह केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के लिए उत्तरप्रदेश सरकार
के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों
राष्ट्रीय परियोजना का भूमि-पूजन कर मध्यप्रदेश को गौरव प्रदान किया है। अब
महाराष्ट्र सरकार के साथ ताप्ती नदी परियोजना पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि
आज से 20 साल पहले तक प्रदेश में केवल 7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिचिंत थी, आज प्रदेश की 48
लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को हम सिंचित कर चुके हैं। प्रदेश
में नदी जोड़ो के लिए एक अभियान चला रहे हैं। किसानों के साथ हमारा आत्मीय संबंध है
और खेतों तक पानी पहुंचाना हमारा पहला कर्तव्य है। हमारी नीतियों के कारण किसानों का
जैविक खेती की ओर तेजी से रूझान बढ़ा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
हमारी 18 नई औद्योगिक
नीतियों के कारण निवेशक भी जुड़ रहे हैं। आरआईसी और जीआईएस-भोपाल के जरिए प्रदेश को
30.77 लाख करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह
निवेशकों का मध्यप्रदेश पर बढ़ते विश्वास का प्रतीक है। हम प्रदेश के हर जिला
कलेक्ट्रेट में उद्योग प्रकोष्ठ बना रहे हैं, इससे किसी
निवेशकों की जिला स्तर पर भी कठिनाई हल की जा सकेंगी। हम प्रदेश में व्यापार और
व्यवसाय को सुगम बना रहे हैं। इसमें सभी का सहयोग लेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
हम प्रदेश में हरसंभव तरीके से दूध उत्पादन को बढ़ावा देंगे। हमारी कोशिश है कि देश
का 20 प्रतिशत से अधिक दूध
मध्यप्रदेश में उत्पादित हो, इससे हमारे किसान और पशुपालक
दोनों सम्पन्न होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि युवा शक्ति की ऊर्जा का
भरपूर उपयोग भी हम कर रहे हैं। पंचशील सिद्धांतों का पालन करते हुए जन, जल, जंगल, जमीन और जैविक
विविधता का संरक्षण हमारा प्राथमिक लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जंगल बचेंगे,
तो जल बचेगा और जल बचेगा, तो जन-जीवन बचेगा।
हम जैविक संपदा को संरक्षित रखने के लिए भी हर जरूरी प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
हम प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले तीन सालों में 30 लाख किसानों को सोलर पम्प दिये जायेंगे। इससे हमारे किसान
अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बनेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी
सरकार किसानों को मात्र पांच रूपए में बिजली का स्थाई कनेक्शन देने जा रही है,
इससे हमारे किसानों को बिजली कनेक्शन के लिए कहीं भी भटकना नहीं
पड़ेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वित्त
आयोग को मध्यप्रदेश में बीते एक वर्ष में किए गए नवाचारों की जानकारी भी दी।
उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने एयर एम्बुलेंस सेवा प्रारंभ की है। इससे बीते एक
साल में कई गंभीर मरीजों को एयरलिफ्ट कर बड़े अस्पतालों तक पहुंचाकर उनका जीवन
बचाया गया। हमारी इस सेवा को बेहद अच्छा प्रतिसाद मिला है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वित्त
आयोग के समक्ष प्रदेश के विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय
सहयोग की मांग रखते हुए राज्य सरकार की विशेष प्राथमिकताओं को भी पृथक से रेखांकित
किया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से वित्त आयोग को मेमोरेंडम की प्रति भी सौंपी।
इसमें विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और वित्तीय सहयोग की जरूरतों का विस्तार से
उल्लेख किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आयोग को राज्य सरकार द्वारा प्रदेश
की भावी योजनाओं की भी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों को
प्रतीक चिन्ह भी भेंट किए।
मध्यप्रदेश भविष्य में प्रगति के प्रति जागरूक
सोलहवें वित्त आयोग ने आज भोपाल
में हुई महत्वपूर्ण बैठक में मध्यप्रदेश विकास के विभिन्न क्षेत्रों में हुई
प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश भविष्य में प्रगति के प्रति जागरूक
भी है। सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री अरविन्द पनगढ़िया ने कहा कि बडे राज्यों
के विकास के बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि कृषि के क्षेत्र में
उपलब्धियों के साथ औदयोगिक प्रगति भी जरूरी है।सिर्फ कृषि के आधार पर किसी देश के
विकसित बनने का उदाहरण नहीं है। उन्होने कहा कि प्रदेश को नीतियों में सुधार लाना
चाहिए। अपनी ऊर्जा का पूरा उपयोग जरूरी है। मध्यप्रदेश आगे बढ़कर कुछ क्षेत्रों में
पहल कर कानूनों में सुधार करे तो केन्द्र भी सहयोग देगा ।
आयोग के अध्यक्ष श्री पनगढ़िया ने
कहा कि विकास होगा तो शहरीकरण भी होगा। यह जरूरी है लेकिन इसके लिए कदम उठाये जा
सकते हैं। रोजगार निर्माण की प्रक्रिया भी साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होने कहा कि
आयोग पर विकसित भारत के लिए रोडमैप बनाने की चुनौती है। वित्त आयोग सभी राज्यों के
साथ संवाद कर रहा है। संवाद सत्रों के बाद आयोग के सभी विशेषज्ञ सदस्यों के साथ
परामर्श कर राज्यों को वित्तीय संसाधनों के आवंटन पर निर्णय लिया जा सकेगा।
प्रदेश अन्य प्रदेशों के लिये बन सकता है उदाहरण
आयोग के सदस्य डॉ. मनोज पांडा ने
मध्यप्रदेश में विकास के कार्यक्रमों और नवाचारी पहल की तारीफ करते हुए कहा कि
मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। आयोग के सदस्य श्री ए एन झा ने कहा
कि बीते वर्षो में मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा आर्थिक वृद्धि करने वाला राज्य है।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री की विकास संबंधी सोच अच्छी है। कई क्षेत्रों में अन्य
प्रदेशों के लिए उदाहरण बन सकता है। डॉ. एनी जार्ज मैथ्यू ने प्रदेश की ओर से
विभिन्न सेक्टर पर हुए प्रेजेंटेशनों की तारीफ करते हुए कहा कि कहा कि आपदा
प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। डॉ. सौम्या कांति
घोष ने कहा कि मध्यप्रदेश ने स्वयं को वित्तीय प्रबंधन में आदर्श राज्य बनाया है।
यह निरंतर राजस्व आधिक्य वाला राज्य बना है। मध्यप्रदेश के पन्द्रहवें वित्त आयोग
के भी सभी लक्ष्यों को हासिल कर लिया है। उन्होने कहा कि देश के लिए मध्यप्रदेश का
जल, जंगल और जमीन जैसे संसाधनों की
रक्षा करना जरूरी है।
उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा
ने 16 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष,
सदस्यों तथा अधिकारियों स्वागत करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश अपने
वित्तीय संसाधनों का पूरी क्षमता और कुशलता से संचालन कर रहा है। कोविड-19 महामारी के बावजूद हमने अपनी अर्थव्यवस्था को संतुलित बनाए रखा। वर्ष 2004-05 से निरंतर राजस्व अधिशेष बनाए रखा। इस राजस्व अधिशेष और ऋण को हमने उत्पादक
पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण में उपयोग किया।
उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने
कहा कि स्वयं के राजस्व को बढ़ाने के लिए राज्य कर राजस्व और राज्य गैर-कर राजस्व
दोनों ही मामलों में लक्ष्य हासिल कर लिया है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों की सीमा में ऋण और घाटे के सभी प्रमुख
संकेतकों में हमारा प्रदर्शन सराहनीय रहा है। भारत सरकार से पूँजीगत कार्यों के
लिए मिल रहे दीर्घकालिक ब्याज-रहित-ऋण के सामयिक व सार्थक उपयोग के लिए हमने
सुनियोजित तरीके से कार्य किया है। परिणामस्वरूप केन्द्र से अधिकतम राशि प्राप्त
करने में हम सफल रहे हैं।
उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने
कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य है। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. यादव के
नेतृत्व में 2047 तक एक विकसित राज्य बनने का संकल्प लेकर
आगे बढ़ रहा है। इसके लिये एक व्यापक एवं सुव्यवस्थित रोडमैप तैयार किया है। अगले 5 वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने तथा महत्वपूर्ण
सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में रणनीतिक निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया
है। अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वयं के राजस्व संसाधनों को
बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा सार्वजनिक वित्तीय
प्रबंधन को और सुदृढ़ बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने
स्वागत उद्बोधन में कहा कि मध्यप्रदेश ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के 2047 विकसित भारत के विजन के अनुसार विकसित मध्यप्रदेश का
रोडमैप तैयार किया है। पांच सालाना कार्य योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि गरीब
कल्याण मिशन, युवा कल्याण मिशन, किसान
कल्याण और महिला सशक्तिकरण के लिए मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने
कहा कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि
अगले 25 सालों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शहरीकरण के
साथ-साथ औदयोगीकरण पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उन्होंने क्षेत्रीय निवेश
सम्मेलनों और हाल में संपन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का हवाला देते हुए कहा कि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के
लिए लगातार फॉलो-अप किया जा रहा है।
मुख्य सचिव श्री जैन ने कहा कि
मध्यप्रदेश ने 18 नीतियां बनाई
हैं। पर्यटन एक प्रमुख क्षेत्र है। मध्यप्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में असीमित
संभावनाएं है। इसमें आध्यात्मिक पर्यटन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जन विश्वास
कानून और इसके पहले लोक सेवा प्रदाय गारंटी कानून से शासन-प्रशासन सुगम और सहज हुआ
है। इसके अलावा समग्र डाटा, संपदा में ऑनलाइन पंजीयन,
संपतियों की मैपिंग, स्वामित्व योजना, कर्मचारियों की क्षमता निर्माण के लिए "आईगाट" ऑनलाइन ट्रेनिंग
का उपयोग करने जैसे कई प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है।
16वीं वित्त आयोग
की बैठक में उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला सहित मंत्रिमण्डल के सभी सदस्य
एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहें।
प्रमुख सचिव वित्त श्री मनीष
रस्तोगी ने मध्यप्रदेश की समग्र वित्तीय परिदृश्य पर प्रेजेंटेशन दिया। अपर मुख्य
सचिव श्री संजय कुमार शुक्ला ने नगरीय प्रशासन और नगरीय निकायों की भविष्य की
वित्तीय आवश्यकताओं और योजनाओं की चर्चा की। प्रमुख सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी
ने पंचायतों के वित्तीय प्रबंधन और अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकताओं की चर्चा की।
अपर मुख्य सचिव श्री शिवशेखर शुक्ला ने पर्यटन एवं संस्कृति में अपने प्रस्तुतिकरण
में कहा कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन की नई संभावनाएं बनी है। इसके अलावा
हेरिटेज, फिल्म पर्यटन
जैसे नये क्षेत्र भी सामने आये है। नई नीतियों के तहत इनमें निवेशक, निवेश के लिये आकर्षित हुए है। प्रमुख सचिव श्री राघवेन्द्र कुमार सिंह ने
नये मध्यप्रदेश के विजन की चर्चा करते हुए कहा कि औदयोगीकरण पर विशेष ध्यान देने
और विदेशी पूंजी निवेश, एआई, साइबर
प्रशासन जैसे नये क्षेत्रों के आने से नया मध्यप्रदेश बन रहा है। प्रमुख सचिव श्री
मनु श्रीवास्तव ने ऊर्जा क्षेत्र के संबंध में बताय कि 15वें
वित्त आयोग के लक्ष्यों को पूरा कर लिया गया है। अब हाइब्रिड स्टोरेज पर ध्यान
दिया जा रहा है। किसानों को भरपूर बिजली देने की व्यवस्था कर ली गई है। मध्यप्रदेश
देश में सबसे सस्ती दर पर सोलर ऊर्जा उत्पादन करने वाला राज्य है।