रायपुर। महिलाओं में मोनोपॉज के मुद्दे पर रायपुर में 14 और 15 मई 2022 को दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। शहर के एक होटल में हुए इस सेमिनार में 150 से अधिक डॉक्टर्स और 20 से अधिक विशेषज्ञों ने मोनोपॉज पर अपने-अपने विचार रखे।
रायपुर मेनोपॉज सोसायटी रायपुर चैप्टर दो दिवसीय आईएमएस जोनल कॉन्फ्रेंस और रायपुर मेनोपॉज सोसायटी की चौथी स्टेट कॉन्फ्रेंस का आयोजन प्रिवेंटिव एंड थेरप्यूटिक स्ट्रेटेजीज फॉर हेल्दी एजिंग विषय पर किया गया।
संरक्षक डॉ. आभा सिंह, आयोजन अध्यक्ष डॉ. मनोज चेलानी, आईएमएस अध्यक्ष डॉ. सी अंबुजा, आईएमएस सचिव डॉ. सुधा शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. पुष्पा सेठी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल ने मोनोपॉज जैसे बेहद कम चर्चित विषय के बारे में जागरूकता पैदा की।
डॉ. मनोज चेलानी ने कहा, कार्यस्थल पर वैश्विक लिंग असमानता में योगदान देने वाले कई कारण हैं। इनमें से एक कारण जिसे अक्सर पहचाना नहीं जाता है और वह है मोनोपॉज।
मेनोपॉज एक बड़ी बात है। इसके लक्षण शारीरिक हो सकते हैं जिनमें -गर्म महसूस करना, जोड़ों का दर्द, मूत्र असंयम और हैवी पीरियड आदि शामिल होते हैं। वहीं मोनोपॉज का असर मानसिक तौर पर भी होता है, जिसके फलस्वरूप चिंता, अवसाद, कम आत्मविश्वास के लक्षण, सोने में कठिनाई आदि शामिल है। लक्ष्णों की सूची लंबी है और ये बदल भी सकते हैं, लेकिन ये बेहद महत्वपूर्ण हैं।
संरक्षक डॉ. आभा सिंह ने बताया कि पांच देशों की महिलाओं के बीच हुए के एक अध्ययन में यह पाया गया कि मेनोपॉज के लक्षणों से निपटने वाली 60 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि इससे उनका काम प्रभावित हुआ है।
कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर बदलाव लाने और जब तक वह चाहे तब तक काम करने देने के लिए मेनोपॉज केयर में सुधार करना होगा। मेनोपॉज के लक्षणों का सामना कर रही महिला के अनुभव को बेहतर बनाने में कार्यस्थल एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।