रायपुर| सोंधी माटी लोनी बघेली साहित्यिक मंच, सीधी, मध्य प्रदेश एवं सोमालोब साहित्यिक मंच, प्रान्तीय इकाई, महाराष्ट्र के संयुक्त तत्वावधान में 19 दिसम्बर की शाम अखिल भारतीय स्तरीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। राजेन्द्र ओझा, रायपुर, छत्तीसगढ़ के कविता पाठ करते हुए कहा कि वह बोलना चाहता था वह आगे बढ़ता इसके पहले ही उसकी ओर उठी आंखों के ईशारे को उसने समझा और चुप रहा। वह कतार में पहले नम्बर पर था पर कुर्सी पर वे विराजित हो रहे थे जो कतार में बहुत पीछे थे। *रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे, नागपुर, महाराष्ट्र* नई बस्ती धरा पर फिर बसाने की तमन्ना है, मुहब्बत के चरागों को जलाने की तमन्ना है। जड़ें टूटी हुई लगतीं महक है गायब फूलों की, लगे जो पेड़ बागों में बचाने की तमन्ना है। *श्रीमती जयश्रीकांत जय, सिंगरौली, मध्य प्रदेश* ले दुआएं सैंकड़ों की चल पड़े थे बस वहीं, नेकियों की नेमतों से हम कदम अपना मिला। हौंसले की ले उड़ाने बाज के परवाज भी, आसमां की सैर करने फिर वही जज्बा मिले। *नज़र द्विवेदी, सागर, मध्य प्रदेश* पास तुम आए हो मेरे आज फिर किस उम्मीद पर, मेरी बस्ती जल रही थी और तुम खामोश थे। *प्रमोद भृगुवंशी 'समीर', चंदौली, उत्तर प्रदेश* जिंदगी के आंगन में मौत का बसेरा है, क्यों मेरे गुलिस्ता में दरिंदों का डेरा है। *श्रीमती रवि रश्मि, मुम्बई, महाराष्ट्र* मिले कांटे बहुत अब राहो में करे हिम्मत सभी ही दुख उठाने का। चलो मिलकर बढ़ो आगे अभी मेरे यही अब तो समय है घर सजाने का। इसके अतिरिक्त नाशिक, प्रयागराज, लखनऊ, मुजफ्फरनगर आदि के कवि भी इस कवि सम्मेलन में शामिल रहे। उक्त कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. श्रीनिवास शुक्ल 'सरस', सीधी, मध्य प्रदेश, मुख्य अतिथि आ. आशा शैली, उत्तराखंड एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती ममता सिंह, गाजियाबाद ने की। कार्यक्रम का संचालन संजय द्विवेदी, मुम्बई एवं संयोजन डॉ. चंद्रिका प्रसाद मिश्र, नाशिक ने किया।