रायपुर : -राज्य शासन द्वारा बस्तर की समृद्ध जनजातीय
कला एवं संस्कृति के धरोहर को पुनर्जीवित कर इसे देश और वैश्विक पटल पर रखने सहित
स्थानीय जनजातीय समुदाय के लोगों को अमिट पहचान और समुचित सम्मान दिलाने के
उद्देश्य से बस्तर पंडुम 2025 यथा बस्तर का
उत्सव का भव्य संभागीय स्तरीय कार्यक्रम आयोजन दंतेवाड़ा के हाईस्कूल मैदान में
किया जा रहा है। उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा और वनमंत्री श्री केदार कश्यप ने
बस्तर पंडुम के संभागीय स्तरीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि नवरात्रि
के अवसर पर बस्तर की वैभव-गौरवशाली संस्कृति को सहेजने और संवारने सहित वैश्विक
पटल पर पहुंचाने के लिए सरकार ने बस्तर पंडुम कार्यक्रम का आयोजन किया है। जिससे
बस्तर की संस्कृति, परंपरा को दुनिया के लोगों को
जानने-समझने का अवसर मिलेगा। बस्तर अद्भुत सांस्कृतिक परम्परा, रीति रिवाज और जनजातीय व्यंजन से समृद्ध है, इस पावन
धरा में जन्म लेना सौभाग्य की बात है। इस क्षेत्र में मेरा जन्म ना होने से यहाँ
की संस्कृति और अनेक स्वादिष्ट व्यंजन से मैं वंचित रहा हूँ पर आज इस कार्यक्रम
में मुझे बस्तर की सभी स्वाद का अनुभव करने का अवसर मिला। उन्होंने बस्तर में
सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाकर लोगों को विकास की
मुख्यधारा से जोड़ने हेतु सार्थक प्रयास करने की बात कही ।
वनमंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर पंडुम की
चर्चा देश-विदेश में हो रही है लोग बस्तर की संस्कृति को समझने के लिए लालायित हो
रहे हैं। इसके साथ ही बस्तर क्षेत्र के स्थानीय व्यंजन, वेशभूषा- आभूषण जोे विलुप्तप्राय हैं ऐसी समृद्ध संस्कृति को बचाने की पहल
बस्तर पंडुम के माध्यम से की जा रही है। इस कार्यक्रम में समूचे संभाग के जिलों के
प्रतिभागियों द्वारा शानदार प्रदर्शनी लगाई गई है। उन्होंने दंतेवाड़ा का फाल्गुन
मंडई और बस्तर में आयोजित बस्तर दशहरा को सामाजिक समरसता का प्रतीक निरूपित करते
हुए कहा कि समाज के लोग इस परंपरा को संवर्धित कर रहे हैं। हमारे बस्तर क्षेत्र
में जन्म से मृत्यु तक पंडुम मनाते हैं। इस समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का संदेश देने
में हमारी परंपरा, रीति -रिवाज की अहम भूमिका है। कार्यक्रम
में विधायक श्री चैतराम अटामी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री
नंदलाल मुड़ामी ने भी संबोधित किया। संस्कृति विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य
ने कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी दी ।
कार्यक्रम के शुरुआत में दोनों मंत्रियों ने
प्रदर्शनी में लगे जनजातीय कला स्टॉल का अवलोकन कर प्रदर्शनी में लगे जनजातीय
संस्कृति के वाद्य यंत्र का वादन किया और स्थानीय एवं जनजातीय व्यंजन का स्वाद
लेकर सराहना किए। इस अवसर पर विधायक दंतेवाड़ा श्री चैतराम अटामी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री नंदलाल मुड़ामी, नगर
पालिका अध्यक्ष श्रीमती पायल गुप्ता, महिला आयोग की सदस्य
श्रीमती ओजस्वी मंडावी सहित अन्य जनप्रतिनिधि, कमिश्नर श्री
डोमन सिंह, आईजी श्री सुंदरराज पी., संस्कृति
विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य, डीआईजी श्री कमलोचन
कश्यप, कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी, पुलिस
अधीक्षक श्री गौरव राय, सीईओ श्री जयंत नाहटा सहित अन्य
गणमान्य जन उपस्थित रहे।
इस मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ
बस्तर पंडुम का भव्य आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि बस्तर पंडुम 2025 के अन्तर्गत सात विधाएं शामिल की गई है। जिसमें संभाग के सातों जिलों के
विजेताओं के मध्य प्रतियोगिता आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में जनजातीय
नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़,
मांदरी, हुलकीपाटा, परब
सहित लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत-चौतपरब, लेजा,
जगारगीत, धनकुल, हुलकी
पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, विवाह
पद्धति एवं नामकरण संस्कार आदि) जनजातीय नाट्य श्रेणी में भतरा नाट्य जिन्हें लय
एवं ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र,
वेशभूषा, मौलिकता, लोकधुन,
वाद्ययंत्र, पारंपरिकता, अभिनय, विषय-वस्तु, पटकथा,
संवाद, कथानक के मानकों के आधार पर मूल्यांकन
किया गया। इसके अलावा जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन के तहत धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी,
गुदुम, मोहरी, सुलुङ,
मुंडाबाजा, चिकारा शामिल रहे। जिन्हें संयोजन,
पारंगता, प्रकार, प्राचीनता
के आधार पर अंक दिए गए। जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण का प्रदर्शन विधा में लुरकी,
करधन, सुतिया, पैरी,
बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बन्धा,
फुली, धमेल, नांगमोरी,
खोचनी, मुंदरी, सुर्रा,
सुता, पटा, पुतरी,
नकबेसर जैसे आभूषण में एकरूपता, आकर्षकता,
श्रृंगार, पौराणिकता को महत्व दिया गया।
जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला का प्रदर्शन विधा के अंतर्गत घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा,
लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र,
शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस
की कंघी, गीकी (चटाई), घास के दानों की
माला प्रदर्शन प्रस्तुतियां हुई। साथ ही जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का
प्रदर्शन-सल्फी, ताड़ी, छिंदरस,
लांदा, कोसरा, जोन्धरा
एवं मडि़या पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी
पुड़गा,मछरी पुड़गा,मछरी झोर, आमट साग, तिखुर, बोबो इत्यादि
के बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद,
प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के
मुख्य आकर्षण हैं।