April 01, 2025


छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति से सुदूर क्षेत्रों में शांति और विकास की नई पहल : उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा

छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/ पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 हुआ लागू

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करने और आत्मसमर्पित नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए एक समग्र और प्रभावी छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/ पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 लागू की है। उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री श्री विजय शर्मा ने बताया कि सरकार की नई नक्सल पुनर्वास नीति 2025 के तहत न केवल आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित किया जा रहा है, बल्कि समर्पण करने वाले नक्सलियों को एक सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन की ओर बढ़ने का अवसर भी दिया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की इस नीति का मुख्य उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भय और असुरक्षा के माहौल को समाप्त कर वहाँ के नागरिकों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता, आवास, शिक्षा और रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि वे एक नई शुरुआत कर सकें। नक्सल संगठन छोड़ने वाले लोगों को सुरक्षा बलों की निगरानी में सुरक्षित आवास प्रदान किया जाता है, जहाँ वे अपने परिवार सहित शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। उनके पुनर्वास के लिए राज्य सरकार ने विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की है, जहाँ उन्हें तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे अपने जीवनयापन के लिए आत्मनिर्भर बन सकें।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने बताया कि सरकार केवल आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके परिवारों के कल्याण पर भी विशेष ध्यान दे रही है। समर्पित नक्सलियों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं और विशेष विद्यालयों की व्यवस्था की गई है। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि उनके बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुरक्षित माहौल मिले, जिससे वे आगे चलकर समाज के सम्मानजनक नागरिक बन सकें। स्वास्थ्य सुविधाओं को भी इन परिवारों तक पहुँचाने के लिए विशेष प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहाँ मुफ्त चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने के लिए सड़कों, पुलों और बिजली की आपूर्ति जैसी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि जब तक इन क्षेत्रों में आधारभूत विकास नहीं होगा, तब तक वहाँ स्थायी शांति की स्थापना संभव नहीं हो पाएगी। इसलिए इन इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए नए औद्योगिक और कृषि विकास परियोजनाओं को भी गति दी जा रही है। सरकार द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए आत्मसमर्पित नक्सलियों को ऋण योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, जिससे वे अपने व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने बताया कि पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को सरकारी नौकरियों, सहकारी समितियों और अन्य रोजगार योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे पुनः अपराध या नक्सल गतिविधियों की ओर न मुड़ें। पुनर्वासित व्यक्तियों को उनकी योग्यता और क्षमता के अनुसार विभिन्न सरकारी विभागों में कार्य करने का अवसर दिया जा रहा है। इसके अलावा, उन्हें खेती, पशुपालन, हस्तशिल्प और अन्य स्वरोजगार योजनाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे अपनी आजीविका खुद सुनिश्चित कर सकें।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की इस पुनर्वास नीति के कारण कई पूर्व नक्सली आत्मसमर्पण कर समाज में लौट रहे हैं और सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। राज्य सरकार की यह नीति न केवल नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने में सफल हो रही है, बल्कि इससे छत्तीसगढ़ के सुदूर क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करने में भी सहायता मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ उग्रवाद को समाप्त करना नहीं है, बल्कि उन लोगों को भी नई जिंदगी देना है, जो किसी कारणवश इस पथ पर चले गए थे और अब वापसी करना चाहते हैं।

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण में सरकार का साथ दें और इस शांति एवं विकास की यात्रा को और मजबूत करें। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ सरकार की यह नीति प्रदेश को उग्रवाद-मुक्त, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगी। अवश्य ही मार्च 2026 तक देश सहित छत्तीसगढ़ नक्सल मुक्त होगा।


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