भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इको सिस्टम के प्रॉपर डेवलपमेंट के
लिए मध्यप्रदेश में वृहद स्तर पर काम हो रहा है। वन्य पर्यटन हमारी अर्थव्यवस्था
को गति देता है और अब यही हमारी समृद्धि का प्रवेश द्वार बन रहा है। हमारी सरकार
कूनो राष्ट्रीय उद्यान को एक आदर्श वन्य प्राणी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित
करेगी। प्रदेश में सिर्फ कूनो ही नहीं, अब मंदसौर जिले का गांधीसागर अभयारण्य भी चीतों से गुलजार होगा। उन्होंने
कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से आगामी 20 अप्रैल को गांधी
सागर अभयारण्य में चीते छोड़े जाएंगे। कड़ी सुरक्षा में कूनो नेशनल पार्क से 2
चीते शिफ्ट कर गांधीसागर अभयारण्य में ले जाये जायेंगे। मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में पर्यटन तेजी से बढ़े, इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ग्वालियर से कूनो के लिए डायरेक्ट रोड और एयर
कनेक्टिविटी भी विकसित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार
को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव के साथ
मध्यप्रदेश में चीता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन संबंधी समीक्षा बैठक को संबोधित कर
रहे थे।
भारत में जन्में चीता शावकों की सर्वाइवल रेट विश्व में है अधिकतम
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने
अधिकारियों द्वारा यह जानकारी दिए जाने पर हर्ष व्यक्त किया कि भारत (मध्यप्रदेश)
में जन्में चीता शावकों की जीवन प्रत्याशा (सर्वाइवल रेट) पूरे विश्व में सर्वाधिक
है। दूसरे देशों में चीता शावक जलवायु से अनुकूलन के अभाव में सर्वाइव नहीं कर
पाते हैं। चीतों के लिए जरूरी जलवायु और वातावरण की दृष्टि से गांधीसागर अभयारण्य
बेहद अनुकूल है, इसलिए सरकार
यहां चीते छोड़कर इस अभयारण्य को भी चीतों से गुलजार करेगी।
कूनो जुड़ेगा रोड टू एयर कनेक्टिविटी से
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
केन्द्र सरकार के साथ मिलकर सबके सहयोग से हम चीतों का पुनर्वास करेंगे। ग्वालियर
से कूनो नेशनल पार्क तक पक्की बारहमासी रोड बनाई जाएगी। कूनो में टेंट सिटी तैयार
कर यहां आने वाले पर्यटकों को जंगल में प्रकृति के पास समय बिताने का सुनहरा अवसर
उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वन मंत्री श्री यादव की मंशा के
अनुरूप हम कूनो प्रक्षेत्र में इंटरनेशनल लेवल का एक पशु चिकित्सालय और रेस्क्यू
सेंटर भी खोलेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार से भी मदद लेंगे। पशु चिकित्सालय के
संचालन से कूनों के चीतों के इलाज के साथ-साथ इस पूरे क्षेत्र में गौवंश के उपचार
में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के नेचर टूरिज्म सेक्टर
में निहित असीम संभावनाओं को एक्सप्लोर करेगी। राज्य के अधिक से अधिक युवाओं और
महिलाओं को वन्य पर्यटन से जोड़ेंगे। चीता मित्र और महिला स्व-सहायता समूह की
महिलाओं को टूरिस्ट गाईड भी बनाएंगे, कूनो परिक्षेत्र में राज्य आजीविका विकास मिशन से दीदी कैफे संचालित किए
जाएंगे, जिससे चीता मित्रों और महिलाओं को स्थानीय रोजगार के
अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
सरकार किंग कोबरा और दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का भी करेगी संरक्षण
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
प्रदेश की धरती पर चीतों के पुनर्वास से एक सदी का इंतजार खत्म हुआ है। राज्य
सरकार किंग कोबरा, घड़ियाल और
दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सरकार
किंग कोबरा संरक्षण के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। प्रदेश के जंगलों
में जहरीले सांपों की संख्या नियंत्रित करने के लिए किंग कोबरा को बसाना आवश्यक
है। पहले चरण में 10 किंग कोबरा मध्यप्रदेश लाने पर विचार हो
रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन अधिकारियों को चंबल नदी से घड़ियाल और कछुओं
को प्रदेश की 4 बड़ी नदियों और जलाशयों में पुर्नवासित करने
के निर्देश दिए।
चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने के लिए आईआईएफएम की लें सेवाएं :
केन्द्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव
केंद्रीय वन मंत्री श्री
भूपेंद्र यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में बड़ी क्षमताएं विद्यमान
हैं। उन्होंने कूनो में चीतों के पुनर्वास और वन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों की प्रशंसा की। केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने
वन्य प्राणियों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में चल रहे वन्य प्राणियों की पुनर्वास परियोजनाओं की
देखरेख के लिए वन, पर्यटन, पशु चिकित्सा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य एवं परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का एक टास्क फोर्स
बनाया जाए। यह टास्क फोर्स नियमित रूप से सभी प्रोजेक्ट्स की निगरानी करें।
उन्होंने कहा कि श्योपुर जिले के 80 गांवों के 400 चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान
(आईआईएफएम), भोपाल के साथ अनुबंध कर सकते हैं। चीता मित्रों
को होम स्टे के लिए प्रशिक्षित कर उन्हें नेचर टूरिज्म के लिए तैयार करने की दिशा
में भी कार्य किए जाएं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कूनो के आसपास स्थित ऐतिहासिक
धरोहरों को पर्यटकों के लिए विकसित किया जाए। कूनो में मौजूद एक पुराने किले को
हेरिटेज वॉक के रूप में विकसित किया जा सकता है। मगरमच्छ और घड़ियाल के दीदार के
लिए व्यू प्वाइंट्स बने, वन्य प्राणियों के रेस्क्यू के लिए
सेंटर और पर्यटकों के लिए आयुर्वेदिक सेंटर तैयार किए जाएं।
केन्द्रीय वन मंत्री श्री यादव
ने कहा कि पर्यटन से रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कूनो समेत प्रदेश के अन्य
पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को सुविधाएं और मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के लिए
स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को जोड़ा जाए। देश-विदेश से कूनो आने वाले पर्यटकों
को आवास, भोजन, स्वच्छता से जुड़ी बेहतर और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। अगर
सुविधाएं विश्वस्तरीय होंगी, तो निश्चित रूप से दुनिया से टूरिस्ट
चीता देखने के लिए पर्यटक कूनो नेशनल पार्क और गांधीसागर अभयारण्य आएंगे।
बोत्सवाना से दो चरण में लाए जाएंगे 8 चीते
बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण
प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से बताया गया कि देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक राशि व्यय की जा चुकी है। इसमें से 67
प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में हुए चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत ही अब गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से
विस्थापित किए जाएंगे। गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है,
इसलिए अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए
मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। अभी कूनो और
गांधीसागर अभयारण्य में चीता मित्रों की क्षमता संवर्धन के लिए उन्हें विशेष
ट्रेनिंग दी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना तथा केन्या से और अधिक चीते भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं।
दो चरण में 8 चीते भारत लाए जाएंगे। मई 2025 तक बोत्सवाना से 4 चीते भारत लेकर आने की योजना है।
इसके बाद 4 और चीते लाये जाएंगे। फिलहाल भारत और केन्या के
बीच अनुबंध पर सहमति बनाई जा रही है।
सैटेलाइट कॉलर आईडी हो रही चीतों की मॉनीटरिंग, चीता सफारी प्रारंभ करने की भी है
तैयारी
बैठक में वन अधिकारियों ने बताया
कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में कुल 26 चीते हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं और 10
पुनर्वास केंद्र में हैं। कूनो में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही
है। यहां ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा
मादा चीता ने शावकों को जन्म दिया है। चीतों की निगरानी के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी
से 24 घंटे ट्रैकिंग की जा रही है। चीतों के पुनर्स्थापना के
बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2 साल
में दोगुनी हो चुकी है। राज्य सरकार ने कूनो में चीता सफारी शुरू करने के लिए
माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मंजूरी मांगी है, क्योंकि
वन क्षेत्र या इको सेंसिटिव जोन में सफारी प्रारंभ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से
अनुमति लेनी जरूरी है। इस याचिका पर निर्णय होना अभी शेष है।
बैठक में चीता प्रोजेक्ट के
क्रियान्वयन के लिए केन्द्रीय सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय श्री तन्मय कुमार, मुख्य
सचिव श्री अनुराग जैन, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव श्री
सुशील कुमार अवस्थी, अतिरिक्त महानिदेशक टाइगर प्रोजेक्ट एवं
सदस्य सचिव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) डॉ. गोविंद सागर भारद्वाज,
अंतरिम महानिदेशक इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) श्री एस.पी.
यादव, अतिरिक्त वन महानिदेशक एनटीसीए श्री संजयन कुमार,
उप वन महानिदेशक एनटीसीए श्री वैभव सी. माथुर एवं उप वन महानिदेशक
(वन्यजीव विभाग) केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन
मंत्रालय श्री अंजन कुमार मोहंती सहित अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल,
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री असीम श्रीवास्तव, मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) श्री
शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) श्री
एल. कृष्णमूर्ति, सचिव वन श्री अतुल कुमार मिश्रा तथा सचिव
एवं आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. सुदाम खाड़े व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।