नई दिल्ली। दिल्ली में 30 अप्रैल 2022 को आयोजित कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने हाईकोर्ट में क्षेत्रीय भाषाओं के क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यान्वयन में बहुत सारी बाधाएं हैं। एक कारण यह है कि कभी-कभी कुछ न्यायाधीश स्थानीय भाषा से परिचित नहीं होते हैं। हमारे पास इतनी तकनीक नहीं हैं जहां पूरे रिकॉर्ड का स्थानीय भाषा या स्थानीय भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया जा सके। कुछ हद तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसका समाधान है। हमने कोशिश भी की है। कुछ हद तक यह साकार हुआ है। आगे की पेचीदगियों को दूर करने के लिए समय चाहिए।
इस पर केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह मामला कई चरणों में चर्चा में आया है। हम न्यायपालिका में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने में बहुत सकारात्मक सोच रखते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए न्यायपालिका के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। न्यायालय में न केवल तर्क के लिए भाषा बल्कि आदेश के लिए भी किसी भाषा के इस्तेमाल के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की इजाजत की आवश्यकता होती है। इसलिए इस मुद्दे पर व्यापक परामर्श की आवश्यकता है। हम निश्चित रूप से इस मामले में सकारात्मक रुख रखेंगे।