रायपुर
: पांच माह से चल रहे
चातुर्मास का समापन देवउठनी एकादशी के दिन होगा। मंदिरों में भगवान विष्णु के
जागने की परंपरा निभाई जाएगी। 23 नवंबर को सुबह मंदिरों में विष्णु पूजन के पश्चात शाम को घर-घर में
तुलसीजी का विवाह विष्णु स्वरूपा शालिग्राम से रचाने की रस्म निभाएंगे।
घर-घर में तुलसी
विवाह रचाने के लिए मंडप सजाया जाएगा। मंडप सजाने के लिए गन्ना और पूजन सामग्री का
बाजार सज चुका है। बुधवार को रात तक आसपास के गांवों से व्यापारियों का गन्ना लेकर
पहुंचना जारी था।
गांव-गांव में जेठउनी के नाम से
प्रसिद्ध
देवउठनी एकादशी को ग्रामीण इलाकों
में जेठउनी के नाम से जाना जाता है। इस दिन से विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएंगे।
जेठउनी के दिन बिना पंचांग देखे विवाह कार्य संपन्न किया जाता है। इस दिन तुलसी
पूजा के साथ ही सैकड़ों युवक-युवतियों का ब्याह रचाया जाएगा। ग्रामीण संस्कृति पर
आधारित गड़वा बाजा और शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी।
गन्ना, केले
के पत्तों से बनाएंगे मंडप
तुलसी विवाह के लिए गन्ना और केले के
पत्तों से मंडप सजाया जाएगा। तुलसी विवाह की पूर्व संध्या पर शास्त्री बाजार,
आमा पारा बाजार, गोलबाजार समेत अनेक मोहल्लों
के चौक-चौराहों पर गन्ना और पूजन सामग्री खरीदने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े।
50 से 100 रुपये जोड़ी गन्ना
आमापारा में गन्ना बेचने आए रामदयाल
साहू ने बताया कि वे भाठागांव से गन्ना लेकर आए हैं। अलग-अलग क्वालिटी के गन्नों
की कीमत 50 रुपये, 80 रुपये और 100 रुपये जोड़ी है। वे एक ट्रैक्टर ट्राली
में 500 जोड़ी गन्ना भरकर लाए हैं। ट्राली का भाड़ा ही दो
हजार रुपये है। यदि सभी गन्ने बिक जाए तो 15 से 20 हजार रुपये की आमदनी हो जाएगी।
देवउठनी पर ऐसे जगाएं भगवान विष्णु
को
महामाया मंदिर के
पुजारी पं. मनोज शुक्ला बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान भगवान विष्णु नारायण का
पूजन करें। दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाएं। आंगन में स्वास्तिक अथवा ऊं बनाकर
गन्ना, सिंघाड़ा, आंवला, शकरकंद व अन्य मौसमी फलों का भोग लगाकर पूजन
करें। प्रदोष काल के पश्चात तुलसी चौरे के बगल में शालिग्राम की प्रतिमा स्थापित
करके मौली धागा बांधे। मंडप सजाकर पूजा करें। तुलसी चौरे की परिक्रमा करके
सुख-समृद्घि की प्रार्थना करें।