वाराणसी। काशी के वयोवृद्ध साहित्यकार योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी वियोगी के द्वारा लिखित श्रृंगार व उसके पीर से उपजी तड़प पर आधारित गीत संग्रह मेरी पीर रही अनगायी तथा अयोध्या के महाकवि खुशीराम द्विवेदी 'दिव्य' द्वारा लिखित पुस्तक दिव्य दोहावली का लोकार्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठन उदगार के 64वें मासिक गोष्ठी के दौरान अतिथियों द्वारा किया गया।
स्याही प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक मेरी पीर रही अनगायी तथा शिवानी बुक एजेंसी द्वारा प्रकाशित दिव्य दोहावली पुस्तक का लोकार्पण रविवार को सरसौली भोजूबीर स्थित स्याही प्रकाशन कार्यालय में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व जिला विकास अधिकारी साहित्यकार डॉ डीआर विश्वकर्मा ने कहा कि साहित्यकार योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी के गीत संग्रह पुस्तक में भक्ति के सन्मार्ग की प्रेरणा हैं तो वही दिव्य जी की दिव्य दोहावली राष्ट्रवादीता व जीवन संवेदनाओं की तराजू पर सबसे भारी रचना है।
इस मौके पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न साहित्यकारों ने अपनी रचनाएं सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर जिला प्रशिक्षण अधिकारी दीनानाथ द्विवेदी 'रंग'ने कहा कि दोनों कवियों की श्रेष्ठ रचनाओं से लोग जीवन में मधुरता व विनयता की शिक्षा लेते रहेंगे ।
आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकार योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी का माल्यार्पण करते हुए उनको अंगवस्त्रम देकर सम्मानित भी किया गया। राज्य प्रशिक्षक के एल पथिक ने अपने सम्बोधन में पुस्तक से आम जन जीवन की परिभाषा का अस्तित्व मजबूत धरोहर बनेगी जो प्रेरणाप्रद होगी व्यक्त किया।
संचालन डॉ लियाकत अली द्वारा किया गया इस मौके पर वरिष्ठ कवि साहित्यकार हीरालाल मिश्र मधुकर ,आलोक तिवारी, पुस्तक के प्रकाशक व साहित्यकार छतिश द्विवेदी, सुनील कुमार सेठ, मधुबाला सिन्हा, कंचन लता चतुर्वेदी, समेत अनेक रचनाकार मौजूद रहे।