रायपुर। छत्तीसगढ़ में होने वाले तरह-तरह के अपराधों के बीच बच्चों के खिलाफ अपराध
के मामले में पिछले दो साल के मुकाबले 2024 में बढ़े हैं।
किसी भी आपराधिक व्यक्ति के लिए बच्चों को निशाना बनाना सबसे आसान होता है,
यही कारण है कि बच्चों के खिलाफ तीन साल में करीब 19 हजार मामले पुलिस में दर्ज किए गए हैं। दूसरी ओर देखा जाए, तो बच्चे भी किसी न किसी रूप में अपराध की घटनाओं में शामिल हो रहे हैं।
बच्चों द्वारा तीन साल में किए गए अपराधों की संख्या 6 हजार
से अधिक है।
आंकड़े चिंताजनक
बच्चों के खिलाफ अपराधों के आंकड़े
और भी गंभीर हैं। 2022 में 6325 मामले दर्ज हुए, जो 2023 में 5
प्रतिशत घटकर 5972 हो गए, लेकिन 2024 में यह संख्या बढ़कर 6474 हो गई, जो 2023 की तुलना में 8
प्रतिशत की वृद्धि और 2022 के स्तर को पार
करने का संकेत देता है। इनमें यौन शोषण, अपहरण, शारीरिक हिंसा और बाल श्रम जैसे अपराध प्रमुख हैं। कुल मिलाकर पिछले तीन
साल में बच्चों के खिलाफ 19 हजार से अधिक अपराध दर्ज किए गए
हैं।
बच्चे भी हो रहे हैं
अपराध में शामिल
राज्य पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के
अनुसार, बच्चों द्वारा किए गए
अपराध वर्ष 2022 में 2228, वर्ष 2023
में 1865 और वर्ष 2024 में
1963 दर्ज किए गए। वहीं, बच्चों के
खिलाफ अपराधों की संख्या 2022 में 6325, 2023 में 5972 और 2024 में 6474
रही। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बच्चों से संबंधित अपराधों का
ग्राफ उतार-चढ़ाव के साथ चिंताजनक बना हुआ है। पिछले तीन साल में बच्चों के हाथों 6
हजार से अधिक अपराध के मामले राज्य में दर्ज किए गए हैं।
इसलिए बच्चे बन रहे हैं
अपराधों का निशाना
बच्चों के खिलाफ अपराधों की वृद्धि
के पीछे सामाजिक असमानता, जागरूकता
की कमी और कमजोर कानूनी कार्रवाई प्रमुख कारण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बाल
विवाह, बाल श्रम और यौन शोषण जैसे अपराध अभी भी प्रचलित हैं।
शहरी क्षेत्रों में बच्चों का शोषण अपहरण और मानव तस्करी जैसे रूपों में सामने आता
है। परिवारों में बच्चों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता और सामुदायिक स्तर पर
निगरानी की कमी भी इन अपराधों को बढ़ाती है। इसके अलावा, कुछ
मामलों में माना जाता है कि पुलिस और प्रशासन की सुस्ती पीड़ित बच्चों को न्याय
दिलाने में बाधा बनती है।
मारपीट,
चोरी से लेकर हत्या जैसे गंभीर मामले
पुलिस मुख्यालय के आंकड़े बताते है
कि 2022 में बच्चों द्वारा अपराधों की
संख्या 2228 थी, जो 2023 में घटकर 1865 हो गई, यानी
लगभग 16% की कमी। यह कमी पुलिस की सख्ती, जागरूकता अभियानों और किशोर सुधार कार्यक्रमों का परिणाम हो सकती है।
हालांकि, 2024 में यह संख्या फिर से बढ़कर 1963 हो गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5% की वृद्धि दर्शाता है। इन अपराधों में चोरी, मारपीट,
नशे से संबंधित अपराध और कुछ मामलों में गंभीर अपराध जैसे हत्या तक
शामिल हैं।
इन कारणों से हो रहे हैं
ये अपराध
बच्चों द्वारा अपराध बढ़ने के पीछे
कई सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक
कारण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गरीबी, शिक्षा का अभाव,
पारिवारिक विघटन और नशे की लत प्रमुख कारक हैं। छत्तीसगढ़ के
ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को अपराध की ओर धकेलने में
सामाजिक अस्थिरता और बेरोजगारी भी भूमिका निभाती है। सोशल मीडिया और हिंसक सामग्री
का प्रभाव भी किशोरों को गलत दिशा में ले जा रहा है। इसके अलावा, किशोर न्याय प्रणाली में सुधार की कमी और पुनर्वास कार्यक्रमों का
अपर्याप्त होना भी अपराधों को बढ़ावा देता है।
बच्चों के खिलाफ अपराध
बच्चों के खिलाफ अपराधों के आंकड़े
और भी गंभीर हैं। 2022 में 6325 मामले दर्ज हुए, जो 2023 में 5%
घटकर 5972 हो गए। लेकिन 2024 में यह संख्या बढ़कर 6474 हो गई, जो 2023 की तुलना में 8% की
वृद्धि और 2022 के स्तर को पार करने का संकेत देता है। इनमें
यौन शोषण, अपहरण, शारीरिक हिंसा और बाल
श्रम जैसे अपराध प्रमुख हैं।