April 25, 2025


आत्मसमर्पण करें या गोली खाएं : कर्रेगुट्टा पहाड़ पर छिपे नक्सली दुविधा में, नीचे से कसता जा रहा शिकंजा, डिहाइड्रेशन का भी बढ़ा खतरा

बीजापुर। बीजापुर और तेलंगाना की सरहद पर पिछले चार दिनों से नक्सलियों के खिलाफ चल रहे सबसे बड़े ऑपरेशन के बीच 40 से ज्यादा जवान भीषण गर्मी के चलते डिहाइड्रेशन का शिकार हो गए। जिन्हें सेना के हेलीकॉप्टर के जरिए भद्राचलम ले जाया गया, जहां उनका उपचार जारी है।

अब बड़ा सवाल यह है कि, इस भीषण गर्मी, तपती धूप और 45 डिग्री तापमान के बीच चल रहे इस ऑपरेशन के दौरान क्या सिर्फ ऑपरेशन में शामिल जवान ही डिहाइड्रेशन का शिकार हो रहे हैं या नक्सली भी इसकी चपेट में आ रहे हैं?  जिन पहाड़ियों पर नक्सली छिपे हुए हैं वह पानी का बेहतर श्रोत है क्योंकि इन्हीं पहाड़ियों से होकर गुजरने वाली एक छोटी सी नदी उस इलाके में नम्बी, नीलम सराय और लंकापल्ली जैसे तीन जल प्रपातों का निर्माण करती है। इसीलिए उन पहाड़ियों में 12 महीने पानी की कोई कमी नहीं होती है। अभियान के चलते पहाड़ियों में मौजूद नक्सलियों के बीच भगदड़ मच चुकी है और वो बचने के लिए पानी से ज्यादा सुरक्षित रहने के ठिकाने तलाश रहे होंगे। 

बड़ी संख्या में नक्सली भी डिहाइड्रेशन का हो रहे शिकार 

सूत्रों के अनुसार, उन पहाड़ियों में मौजूद बड़ी संख्या में नक्सली भी डिहाइड्रेशन का शिकार हो चुके हैं और हो रहे हैं। दूसरी तरफ यह भी बताया जा रहा है कि चार दिनों से चल रहे इस ऑपरेशन के चलते नक्सली अब खाने और दान-दाने को तरसने लगे हैं। सूत्रों की माने तो भले ही नक्सलियों ने अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए करीब 4 महीनों का राशन लेकर कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में डेरा डाला था,पर इस अभियान के कारण अब वो राशन भी उनके किसी काम का नही रहा। नक्सलियों के सामने अब मरो या आत्मसमर्पण करो की स्थिति बनी हुई है। 

चारों ओर से घिरे नक्सली 

पहाड़ियों से नीचे उतरते हैं तो जवानों की गोलियों का शिकार हो जाएंगे और अगर जवानों से डर कर लंबे समय तक पहाड़ियों पर ही छुपे रहते हैं तो कहीं ना कहीं डिहाइड्रेशन का शिकार होकर मारे जाने का डर भी निश्चित ही नक्सलियों को सता रहा होगा। दूसरी ओर सरकार और जवान भी इस ऑपरेशन पर तब तक डटे रहने पर अड़े हैं जब तक वो उन पूरी पहाड़ियों पर कब्जा नहीं कर लेते जिन पहाड़ियों में इस समय नक्सली छिपे हुए हैं। 
 
नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर शांति वार्ता के पहल की कही बात 

ऐसा बताया जा रहा है कि, देश के मोस्ट वांटेड और करोड़ों के इनामी नक्सली कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर शरण लिए हुए हैं। जिसकी सूचना के आधार पर ही इस इलाके में देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया गया है। जवानों के बढ़ते दबाव और मोस्ट वांटेड नक्सली नेताओं के मारे जाने के डर से ही शायद आज इस अभियान के बीच नक्सली नेता रूपेश को एक प्रेस नोट जारी कर सरकार से यह अपील करनी पड़ी कि इस अभियान को तुरंत रोका जाए और शांति वार्ता की पहल की जाए। हो सकता है इन पहाड़ियों से अलग स्थानों पर मौजूद नक्सली नेताओं के इस बात की खबर है कि कर्रेगुट्टा के पहाड़ियों में मौजूद नक्सली नेता और अन्य अगर ऑपरेशन के दौरान बच भी जाते हैं तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार होकर मारे जा सकते हैं। 

इन बड़े नक्सलियों के मौजूदगी की है खबर 

माड़वी हिड़मा, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

दामोदर, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

बंडी प्रकाश, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

आजाद, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

चन्द्रानजे, सुजाता, कट्टाराम चन्द्र रेड्डी, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

विकल्प, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

विज्जो, उर्मिला, गंगा, मंगड्डू, अभय, सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) 

पापाराव, देवा, दंडकारण्य जोनल कमेटी (DKSZC)


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