रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने वर्षों
से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्राप्त करने की बाट जोह रही छत्तीसगढ़ की पबिया, पविया, पवीया जाति को अनुसूचित जनजातियों की सूची
में पाव जाति के साथ शामिल करने के लिए संवेदनशील पहल की है। मुख्यमंत्री ने इन
जातियों का नृजातीय अध्ययन प्रतिवेदन अनुशंसा सहित भारत सरकार के जनजाति कार्य
मंत्रालय को आगे की कार्यवाही के लिए भेजा है।
प्रदेश भर से आए पाव, पबिया, पविया, पवीया जाति के प्रतिनिधि मंडल ने विधायक श्री
रामकुमार यादव के नेतृत्व में आज विधानसभा के समिति कक्ष में मुख्यमंत्री श्री
विष्णु देव साय से मुलाकात कर उनकी इस संवेदनशील पहल के लिए आभार प्रकट किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रतिनिधि मंडल को संबोधित
करते हुए कहा कि आप लोगों की लंबे समय से अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल
होने की मांग थी। राज्य शासन द्वारा अनुशंसा सहित प्रतिवेदन भारत सरकार को भेजा
गया है। उम्मीद है इसका सकारात्मक परिणाम आएगा। उन्होंने बारिश के मौसम में प्रदेश
भर से रायपुर आने के लिए प्रतिनिधि मंडल को धन्यवाद दिया।
प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि
मध्यप्रदेश के समय उन लोगों के अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र बन रहे थे, लेकिन मात्रात्मक त्रुटि के कारण पिछले 22 वर्षों से
प्रमाण पत्र बनना बंद हो गया है, इसकी वजह से हमारे बच्चों
को अनुसूचित जनजाति वर्ग को मिलने वाले लाभ नहीं मिल पा रहे हैं। हमारे बच्चे
पढ़ाई-लिखाई में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा
भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय को अनुशंसा सहित प्रतिवेदन भेजने के लिए
धन्यवाद दिया।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि पूरे प्रदेश में इन
जातियों की जनसंख्या लगभग 22 हजार है। यूं तो
ये लोग पूरे प्रदेश में पाए जाते हैं लेकिन प्रमुख रूप से चंद्रपुर, रायगढ़, लैलूंगा, खरसिया,
पेंड्रा, मरवाही और जशपुर में रहते हैं।
छत्तीसगढ़ के आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
संस्थान द्वारा पाव, पबिया, पविया,
पवीया जाति का नृजातीय अध्ययन करने के बाद प्रतिवेदन तैयार किया है,
जिसमें इन जातियों को लक्षणों के आधार पर अनुसूचित जनजाति में शामिल
करने की अनुशंसा की गई है।
विधायक श्री रामकुमार यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री
श्री साय संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं। आज उपस्थित जाति के लोग वास्तव में आदिवासी
हैं, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है। इनके हित में
मुख्यमंत्री जी ने अच्छी पहल की है। उन्होंने समाज के सामाजिक भवन के लिए रायपुर
में जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने नजदीक से महसूस किया है जनजातियों का
दर्द
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय स्वयं
भी अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। उन्होंने बिरहोर, पहाड़ी कोरवा सहित
अनुसूचित जनजातियों के लिए अपने सार्वजनिक जीवन के प्रारंभ से काम किया है,
इसलिए वे जनजातियों का दर्द अच्छे से जानते हैं।