भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल
में 24 और 25 फरवरी को
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित की जा रही है. इसमें देश-विदेश से निवेशक शामिल होंगे.
70 बड़े उद्योगपति-निवेशक शामिल होने आ रहे हैं. इनमें मुकेश
अंबानी, गौतम अडाणी, कुमार मंगलम बिड़ला
सहित कई बिजनेसमैन शामिल होंगे. इन्हें उपहार के रूप में ‘इंडियन
मोनालिसा’ यानी ‘शालभंजिका’ की रेप्लिका दी जाएगी.
दीपक
विश्वकर्मा की निगरानी में हो रहा निर्माण
जीआईएस में आने वाले मेहमानों को विदाई
के तौर पर यादगार तोहफा दिया जाएगा. पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सभी मेहमानों
को ‘इंडियन मोनालिसा’ कहीं जाने वाली ‘शालभंजिका’ की
पत्थर की प्रतिकृति भेंट की जाएगी. ग्वालियर के मोती महल परिसर स्थित रीजनल आर्ट एंड
क्राफ्ट डिजाइन सेंटर में शालभंजिका का निर्माण किया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकार
दीपक विश्वकर्मा अपने 15 सहयोगियों के साथ लगातार 24 घंटे काम कर रहें हैं.
मिंट
स्टोन की लाइफ 1000 साल
तक होती है
मिंट स्टोन से 7
दिनों में 7 इंच लंबी 70 रेप्लिका बनाई जाएंगी. ग्वालियर मिंट स्टोन की लाइफ 1000 से ज्यादा साल तक रहती है. अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया
कि ‘शालभंजिका’ की प्रतिकृति को बनाते समय
मूर्ति में मुस्कान का खास ध्यान रखा जा रहा है. इसकी मुस्कान का खास तौर पर बारीक
काम हो रहा है. दीपक के मुताबिक यह उनके लिए भी गौरव की बात है की देसी-विदेशी मेहमानों
को ग्वालियर की बनी ‘शालभंजिका’ भेंट की
जाएगी. इससे दुनियाभर इंडियन मोनालिसा का प्रचार-प्रसार होगा.
शालभंजिका
के बारे में भी जान लीजिए
‘शालभंजिका’ की प्रतिमा ग्वालियर की गुजरी महल संग्रहालय में रखी है. ये ऐसी महिला की प्रतिमा
है जो अपने शारीरिक सौंदर्य और मुस्कान की वजह से देश-विदेश में सराही गई है. मूर्ति
विदिशा के पास ग्यारसपुर गांव में खुदाई के दौरान मिली थी. पत्थर की मूर्ति होने पर
भी उसके चेहरे पर मुस्कान को साफ देखा जा सकता है.
चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान के कारण इसे
‘इंडियन मोनालिसा’ भी कहा जाता है. ये प्रतिमा 10 वीं शताब्दी की है. पहले
इस प्रतिमा को देश-विदेश में प्रदर्शनियों के लिए भेजा जाता था. लेकिन सुरक्षा कारणों
से इस मूर्ति को पिछले 15 साल से विदेश भेजना बंद कर दिया गया.
इस प्रतिमा को कई देशों में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में प्रदर्शित किया
जा चुका है.