नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पहली बार नक्सलियों ने थोक में सरेंडर
किया है। नक्सलियों की कथित राजधानी कुतुल लाल आतंक से मुक्त हो रहा है। दवाई शाखा
अध्यक्ष सहित 29 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
‘माड़ बचाओ अभियान’ के दौरान सुरक्षाबलों को ऐतिहासिक सफलता मिली है। आत्मसमर्पित माओवादियों
में 22 पुरूष और 7 महिला माओवादी शामिल
हैं जो क्षेत्र में सक्रिय रूप से माओवादियों के लिए काम करते थे। इस तरह लगातार
हो रहे आत्मसमर्पण से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। संगठन के विचारों से मोह भंग,
मिली निराशा और संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद के चलते नक्सली
आत्मसमर्पित कर रहे हैं। सभी माओवादियों ने कहा कि वे समाज के मुख्यधारा में जुड़कर
सामान्य जीवन जीना चाहते हैं।
लगातार हो रहे विकास
कार्यों से प्रभावित हो रहे नक्सली
एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि,
माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण के पीछे माड़ और नारायणपुर जिले में
चलाया जा रहा विकास कार्य बड़ा कारण रहा। तेजी से बनती सड़कें और गावों तक पहुँचती
विभन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रभावित किया है। संगठन के विचारों से मोहभंग, मिली निराशा, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद इनके
आत्मसमपर्ण का बहुत बड़ा कारण है।
छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास
नीति से मिली नई उम्मीद
छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ने
उन्हें नई उम्मीद दी है। संगठन के भीतर शोषण और क्रूर व्यवहार से बाहर निकलकर समाज
के मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन बिता सकते हैं। सुरक्षा बलों के लगातार
अंदरूनी क्षेत्रों में कैम्प स्थापित करने, क्षेत्र
में चलाए जा रहे आक्रामक अभियानों और मारे जाने के भय ने भी इन्हें संगठन छोड़ने के
लिए प्रेरित किया है। आत्मसमर्पित माओवादी कुतुल एरिया कमेटी क्षेत्रान्तर्गत
सक्रिय रूप से कार्यरत रहे हैं।
नक्सल उन्मुलन नीति के
तहत दी जाएंगी सुविधाएं
उन्होंने बताया कि,
2024 से अब तक 71 से अधिक बड़े-छोटे कैडर के
माओवादी का आत्मसमर्पण, 60 से अधिक माओवादियों का मारा जाना
और 50 माओवादियों की गिरफ्तारी के परिणामस्वरूप माओवादी
संगठन कमजोर हो रहा है। आत्मसमर्पण करने पर सभी माओवादियों को प्रोत्साहन
राशि 25 हजार का चेक प्रदाय किया गया और उन्हें नक्सल
उन्मुलन नीति के तहत मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलवाया जाएगा।