रायपुर : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सांसद राहुल गांधी के
नेता प्रतिपक्ष बनने से लोकतंत्र मजबूत हुआ। सरकार की मनमानी पर रोक लगेगी और सदन
में गरीब जनता, किसान युवा, मध्यवर्गीय, सभी वर्गों की आवाज बुलंद होगी। संवैधानिक संस्थानों पर नियुक्ति में जो
संघ समर्थित लोगों को मनमानी तरीके से बैठाया जाता था वह अब नहीं होगा, संविधान सुरक्षित होगा।
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कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार के मनमानी
तानाशाही नीतियां और जन विरोधी कानूनों के खिलाफ सदन से लेकर सड़क तक आवाज उठा रहे
हैं। भारत जोड़ो यात्रा एवं भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हजारों किलोमीटर से अधिक की
यात्रा करके मोदी सरकार के द्वारा उत्पन्न की गई डर भय को खत्म किया है। सरकारी
तंत्रों का दुरुपयोग कर जो दबाव बनाया जाता था। उसके खिलाफ खड़े हुए हैं हर वर्ग की
आवाज़ उठाये है। अब सदन में ज्यादा मजबूती के साथ जो विपक्ष की बड़ी भूमिका जनता के
पक्ष में होती है, उसका निर्वहन करेंगे।
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कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बीते 10 साल में मोदी सरकार ने विपक्ष के विरोध को दरकिनार करके
चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सदन में जो किसान विरोधी कानून लाया, श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन किये गये, वन
अधिकार अधिनियम में आदिवासी विरोधी प्रावधान थोपे गये उसके साथ और भी जो अनुचित
बदलाव किए हैं, जो जनविरोधी विधेयक लाए हैं जिससे देश की
जनता परेशान हुई है ऐसे कानूनों पर अब रोक लगेगी। वे सब लोकतंत्र के मर्यादाओं के
अनुसार चलेगा, मौलिक अधिकार सुरक्षित होंगे और सत्ताधारी दल
मनमानी नहीं कर पायेगा।
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कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बीते 10 वर्ष से सदन में बहुमत के दम पर सत्ताधारी दल ने जो
मनमानी किया है, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को जो तहस-नहस किया
है, अब वह नहीं चलेगा। पूरा देश ने देखा है किस प्रकार से
तानाशाही हुकूमत के खिलाफ खड़े होने पर राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को षडयंत्र
पूर्वक खत्म किया गया था, जिसकी बाद में भी बहाली हुई। आज़ादी
के बाद पहली बार जनता की आवाज उठाने वाले 78 सांसदों को
निलंबित कर दिया गया था। वह विपक्ष के नेता जब सदन में बोलते थे तो माइक को म्यूट
कर दिया जाता था। विपक्ष की आवाज को कुचलने के लिए किस प्रकार से तानाशाही
कार्यवाही की जाती रही है, अब यह सब नहीं चलेगा।
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कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बीते 10 साल में विपक्ष के सलाह और विरोध को दरकिनार कर जिस
प्रकार से सीबीआई के डायरेक्टर,सेंट्रल विजिलेंस के कमिश्नर,
मुख्य चुनाव आयुक्त, लोकपाल या लोकायुक्त,
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य, भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति
की गई थी। सत्ताधारी दल ने अपने चहेते लोगों को पद में बैठाकर इन संवैधानिक
संस्थाओं पर अतिक्रमण किया था। इन संस्थाओं के माध्यम से अपनी राजनीतिक
विरोधियों को कुचलने का षड्यंत्र रचा गया था। वह अब नहीं चलेगा इन सभी की
नियुक्तियों में विपक्ष की बड़ी भूमिका होगी और तय माप डंडों के आधार पर ही
नियुक्तियां होगी।