रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने देश में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि महंगी गैस, महंगा तेल, थोक और खुदरा महंगाई आजादी के बाद सर्वोच्च शिखर पर है, सिर्फ सत्ता की भूख में मोदी सरकार आम जनता की कमर तोड़ रही है, फिर भी महंगाई से देशवासियों को लूटने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ रही है। पेट्रोल-डीजल 100 के पार, रसोई गैस 1000, खाने का तेल 200 के पार। आम जनता बेबस और लाचार है पर मोदी सरकार केवल अपने चांद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे की सोच रही है। मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी विगत 7 साल में 258 परसेंट बढ़ाया है और डीजल पर 820 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इन तमाम आंकड़ों के बावजूद मोदी सरकार द्वारा महंगाई को झूठलाया जाना यह प्रदर्शित करता है कि महंगाई को काबू करना अयोग्य मोदी सरकार के बस में नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि 2 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने की बात करने वाली सरकार ने करोड़ों हाथों से रोजगार छीन लिया है। बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा और उनके परिवार इस महंगाई के सामने हार चुके हैं। 2017 में बेरोजगारी दर 4.77 फीसदी थी, जो 2018 में 7, 2019 में 7.6, 2020 में 9.1, 2021 में 7.9 और 2022 में 8.8 फीसदी है। महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी मार झेल रही जनता दिन-ब-दिन गरीब होते जा रही है और मोदी सरकार के साथी उद्योगपति हर दिन संपत्ति में इजाफे का रिकॉर्ड बना रहे हैं। यूपीए सरकार के समय 2004 से 2014 के बीच 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए थे। मोदी सरकार ने 2021 तक 23 करोड़ लोगों को फिर से गरीबी के अंधेरे में धकेल दिया। पूंजीपतियों की उंगलियों पर नाचने वाली मोदी सरकार के राज में देश का 77 प्रतिशत धन, सिर्फ एक फीसदी पूंजीपतियों के पास है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष में चार बार रेपो रेट बढ़ाना यह प्रमाणित करता है कि मोदी सरकार महंगाई को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम रही है। 100 दिन में महंगाई कम करने का झांसा देकर केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने अब जनता के प्रति जवाबदेही से मुंह मोड़ लिया है। भुखमरी इंडेक्स में भारत लगातार नीचे आ जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार देश के 45 करोड़ युवा गलत आर्थिक नीतियों से हताश होकर नौकरी की तलाश ही बंद कर चुका है। मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था तेजी से उल्टे पांव भाग रही है। जीडीपी लगातार लक्ष्य और अनुमान से कम हो रहा है। नई नौकरी तो दूर लोगों की लगी लगाई नौकरी छीनी जा रही है बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से शिखर पर है, लेकिन मोदी सरकार आत्ममुग्धता से बाहर ही नहीं आ पा रही है। अगर देश की सरकार ही जिम्मेदारी नहीं लेगी तो समस्या का समाधान कैसे होगा? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मोदी सरकार के राज में रूपया नीचे गिरते जा रहा। रुपया कमजोर होने का मतलब है। विदेश से समानों आयात की लागत बढ़ना। जैसे - कोई सामान विदेश से 1 डॉलर में आता है तो 2013 में हमें 58 रुपए चुकाने होते थे वहीं, अब इसी सामान के 82 रुपए चुकाने होंगे, पूरे 9 रुपए ज्यादा। जब कोई सामान विदेश से 9 रुपए ज्यादा कीमत पर देश में आएगा, तो लोगों को भी महंगे दाम पर मिलेगा। जैसे - भारत 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है, अब यह महंगे दाम पर भारत आएगा। तेल महंगा होगा, तो महंगाई बढ़ेगी; आख़रि डीज़ल के ट्रकों से ही ज़्यादातर माल (फल, सब्ज़ी, खाद्यान्न, और अन्य चीजें) ढोए जाते हैं, तो उसकी लागत बढ़ जाएगी। इसकी वजह से चीजें महंगी होंगी।