रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि ननकी राम कवंर का बयान बेहद ही आपत्तिजनक है ननकी राम कवंर रमन सरकार के पाप को छुपाने के लिये अपने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विफलता को छुपाने के लिये गृहमंत्री के रूप में अपनी अकर्मण्यता और नकामी को छुपाने के लिये यह बयान दे रहे है। गृहमंत्री रहते उनके पास ऐसी कोई सूचना थी तो क्या कार्यवाही किये? उन्होंने एनआईए के समक्ष उन्होंने जांच आयोग के समक्ष क्या इस संदर्भ में कभी कोई बयान दिया था? ननकी राम कवंर झीरम मामले में स्तरहीन राजनीति करना बंद कर दे। कांग्रेस 31 से अधिक नेताओ को खोया है। हमारे कांग्रेस पार्टी के प्रथम पीढ़ी के सारे नेताओं की शहादत हुयी थी। ननकी राम कवंर गृहमंत्री थे हमारे नेताओं के परिवर्तन यात्रा को मिलि सुरक्षा को किसने हटाया? क्या गृहमंत्री की नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है। जब विकास यात्रा के लिये हजारो प्रदेश के जवानो को तैनात किया जा सकता था तो हमारे परिवर्तन यात्रा के लिये जो पुलिस के संज्ञान में थी उस परिवर्तन यात्रा के सुरक्षा व्यवस्था को क्यो हटाया गया? कही ऐसा तो नहीं सारे षडयंत्र में पूर्व मुख्यमंत्री के साथ-साथ ननकी राम कवंर भी शामिल थे? प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर गृह मंत्री रहते झीरम हत्या कांड की सच्चाई को उजागर नहीं कर पाये जिन्होंने अपनों को खोया है उन्हें न्याय नही दिला पाये उनके जख्मों पर मरहम नही लगा पाये। अब भाजपा की सत्ता जाने के बाद झीरम हत्या कांड के पीड़ितों के जख्मों को कुरेद रहे हैं झीरम हत्या कांड एक राजनीतिक षड्यंत्र हत्याकांड था इस घटना के बाद पुनः प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और झीरम हत्या कांड की जांच को प्रभावित किया गया। पूर्व की रमन सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री के द्वारा कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा से सुरक्षा हटाने के बाद झीरम हत्या कांड हुआ जिसमें कांग्रेस की प्रथम पंक्ति के नेताओं एवं सुरक्षा में लगे जवानों की शहादत हुई थीं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम हत्या कांड की जांच के लिये एसआईटी का गठन किया गया तब नेता प्रतिपक्ष रहे धरमलाल कौशिक न्यायालय में जाकर झीरम हत्या कांड की एसआईटी जांच पर रोक लगाने की मांग करते हैं केंद्र की भाजपा की सरकार राज्य सरकार को एनआईए की जांच रिपोर्ट नहीं देती है एनआईए ने झीरम हत्या कांड के पीड़ितों का बयान नहीं लेती है इससे समझ में आता है कि इस षड्यंत्र के पीछे किसका हाथ है।