भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मछुआरों के लिए क्रियान्वित की जा
रही योजनाओं का लाभ उनको सुगमता से मिले यह सुनिश्चित किया जाए। समृद्ध किसान की
अवधारणा को साकार करने के लिए प्रयास करें। मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग
में बड़ी संभावनाएं हैं। मछुआरों की आय और कारोबार बढाने के लिए अन्य राज्यों और
देश के बाहर भी अध्ययन किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुख्यमंत्री निवास पर
मछुआ पंचायत का आयोजन करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज मंत्रालय में
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मछुआ कल्याण
एवं मत्स्य विकास राज्य मंत्री श्री नारायण सिंह पंवार, मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा
तथा विभागीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
मत्स्य पालन से अधिकाधिक लोगों को रोजगार मिले। विभाग में मत्स्य बीज उत्पादन, विस्तार, मछुआ प्रशिक्षण, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, मुख्यमंत्री मछुआ
समृद्धि योजना आदि संचालित हैं। ग्रामीण तालाब, सिंचाई जलाशय,
मत्स्य महासंघ के जलाशयों में मत्स्य बीज और मत्स्य उत्पादन हो रहा
है। विभाग में 96 हजार 752 मछुआ सहकारी
समितियां हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राहियों को
समितियों में पंजीकृत करने के दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
भोपाल में एक्वा पार्क का निर्माण समय पर पूरा किया जाए। पर्यटकों की सुविधा को
ध्यान में रखते हुए यह कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। प्रदेश में बीज हैचरी यूनिट्स
की संख्या में वृद्धि की जाए। निजी क्षेत्र को भी इससे जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
मत्स्य उत्पादन के लिए भविष्य की कार्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि
केन-बेतवा, पार्वती-काली सिंध
जैसी परियोजनाओं को ध्यान में रखकर जल संरचनाएं तैयार की जाएं। किसान क्रेडिट
कार्ड वितरण में देश में मध्यप्रदेश का प्रथम स्थान है। मुख्यमंत्री यादव ने कहा
कि मत्स्य उत्पादन लगातार बढ़े इसके लिए बेहतर प्लान तैयार करें। मत्स्य उत्पादन से
राजस्व में बढ़ोतरी के प्रयास किये जाएं।
विभाग की उपलब्धियाँ
विभाग में 6 माह में एक दिसम्बर 2023 से 31
मई 2024 तक 2 लाख 23
हजार टन मत्स्योत्पादन किया गया है। इसके अलावा 18.56 करोड़ स्टेण्डर्ड फ्रॉय मत्स्य बीज का उत्पादन भी किया गया है। वर्ष 2023-24
में पिछले वर्ष की तुलना में 11. 74 प्रतिशत
अधिक मत्स्योत्पादन किया गया है। वर्ष 2023-24 में 3.
82 लाख मैट्रिक टन मत्स्योत्पादन हुआ। यह विगत वर्षों में सर्वाधिक
है। प्रदेश में 4. 40 लाख हेक्टर जलक्षेत्र मत्स्य पालन
अंतर्गत शामिल है।