रायपुर। प्रदेश में लगातार बिजली की खपत में इजाफा
हो रहा है। खपत 65 सौ मेगावाट के पार जाने की संभावना है।
लेकिन उत्पादन की क्षमता 2960 मेगावाट है, लेकिन हमेशा 22 से 25 सौ
मेगावाट ही उत्पादन होता है। बिजली की पूर्ति करने के लिए सेंट्रल सेक्टर या फिर
निजी उत्पादकों से बिजली खरीदनी पड़ती है। अब छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी कोरबा
में 660 मेगावाट के दो नए संयंत्र लगाने लिए की मंजूरी
राज्य सरकार से ले चुकी है। इसे लेकर प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है। इसका टेंडर
भी हो गया है।
इसी के
साथ पानी से जो 7700 मेगावाट बिजली बनाने की योजना है, उसमें से एक योजना
में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले में हैं जहां 35 सौ
मेगावाट बिजली बनाने की योजना प्रारंभ होगी। छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद
पहली बार छत्तीसगढ़ राज्य उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम में 660 मेगावाट के दो संयंत्र लगेंगे। इसके पहले सबसे बड़े दो संयंत्र 500-500
मेगावाट के मड़वा में लगे थे। कोरबा पश्चिम में पॉवर कंपनी के पास
अपनी जमीन भी है। यहां 60 साल पुराने 50 मेगावाट के चार और 120 मेगावाट के दो संयंत्र
प्रदूषण के कारण बंद हो चुके हैं। अब उसी स्थान पर नए संयंत्र लगाने की तैयारी है।
इसे लेकर उत्पादन कंपनी की तैयारी अंतिम चरण में है।
पानी से
पैदा होगी 7700 मेगावाट बिजली
पानी से
बिजली बनाने के लिए पांच स्थानों का चयन किया गया है। इसमें हसदेव बांगो कोरबा और
सिकासेर बांध गरियाबंद में 12-12 सौ मेगावाट का प्लांट लगेगा। जशपुर के डांगरी में 14
सौ मेगावाट और रौनी में 21 सौ मेगावाट का
प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए तैयारी हो गई है। पहले चरण में मुख्यमंत्री
विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर में 35 सौ मेगावाट बिजली का
उत्पादन पानी से किया जाएगा। इसी के साथ बलरामपुर के कोटपल्ली में 18 सौ मेगावाट का प्लांट लगेगा। इन स्थानों पर पंप हाइड्रो योजना के तहत 7700
मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
लगातार
बढ़ रही खपत
जिस तरह
से तेजी से प्रदेश में उपभोक्ताओं की संख्या में इजाफा हो रहा है, उससे आने वाले समय में बिजली की बहुत
ज्यादा जरूरत होगी। आज उपभोक्ताओं की संख्या करीब 65 लाख हो
गई है। पहले बिजली की खपत रोज तीन हजार मेगावाट से भी कम रहती थी, आज खपत छह हजार से ज्यादा हो रही है। इस साल फरवरी में ही खपत छह हजार
मेगावाट तक चली गई है। इस साल गर्मी में खपत के 65 सौ
मेगावाट के पार जाने की संभावना है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने करीब दो दशक की खपत
को देखते हुए ही पॉवर कंपनी तो योजना बनाने के निर्देश दिए हैं।