रायपुर : स्टील उद्योगों को बिजली बिल में राहत को घोटाला बताना
भाजपा सरकार की घटिया मानसिकता है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील
आनंद शुक्ला ने कहा कि बिजली बिल के दाम बढ़ाकर साय सरकार ने आम उपभोक्ता सहित
उद्योगों और किसानों की कमर तोड़ने में लगी है। ऊपर से पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा
दी गयी रियायतों को घोटाला बताकर अपनी नाकामियों पर से पर्दा डालने का प्रयास है।
कोरोना काल में जब उद्योग, व्यापार बंदी के कागार पर खड़े थे
तब कांग्रेस की भूपेश सरकार इन उद्योगों में काम करने वाले 2 लाख से अधिक छत्तीसगढ़िया मजदूरों की रोजी-रोटी बचाने के लिये उद्योगों को
बिजली बिल में रियायत दिया ताकि उद्योग बंद न हो और मजदूरों को उनका रोजगार मिलता
रहे। सरकार के द्वारा दिये गये विभिन्न रियायतों को फायदा यह हुआ कि जब देश में
कोरोना काल में उत्पादन घट गया, आर्थिक मंदी आ गयी छत्तीसगढ़
इस आर्थिक मंदी से अछूता रहा।
प्रदेश
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी
की सरकार तो आम उपभोक्ताओं को मिल रहे 400 यूनिट तक के बिजली बिल के छूट को भी समाप्त करने का
षड़यंत्र रच रही है। किसी दिन सरकार के तरफ से छूट आ जायेगा कि 45 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 4000 करोड़ से अधिक का छूट
देकर पूर्ववर्ती सरकार ने घोटाला कर दिया। अतः बिजली के दामों में छूट को समाप्त
किया जाता है। अपनी नाकामी तथा आर्थिक कुप्रबंधन को पूर्ववर्ती सरकार पर डालना
भाजपा सरकार की फितरत बन गयी है। सरकार का वित्तीय प्रबंधन फेल हो चुका है। 7
माह में 28000 करोड़ रू. साय सरकार ने कर्जा ले
लिया है। सारी जनहित की योजनाओं को बंद कर दिया। अब उपभोक्ताओं को मिलने वाली
रियायत को घोटाला बताकर अपनी सरकार के द्वारा बिजली के दाम बढ़ाने के निर्णय को सही
ठहराने की साजिश की जा रही है।
प्रदेश
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़
में मांग से अधिक मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की क्षमता है लेकिन भारतीय जनता
पार्टी की साय सरकार आने के बाद से विद्युत का उत्पादन और आपूर्ती दुर्भावना
पूर्वक बाधित किया जा रहा है। सर्वे के आधार पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने हर
साल लगभग साढ़े 7 प्रतिशत की दर से बिजली के डिमांड बढ़ने का अनुमान लगाते हुए कोरबा पश्चिम
में 1320 मेगावाट संयंत्र की स्थापन के लिए आधारशिला रखी थी
जिसे भाजपा की सरकार आने के बाद से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। 2003 से 2018 तक भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार हर साल बिजली
की दरों में वृद्धि की एवं 15 वर्षो में लगभग 300 प्रतिशत अर्थात् बिजली की दर में तीन गुना वृद्धि की गयी थी, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल को विभाजित कर पांच कंपनी बनाकर उसका आर्थिक
बोझ जनता के ऊपर डाला था, अब वही दौर फिर से शुरु हो गया है।
छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पिछली सरकार के घाटों को पाटते हुये
बिजली बिल हॉफ योजना के अंतर्गत 45 लाख से अधिक घरेलू
उपभोक्ताओं को लगभग 4000 करोड़ रू. सब्सिडी देकर बिजली के
मामले में बहुत बड़ी राहत दी है। वहीं किसानों को 5 एचपी
निःशुल्क बिजली, बीपीएल के उपभोक्ताओं को 40 यूनिट तक मुफ्त बिजली, अस्पतालों, उद्योगों को सस्ती दर पर बिजली देकर राहत पहुंचाई है। भाजपा की सरकार आने
के बाद बिजली कटौती शुरू हो गई और बिल दुगुना आने लगे।