महासमुंद : मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज बसना
विकासखंड के गढ़फुलझर में बाबा बिसाशहे कुल कोलता समाज द्वारा आयोजित बाबा बिसाशहे
कुल कोलता समाज वार्षिक स्नेह सम्मेलन व बंधु मिलन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस
दौरान मुख्यमंत्री श्री साय रामचंडी मंदिर पहुंच कर पूजा-अर्चना की और
प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। साथ में छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट
मंत्री श्री दयाल दास बघेल, श्री ओ.पी. चौधरी,
सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी, बसना विधायक
श्री सम्पत अग्रवाल, महासमुंद विधायक श्री योगेश्वर राजू
सिन्हा, सरायपाली विधायक श्रीमती चातुरी नंद मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि कोलता समाज
द्वारा आयोजित गरिमामय कार्यक्रम मे शामिल होना सौभाग्य की बात है। सौभाग्य है कि
आप सबका दर्शन लाभ लेने आए है। उन्होंने कोलता समाज को रामचंडी दिवस और शरद
पूर्णिमा की बधाई दी। कोलता समाज द्वारा मुख्यमंत्री का हुलहुली बजाकर स्वागत किया
गया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह समाज बड़ा शिक्षित, समृद्ध है। यह समाज भारतीय समाज, संस्कृति एवं
परंपरा को लेकर चलने वाला समाज है, जो दूसरे समाज को प्रेरणा
देने वाला समाज है, कृषक समाज है। उन्होंने कहा कि ओडिशा की
संस्कृति प्राचीन संस्कृति है और छत्तीसगढ़ मुख्य रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से इस राज्य से जुड़ा है। दोनों प्रदेश के
लोगों का रोटी-बेटी का संबंध है। दोनों के अचार-विचार मिलते हैं।
श्री साय ने कहा कि मोदी जी की गारंटी के अनुरूप हम
काम कर रहे है। तेंदूपत्ता संग्रहण के माध्यम से 13 लाख परिवारों को
लाभ पहुंचाया जा रहा है, जिससे आदिवासी और वनवासी समुदायों
की आजीविका को बढ़ावा मिल रहा है। रामलला दर्शन योजना से लाखों श्रद्धालुओं को
धार्मिक यात्रा और दर्शन की सुविधा दी जा रही है, जिससे
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने युवाओं से
नशा के खिलाफ जागरूक होने की अपील की, जिससे समाज स्वस्थ और
प्रगतिशील बन सके। उन्होंने सभी को शासकीय योजना का लाभ लेने आह्वान भी किया और
कहा कि समाज के सभी वर्ग सामने आएं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने गढ़फुलझर मे सर्व समाज मंगल
भवन के लिए 50 लाख रूपये की घोषणा की। उन्होंने
कहा कि रामचंडी गढ़ फुलझर क्षेत्र को पर्यटन के रूप मे विकसित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली सड़क को बेहतर और उन्नत बनाया
जाएगा, जिससे परिवहन और संपर्क में सुधार होगा, और दोनों राज्यों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रभारी मंत्री श्री
दयाल दास बघेल ने सभी समाज के लिए सर्व मंगल भवन के लिए घोषणा के लिए अनुरोध किया।
इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने
21 क्विंटल धान की खरीदी का प्रबंध किया है, साथ ही किसानों को बोनस भी प्रदान किया जा रहा है। 18 लाख गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराने की योजना है। 9 लाख 25 हजार गरीबों को पहली किश्त वितरित की गई है। 70
लाख महिलाओं (दीदियों) को हर महीने 1,000 रुपये
की सहायता दी जा रही है। ऐसे मुख्यमंत्री का अभिनन्दन है।
सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी ने कहा कि यहां मौजूद
होना सौभाग्य की बात है। इस अवसर पर उन्होंने उड़ीसा और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली
सड़क के उन्नयन की मांग की।
बसना विधायक श्री सम्पत अग्रवाल ने कहा कि रनेश्वर
रामचंडी मंदिर सिद्ध मंदिर है। यहाँ जो भी मन्नत मांगी जाती है पूरी होती है। यह
क्षेत्र आदिवासी राजा का गढ़ रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप
मे विकसित करने और कोरिडोर बनाने की मांग की है। पद्मपुर से गढ़फुलझर सड़क को
क़ृषि महाविद्यालय खोलने सर्व जन मंगल भवन, 100 बिस्तर
अस्पताल, बसना मे ट्रामा सेंटर, अधूरे
जोक परियोजना, फुलवारी ग्राम को राजस्व रिकॉर्ड मे दर्ज करने
की मांग उनके द्वारा की गई।
कार्यक्रम में पूर्व सांसद श्री चुन्नी लाल साहू, पूर्व राज्य मंत्री श्री पूनम चंद्राकर, कलेक्टर
श्री विनय कुमार लंगेह, पुलिस अधीक्षक श्री आशुतोष सिंह,
जिला पंचायत सीईओ श्री एस. आलोक, अपर कलेक्टर
श्री रवि कुमार साहू सहित समाज के पदाधिकारी, सदस्य और बड़ी
संख्या मे श्रद्धांलुगण मौजूद थे।
मान्यता है कि प्रभु श्रीराम जी द्वारा रावण से रण
में विजय पाने हेतु देवी की 9 दिन तक देवी की
उपासना की गई थी। राम साधक के रूप के कठोर साधना कर चंडी को प्रसन्न किये, उनसे विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त किया। उसी समय से देवी के उस स्वरुप
का नाम रनेश्वर रामचंडी पड़ा। माता रनेश्वर रामचंडी बाबा बिशा सहे कोलता समाज की
कुल देवी के रूप में फुलझर के गढ़ में प्रतिष्ठित हैं। जहाँ एक और राजा तालाब और
एक और रानी तालाब है। यहाँ आदिवासी भैना राजा का राज्य था. जिन्होंने गुरु नानक
देव जी को 4 एकड़ भूमि देकर एवं गांव का नाम नानक सागर कर
सम्मानित किया। सन 2004 में रनेश्वर रामचंडी मंदिर में प्राण
प्रतिष्ठा हुई। तब से प्रत्येक वर्ष रामचंडी दिवस का आयोजन धूमधाम से होता हैं। यह
आयोजन का 20वा वर्ष है। छत्तीसगढ़ में 306, गांव में कोलता समाज निवासरत है। जिसे 4 अंचल में
विभाजित किया गया है, जिसके अंतर्गत 30 शाखा सभा आते हैं, प्रत्येक 100, व्यक्ति में एक ग्राम प्रतिनिधि होते हैं. कोलता समाज प्रमुख रूप से क़ृषि
कार्य करते हैं. सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और परंपरा तथा जड़ से जुड़े रहने वाले
होते हैं। शिक्षा के प्रति विशेष आग्रह रखने वाले, धार्मिक
तथा सेवाभावी होते हैं।
रामचंडी दिवस में छत्तीसगढ़ के 8 तथा ओड़िसा
के 12 जिले के लोग उपस्थित होते होते हैं. इस कार्यक्रम में
कोलता समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी उपस्थित होते हैं। यह पर्व और माता का यह
स्वरुप शक्ति और मर्यादा का समन्वित रूप है।