रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित साइंस
कॉलेज ग्राउंड परिसर में आज *प्रथम छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का भव्य आयोजन
किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री श्री
विष्णु देव साय ने किया। कार्यक्रम में प्रदेश की पारंपरिक वन संपदा, औषधीय उत्पादों और सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से
विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल और प्रदर्शनी लगाई गई थी। मुख्यमंत्री ने इन स्टॉलों
का भ्रमण कर उत्पादों की जानकारी ली और कलाकारों व कारीगरों के प्रयासों की सराहना
की। इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप भी उपस्थित थे।
पारंपरिक औषधियों की जानकारी
प्राप्त की
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ वैद्य संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री दशरथ
नेताम द्वारा प्रदर्शित पारंपरिक औषधियों का अवलोकन किया। श्री नेताम ने बताया कि
ये औषधियाँ जंगलों से विशेष रूप से चुनकर लाई गई जड़ी-बूटियों से तैयार की जाती
हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत प्रभावी हैं। उन्होंने इन
औषधियों की निर्माण प्रक्रिया और उनके उपयोग के लाभों पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री
ने इन पारंपरिक विधियों के संरक्षण और प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।
महिला स्व-सहायता समूहों के
उत्पादों की सराहना
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी मर्यादित संघ के
स्टॉल पर जाकर विभिन्न वन-आधारित उत्पादों जैसे जशपुर के हैंडमेड ग्रीन टी,
हर्बल च्यवनप्राश, और बस्तर क्षेत्र के
आदिवासी समुदाय द्वारा तैयार किए गए शुद्ध हर्बल उत्पादों का अवलोकन किया।
उन्होंने ‘हर्बल छत्तीसगढ़’ ब्रांड के
तहत तैयार शहद, रागी-कोदो कुकीज, आँवला
कैंडी, और जामुन रस जैसे उत्पादों को देखकर हर्ष व्यक्त
किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “इन हर्बल उत्पादों को बढ़ावा
देने से न केवल स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि यह
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगा।”
लोक कलाकारों के अनोखे प्रदर्शन की
प्रशंसा
मुख्यमंत्री ने देवरी (आरंग) के मोहरी वादक श्री विशाल राम यादव और
कोलिहापुरी, दुर्ग के चिकारा वादक श्री मनहरण दास बंजारे के
लोक वाद्य प्रदर्शन का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पारंपरिक लोक
कलाएँ हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं, जिन्हें
प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने दोनों कलाकारों को उनके संगीत के प्रति
समर्पण के लिए बधाई दी।
रजवार कला के भित्ति चित्रों की
सराहना
भित्ति चित्र कलाकार डॉ. शशिप्रिया उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को उनकी
टीम द्वारा बनाए गए भित्ति चित्रों के बारे में बताया, जिनमें
रजवार कला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की आदिम संस्कृति, लोक
जीवन, और पारंपरिक वेशभूषा को दर्शाया गया है। उन्होंने कहा
कि रजवार कला का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवित रखना और इसे नए आयाम
देना है। मुख्यमंत्री ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि, "ऐसी लोककलाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार से हमारी सांस्कृतिक धरोहर का
भविष्य सुरक्षित रहेगा।"
दिव्यांग बच्चों की कला का सम्मान
मुख्यमंत्री ने शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय, माना
कैम्प के मूक-बधिर विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई चित्रकला प्रदर्शनी का भी अवलोकन
किया। इस दौरान छात्र धनदास बरमते ने स्वनिर्मित लोककला आधारित चित्र मुख्यमंत्री
को भेंट किया। मुख्यमंत्री ने इस उपहार को स्वीकारते हुए धनदास की कला की प्रशंसा
की और कहा, "आपकी यह कला हमारी संस्कृति को नई पहचान
देने का कार्य करेगी।" उन्होंने धनदास के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
45 वर्षों से पारंपरिक वाद्य यंत्रों
का संरक्षण कर रहे श्री रिखि क्षत्रिय का अभिनंदन
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वाद्य यंत्रों के संरक्षण में
योगदान देने वाले श्री रिखि क्षत्रिय ने मुख्यमंत्री को अपनी यात्रा के बारे में
विस्तार से बताया। श्री क्षत्रिय ने कहा कि वे पिछले 45 वर्षों
से छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों—जैसे रुंजू बाजा, घूमरा बाजा और चिरई बाजा—का संरक्षण और प्रदर्शन कर
रहे हैं। उन्होंने गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी में पारंपरिक
वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। श्री क्षत्रिय ने
मुख्यमंत्री को रुंजू बाजा भेंट किया और अपने अद्भुत कौशल का प्रदर्शन करते हुए
घूमरा बाजा से शेर की आवाज और चिरई बाजा से चिड़िया की आवाज निकालकर उन्हें
आश्चर्यचकित कर दिया। मुख्यमंत्री ने उनके इस अनूठे योगदान की सराहना की और कहा कि
ऐसे कलाकार हमारी लोक परंपराओं के सच्चे रक्षक हैं।
छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक
धरोहर को मिला मंच
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “छत्तीसगढ़
हरित शिखर सम्मेलन जैसे आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक
उत्पादों और हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करते हैं।
ये आयोजन हमारे पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति को सहेजने के साथ-साथ, इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी सहायक हैं।”
कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कला प्रेमियों और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रयासों
की सराहना की। साथ ही, मुख्यमंत्री ने सभी कलाकारों, कारीगरों, और प्रतिभागियों को प्रदेश की सांस्कृतिक
धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रोत्साहित किया।