रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज जशपुर
जिले के ग्राम बंदरचुंआ में आयोजित मेगा शिक्षक पालक कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों की अच्छी शिक्षा और
इनके उन्नत भविष्य के लिए यह आवश्यक है कि अभिभावक शिक्षकों से नियमित रूप से
संवाद करें जितना अधिक शिक्षक और अभिभावक संवाद प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे, उतना ही अधिक बच्चों का रचनात्मक विकास होगा उन्होंने पालकों तथा शिक्षकों
से कहा कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए उन्हें बेझिझक बोलने के लिए तैयार
करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विकास का मूलमंत्र हैं। यह केवल नौकरी पाने का
माध्यम नहीं है बल्कि किसी भी क्षेत्र में सबसे अच्छा काम करने के लिए भी शिक्षा
बेहद जरूरी है। एक शिक्षित और अशिक्षित व्यक्ति दोनों ही जीवन जीते हैं लेकिन
दोनों के जीवन की गुणवत्ता में काफी अंतर देखने में आता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक बच्चे के भीतर आई
जिज्ञासाओं का समाधान करने की कोशिश करें। घर पहुंचने पर यह जरूर पूछें कि बच्चे
ने आज क्या सीखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बंदरचुंआ के स्कूल से पुराना लगाव है।
यहां के शिक्षक और जागरूक पालकों के कारण इस स्कूल में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा
है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के समाज में पुरातन काल
से ही शिक्षा का काफी महत्व रहा है। भारत विश्वगुरू कहलाता था। पूरी दुनिया से लोग
यहां के विश्वविद्यालयों में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे।उन्होंने कहा कि
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति लाई गई है जिसे
प्रदेश में लागू किया गया है। इसमें नैतिक शिक्षा को भी शामिल किया गया है।
संस्कार सिखाने के साथ ही रोजगार के लिए भी विद्यार्थियों को तैयार किया जा रहा
है। छात्रों के स्किल बिल्डिंग पर काम किया जा रहा है, ताकि उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस गर्मी में समर कैंप लगाए
गए। बच्चों को बहुत सी रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि
शासकीय स्कूलों में पालक शिक्षक बैठक का नियमित आयोजन किया जाएगा। उन्होंने सभी
पालकों से अनुरोध किया कि स्कूल आएं और अपने बच्चे के पढ़ाई लिखाई और प्रोग्रेस के
बारे में जाने। उन्होंने कहा कि स्थानीय बोली भाषा में भी पढ़ाई को बढ़ावा दिया
जायेगा। इसके लिए किताबें भी उपलब्ध कराई जायेगी। पीएम श्री योजना से स्कूलों में
संसाधनों को बेहतर किया जायेगा। टॉपर बच्चों को सम्मानित
किया जाएगा। सरस्वती सायकल योजना से छात्राओं को सायकल वितरण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा परिसर की तर्ज में
प्रदेश के 22 जिलों में पुस्तकालय का निर्माण
किया जा रहा है, इसमें जशपुर और कुनकुरी में भी नालंदा परिसर
खोलने जा रहे हैं। यहां बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के किताबें वातावरण
भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
मुख्यमंत्री को पालक शिक्षक बैठक में 12 मुख्य गतिविधियों के बारे में स्कूल के बच्चों ने ही बताया। पालकों ने भी
अपने अनुभव बताए। पालक श्री हरिसेवक चौहान ने बताया कि उनका एक पोता यहां से पढ़कर
अभी एमएससी कर रहा है और एक यहां से ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है। वे एक जागरूक
पालक हैं जो अपने बच्चों के पढ़ाई लिखाई के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री की धर्म पत्नी श्रीमती
कौशल्या साय ने भी संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि बंदरचुंआ स्कूल में सन 1997-98 से स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के आयोजन में शामिल होने का मौका मिल रहा
है। यहां के बच्चों के साथ दिल से जुड़ाव है। परीक्षा से पहले भी यहां बच्चों के
मार्गदर्शन के लिए पहुंचते रहे हैं। बच्चों और पालकों से यही बात कहना चाहती हूं
कि परीक्षा परिणाम के लिए तनाव नहीं लेना है। पूरी मेहनत से परीक्षा देना है। नंबर
कम ज्यादा हो तो तनाव बिल्कुल न लेना है। परिवार पहली पाठशाला है और माता पिता
पहले गुरु हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणाएं - इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बंदरचुंआ में सर्वसुविधायुक्त बस स्टैंड
निर्माण की घोषणा की। साथ ही उन्होंने प्राथमिक शाला बंदरचुंआ से छेराघोघरा चौक तक
सड़क किनारे सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने, भुइयार बस्ती से सरना
पहुंच मार्ग में सड़क और पुल, गायत्री मंदिर और शिव मंदिर के
जीर्णाेद्धार, आश्रम छात्रावास को 50 सीटर
से 100 सीटर करने तथा बंदरचुंआ में मिनी स्टेडियम निर्माण की
घोषणा की।