रायपुर :
पीएससी मामले की सीबीआई जांच भाजपा का पोलिटिकल प्रोपोगंडा है। प्रदेश कांग्रेस
संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पीएससी की तथाकथित गड़बड़ियां
भाजपा का दिमाकी फितूर मात्र था विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार की
छवि खराब करने भाजपा ने गलत आरोप लगाया था। पूर्व मुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष
डॉ. रमन सिंह का भी बयान आया है कि सीबीआई जांच से युवाओं की शंका दूर होगी अर्थात
भाजपा के वरिष्ठ नेता भी पीएससी का गड़बड़ी के आरोपों को शंका मात्र ही मानते है।
सीबीआई जांच में भी कुछ हासिल नहीं होने वाला इस जांच से भाजपा के झूठे आरोपों की
पोल खुलेगी और सच्चाई सामने आयेगी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि राज्य लोकसेवा आयोग में कथित गड़बड़ी के आरोप भाजपा ने साजिश के तहत लगाया था।
अमूमन किसी भी परीक्षा में गड़बड़ियो के यह आरोप लगते है। किसी परीक्षा के प्रश्न
पत्र लीक हुये हों। किसी परीक्षार्थी ने लेनदेन की प्रमाणित शिकायत किया हो। किसी
कोचिंग संस्थान के पूर्व अनुमानित प्रश्न पत्रों के सेट से पीएससी के प्रश्न पत्र
हू-बहू मिल रहे थे। मेरिट में चयनित अभ्यर्थियों के इंटरव्यू के नंबर लिखित
परीक्षा के अंको में बहुत ज्यादा असमानता नजर आ रही थी। चयन का आधार इंटरव्यू के
नंबरों की अधिकता हो। वर्तमान में राज्य लोक सेवा आयोग के परीक्षा परिणामों पर ऐसा
कोई भी आरोप नहीं लगा था उसके बावजूद गड़बड़ी के मनगढ़ंत आरोप लगाना भारतीय जनता
पार्टी का निम्न स्तरीय हथकंडा है। किसी मेरिट में चयनित अभ्यार्थियों के लिखित
परीक्षा की अपेक्षा व्यक्तित्व परीक्षण के अचंभित करने वाले या संदेहास्पद नंबर
मिले हो तो भी उसके आधार पर चयन सूची पर सवाल खड़ा किया जाये तो भी तार्किफ लगता
है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि भाजपा के पास पीएससी की चयन सूची में गड़बड़ी के आरोपो का आधार क्या है? सिर्फ यही कि पीएससी में नेताओं, अधिकारियों,
व्यवसायियों के बच्चों के कुछ नाम चयनित हो गये है। भाजपा को आपत्ति
है कि पीएससी में सगे भाई-बहन, पति-पत्नी का चयन कैसे हो गया?
जबकि परस्पर रिश्तेदारों का चयन किसी अधिकारी के रिश्तेदारो का चयन
या व्यवसायी नेता के रिश्तेदारो का चयन पहली बार नहीं हुआ है और न ही यह अपराध और
न ही किसी का रिश्तेदार होना अयोग्यता का पैमाना हो जाता है। भारतीय जनता पार्टी
के समय भी 2004 से 2021 तक भी परस्पर
सबंधियो के चयन होते रहे है। इसकी सूची सार्वजनिक हो चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि सीबीआई जांच रमन सिंह के सरकार में हुई परीक्षाओ की होनी चाहिये तब वास्तविक
घोटाला सामने आयेगा। रमन सरकार के दौरान 2003 और 2005
में पीएससी भर्ती घोटाला भी सर्वविदित है। 2003 के मामले में अभ्यर्थियों के शिकायत पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर उच्च
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती में
भ्रष्टाचार और गड़बड़ी साफ दिख रही है, जांच और स्कैलिंग में
षडयंत्र पूर्वक किए गए गड़बड़ी को लेकर उच्च न्यायालय ने कड़े कमेंट किए और उस सूची
को निरस्त कर मानव विज्ञान की कॉपियों को पुनः जांचने और फिर से स्कैलिंग कर नई
सूची जारी करने का आदेश दिया था। रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती की जांच में यह भी
पाया गया कि किसी अभ्यर्थी को 50 नंबर के पूर्णांक के आधार
पर तो किसी को उपकृत करने 75 नंबर के पूर्णांक के आधार पर
कापियां जांची गई थी। वर्ष 2005 के पीएससी भर्ती के मामले
में सभी चयनित अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था। पीएससी के
तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी सस्पेंड हुए, बिलासपुर हाईकोर्ट
के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने पूरी नियुक्ति सूची को ही निरस्त कर दिया था,
लेकिन रमन सरकार की मिलीभगत से सुप्रीम कोर्ट से वह सूची बहाल करा
दी गई। आज भी 2005 का मामला न्यायालय में लंबित है स्थानीय
युवाओं के हक और हित का गला घोट ना रमन सरकार का चरित्र था। अतः उसकी सीबीआई जांच
जरूरी है।