सुकमा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बस्तर को नक्सल मुक्त
बनाने के अभियान को गुरुवार को बड़ी सफलता मिली है। साथ ही राज्य सरकार की
पुनर्वास नीति का भी बड़ा असर दिखा है। सुकमा जिले में कुल 22 नक्सलियों ने सरेंडर किया है।
जिनमें एक नक्सल दम्पति भी शामिल है। सभी नक्सली माड़ डिवीजन एवं नुआपाडा डिवीजन
के सदस्य हैं। शासन के नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत के अभियान के तहत 22 नक्सलियों को सरेंडर कराने में बड़ी सफलता मिली है। आत्मसमर्पण करने वालों में 9 महिलाएं और 13 पुरुष शामिल हैं।
छत्तीसगढ़
नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति एवं नियद नेल्लानार योजना से प्रभावित होकर
नक्सली लगातार आत्मसमर्पण कर रहे हैं। साथ ही अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार नवीन
सुरक्षा कैम्प स्थापना से बढ़ते पुलिस के प्रभाव से भी नक्सली घबराये हुए हैं।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर 1 पुरुष, 1 महिला नक्सली पर 08-
08 लाख, 1 पुरुष, 1 महिला
नक्सली पर 5 - 5 लाख, 2 पुरुष,
5 महिला 2- 2 लाख, 1 पुरुष
नक्सली पर 50 हजार, कुल 40 लाख 50 हजार रूपये के ईनाम घोषित है।
पुलिस और सीआरपीएफ की बड़ी भूमिका
छत्तीसगढ़
शासन की नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत को 1 करोड़ रुपये विकास कार्यों के प्रोत्साहन देने की योजना
है। आत्मसमर्पित नक्सलियों पर कुल 40 लाख पचास हजार रूपये का
ईनाम घोषित था। नक्सलियों को आत्मससमर्पण के लिए प्रोत्साहित कराने में जिला बल,
डीआरजी सुकमा, रेंज फिल्डटीम (आरएफटी) कोंटा,
सुकमा, सीआरपीएफ की विशेष भूमिका रही है।
फोर्स की कार्रवाई से घबराये नक्सली
शासन की
ओर से छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति एवं नक्सल मुक्त पंचायत और
सुकमा पुलिस की ओर चलाये जा रहे नियद नेल्ला नार योजना से प्रभावित होकर नक्सली
लगातार सरेंडर कर रहे हैं। अति संवेदनशील अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार कैम्प
स्थापित होने से पुलिस के बढ़ते प्रभाव के चलते नक्सलियों में दहशत का माहौल है।
जिसको कई बार नक्सली पत्र के माध्यम से जाहिर भी कर चुके हैं।