रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा महामंत्री विजय शर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर बेमन से 1 नवंबर से धान खरीदी का निर्णय लेने का आरोप लगाते हुए कहा है कि धान खरीदी की तैयारियों की लचर व्यवस्था जाहिर कर रही है कि उनकी मंशा नहीं है कि नियत तिथि से बहुतायत में धान उपार्जन शुरू हो। हालात को देखते हुए साफ लग रहा है कि समय पर, सही तरीके से धान खरीदी की सरकार की नीयत ही नहीं है। सहकारी समितियों में धान खरीदी की तैयारियां दिखाई नहीं दे रही हैं। प्रदेश में इन समितियों के प्रबंधक और कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। वे कमीशन की राशि, परिवहन और सूखत के संबंध में अपनी मांग पूरी कराने आंदोलित हैं। राज्य सरकार नवसमाधान निकालने के बजाय उल्टे सदस्यों के मताधिकार को छीन कर वहां अध्यक्ष बैठा दिए हैं। भूपेश बघेल सरकार लोकतंत्र का गला घोंटकर सहकारिता के उद्देश्यों की हत्या कर रही है और इससे किसानों का ही अहित हो रहा है। समितियां जीर्णशीर्ण हो रही हैं, इनके अस्तित्व पर कांग्रेस राजनीतिक संकट बनकर लद गई है। समितियों को राजनीतिक प्रतिष्ठान में बदलकर इस प्रकार कब्जा किया जा रहा है जैसे यह समितियां सत्ताधारी दल के प्रकोष्ठ हों। प्रदेश भाजपा महामंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब तक बारिश हो रही है, जिससे धान में नमी है। यही स्थिति उत्तराखंड में है। किसानों के हित में उत्तराखंड सरकार ने 20 फीसदी तक नमी वाली धान खरीदी करने की घोषणा की है लेकिन यहां कांग्रेस सरकार किसान विरोधी मानसिकता का परिचय दे रही है। छत्तीसगढ़ में भी 17 प्रतिशत की जगह 20 फीसदी तक नमी वाली धान खरीदी के लिए तत्काल निर्देश जारी किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सूखत के लिए समितियों को 4 प्रतिशत की सीमा निर्धारित हो। तभी किसानों का भला हो सकता है और समितियां सुचारू रूप से धान उपार्जन कर सकती हैं। अन्यथा भूपेश बघेल सरकार में धान खरीदी प्रभावित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।