रायपुर। आंबेडकर अस्पताल में दूर-दराज से आने वाले इलाज के लिए आने वाले मरीजों
के लिए अच्छी खबर है। अब अस्पताल में डाक्टर को दिखाने के लिए लाइन में लगकर ओपीडी
पर्चा कटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अस्पताल प्रबंधन आनलाइन सुविधा शुरू करने की
तैयारी में है। इसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है। मरीज घर बैठे डाक्टर का
अपाइंटमेंट ले सकेंगे।
ओपीडी पर्ची के लिए आभा आइडी पर आनलाइन रजिस्ट्रेशन
कराना होगा। इससे मरीज को टोकन नंबर मिल जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए अलग
से टोकन काउंटर बना रहा है। कोई भी व्यक्ति एंड्राइड मोबाइल पर प्ले स्टोर से आभा
ऐप डाउनलोड कर पंजीयन कर सकता है।
इसके बाद अस्पताल के काउंटर से ओपीडी पर्ची मिलेगी।
इसी पर्ची के आधार पर संबंधित विभाग में इलाज करा सकेंगे। वर्तमान में ओपीडी में
इलाज कराने के लिए आफलाइन पंजीयन की सुविधा है। अस्पताल की वेबसाइट से तीन साल
पहले आनलाइन ओपीडी पंजीयन हो रहा था। अब आभा आइडी से आनलाइन पंजीयन से मरीजों को
सुविधा होगी।
दरअसल अस्पताल में टोकन सिस्टम शुरू नहीं होने से
मरीजों को काउंटर में पर्ची के लिए लाइन लगानी पड़ रही है। जो मरीज आभा आइडी में
आनलाइन पंजीयन नहीं करेंगे, उन्हें काउंटर में
कतार लगानी ही होगी। टोकन सिस्टम शुरू नहीं होने व बैठने की व्यवस्था नहीं होने से
मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। अस्पताल प्रबंधन आने वाले दिनों में टोकन सिस्टम
लागू करने जा रहा है। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।
आनलाइन मिलेगा टोकन नंबर
आभा आइडी में रजिस्ट्रेशन करने पर
मरीज को टोकन नंबर मिल जाएगा। अस्पताल पहुंचकर मरीज काउंटर में अपनी बीमारी बताकर
संबंधित डाक्टर की पर्ची ले लेगा। आने वाले दिनों में वेटिंग हाल में ही डिस्प्ले
लगा दिए जाएंगे। यहीं पर मरीज के टोकन नंबर डिस्प्ले होगा। मरीज आसानी से जाकर
डाक्टर को दिखा सकेंगे।अधिकारियों ने बताया कि अभी अस्पताल में मरीजों के बैठने की
पर्याप्त जगह नहीं है। आने वाले दिनों में व्यवस्था को बेहतर किया जाएगा। जिस तरह
रेल्वे में आरक्षित टिकट काउंटर्स में टोकन नंबर डिस्प्ले होते हैं,
वैसे ही यहां पर भी डिस्प्ले होंगे।
आभा आइडी में मरीज की रहेगी पूरी
हिस्ट्री
आभा आइडी बनाने का मरीजों को एक और
फायदा होगा। अभी फाइल गुम हो जाने की वजह से मरीजों को दूसरे डाक्टर से इलाज कराने
के समय पहले बीमारी से संबंधित क्या-क्या इलाज हुआ है,
इसका पता नहीं चलता है। आभा आइडी में मरीज की पूरी हिस्ट्री रहेगी।
डाक्टर आसानी के साथ जान सकेगा कि मरीज का अबतक क्या-क्या इलाज हुआ। कौन सी दवा
खाई है। इससे मरीज को दूसरे डाक्टर से इलाज करवाने के समय बहुत ज्यादा जांच करवाने
की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।