रायपुर| छत्तीसगढ़ सरकार में पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश गागड़ा ने प्रेस वार्ता कर कहा कि सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम ब्लॉक कांग्रेस का पदाधिकारी(महामंत्री) तेलंगाना में दो महिला व दो पुरुष नक्सलियों के साथ पकड़ा गया है। यह कोई सामान्य घटना नहीं है कि नक्सल प्रभावित राज्य के अतिसंवेदनशील इलाके का सत्तारूढ़ पार्टी का जिम्मेदार नेता नक्सलियों के साथ दूसरे राज्य में पकड़ा गया है। नक्सली आज कांग्रेस की बी टीम की तरह काम कर रहे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है। पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि आपने इससे पहले भी गौर किया है कि नक्सलियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ में किसानों को उकसाते हुए पत्र जारी किया था। उसकी भाषा देख लें और कांग्रेस का एजेंडा देख लें, आपको कोई फर्क नहीं लगेगा। ऐसा लगेगा मानो कांग्रेस सरकार से जुड़े लोगों ने पत्र ड्राफ़्ट करके नक्सलियों को दिया हो और नक्सलियों ने उसे अपने लेटर पैड पर जारी कर दिया हो। उस पत्र में एक भी शब्द कांग्रेस सरकार के खिलाफ नहीं है। जबकि कांग्रेस की उपेक्षा और कुनीतियों में कारण राज्य में छः सौ से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। कांग्रेस और उसकी सरकार में सक्रिय सहयोग के ये दो-चार उदाहरण ही नहीं हैं। ऐसे तमाम मामले आपको दिखेंगे। नक्सली खुले आम बारह किलोमीटर लम्बी रैली निकाल लें और सरकार को पता ही नहीं चले, ऐसा कैसे हो सकता है? नक्सलियों और कांग्रेस की साठगाँठ पर केंद्र अलग से जांच करे, इसकी भी हम माँग करते हैं। इस हेतु हमारे प्रदेश अध्यक्ष श्री अरूण साव गृह मंत्रालय को पत्र लिख रहे है। पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि जिस नक्सल आतंक का जन्म ही किसानों के खिलाफ हुआ था। किसान परिवार से ही आने वाले हमारे जवानों-सुरक्षा बलों को जो नक्सली नृशंसता से हत्या करते हैं, अनेक ग्रामीणों को भी बर्बरता से मार चुके हैं यहां तक छत्तीसगढ़ के कई नेता भी नक्सलियों द्वारा मारे गए हैं, ऐसे में कांग्रेस के पदाधिकारियों द्वारा इलाज हेतु नक्सलियों को तेलंगाना ले जाना एक अति चिंतनीय विषय है छत्तीसगढ़ के आम लोगों की सुरक्षा के साथ एक बड़ा समझौता किया गया है इससे पहले भी कांग्रेस और नक्सलियों की साठगाँठ के दर्जनों साक्ष्य सामने आते रहे हैं। झीरम मामले में तो खुद राहुल गांधी ने नक्सलियों को क्लीन चिट दे दी थी। इसके अलावा बात चाहे दिग्विजय सिंह, राज बब्बर समेत दर्जनों कांग्रेसी वनेताओं के नक्सलियों के पक्ष में समय समय पर बयान देने की हो, या फिर किसी अन्य प्रदेश में नक्सलियों की गिरफ़्तारी पर खुद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा उनके बचाव में बयान देने की, कांग्रेस इनका हमेशा सहयोग करती रही है। कांग्रेस हमेशा राजनीतिक समर्थन देकर नक्सलियों के विरुद्ध लड़ाई को कमजोर करती रही है। विगत दिनों नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में शहीदी सप्ताह मनाया। इस दौरान 12000 लोगों के साथ नक्सलियों ने नाचते गाते 8 से 10 किलोमीटर लम्बी रैली निकाली। 65 फिट का छह मंजिल बिल्डिंग से ऊंचा स्मारक बनवाया। रैली में 50 लाख से लेकर एक करोड़ तक के इनामी शीर्षस्थ नक्सली नेता शामिल थे। समाचार बताते हैं कि विगत 8 माह से इसकी तैयारी हो रही थी। इस विषय में सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया। न ही कोई कार्रवाई हुई है। भूपेश बघेल जरा अपने सलाहकारों से पूछ कर बताएं कि इस आयोजन के पीछे कौन हैऔर इतने बड़े आयोजन के खिलाफ सरकार ने क्या कारवाई की? अगर कोई कारवाई नहीं की तो क्यों नहीं की? प्रेस वार्ता में भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी, प्रदेश प्रवक्ता श्री दीपक मस्के, श्री अमित साहू व अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम मौजूद रहे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पांच सवाल करते हैं इनका जवाब दें :- 1. कांग्रेस और नक्सलियों के बीच का रिश्ता क्या है? 2. क्या झीरम घाटी हत्याकांड मामले को भी कांग्रेस नक्सलियों से संबंध की वजह से दबा रही है? 3. कितने नक्सलियों को कांग्रेस की सदस्यता दी है? 4. नक्सलियों के साथ पकड़े गए कांग्रेस नेता छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं पकड़ा गया? 5. इतने संवेदनशील विषय पर मुख्यमंत्री ने अभी तक किसी प्रकार की जांच की घोषणा क्यों नहीं की?