रायपुर। कर्मचारियों
की पेंशन के लिए केंद्र सरकार ने दो दिन पहले ही बड़ा फैसला लेते हुए यूपीएस यानि
कि एकीकृत पेंशन योजना की घोषणा की। इस फैसले के अगले दिन 24
अगस्त को महाराष्ट्र सरकार ने यूपीएस एडप्ट करने का ऐलान कर
दिया। एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लगाकर यूपीएस लागू
करने वाला पहला राज्य बन गया है। महाराष्ट्र के अलावा अभी तक किसी भी राज्य ने इसे
लागू करने के लिए कोई पहल नहीं की है। यहां तक कि, बीजेपी
शासित राज्यों ने भी कोई पहल नहीं किया है। सभी राज्य इस नफा-नुकसान का आंकलन करने
के बाद ही इस पर फैसला लेंगे।
छत्तीसगढ़ में उलट स्थिति
हो सकता है कि, बीजेपी राज्य आगे चलकर यूपीएस
अपना लें लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के सामने बड़ी मुश्किल है। क्योंकि, पिछली कांग्रेस सरकार ने यहां पर ओपीएस लागू कर दिया था। भूपेश सरकार ने
कर्मचारियों से इसके लिए विकल्प मांगा था कि उन्हें एनपीएस चाहिए या ओपीएस। इस पर 98
परसेंट कर्मवारियों ने ओपीएस विकल्प दिया है। जानकारों का कहना है
कि छत्तीसगढ़ सरकार अगर अब ओपीएस समाप्त करने की स्थिति में नहीं होगी। क्योंकि,
98 परसेंट बड़ी संख्या होती है। ओपीएस के समाप्त करने पर कर्मचारियों
के नाराज होने का खतरा रहेगा। वैसे भी छत्तीसगढ़ के कर्मचारी नेताओं ने सोशल मीडिया
के जरिये कर्मचारियों में यह बात स्थापित कर दी है कि यूपीएस की बजाए ओपीएस बेतहर
है।
तीनों विकल्प मिलेंगे
वहीं वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा
है कि, अभी यूपीएस लागू करने पर कोई विचार
नहीं किया जा रहा है। मंत्री भी जानते हैं कि, जल्दबाजी में
कोई फैसला लेने से सरकार को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, उन्होंने पेंशन स्कीम पर सोच-समझकर बयान दिए हैं। मगर जानकारों का मानना
है कि आगे चलकर छत्तीसगढ़ सरकार अगर यूपीएस लागू करेगी तो फिर छत्तीसगढ़ में
कर्मचारियों के पास पेंशन के तीन विकल्प हो जाएंगे। ओपीएस, एनपीएस
और यूपीएस। ये तीन स्कीम कांग्रेस शासित कुछ ही राज्यों में है। बाकी राज्यों ने
पहले ही ओपीएस की जगह एनपीएस लागू कर चुके थे। छत्तीसगढ़ में भी नई भर्ती पर एनपीएस
ही दिया जा रहा था। मगर भूपेश बघेल सरकार ने नई भर्ती में ओपीएस और एनपीएस का
विकल्प देना प्रारंभ किया ही था, पुराने कर्मचारियों को
ओपीएस में लौटने का मौका भी मुहैया कराया। और 98 परसेंट
कर्मचारी ओपीएस पर शिफ्थ हो गए। एनपीएस पर दो-से-तीन फीसदी कर्मचारी ही हैं।
ओपीएस नहीं होता तो
यूपीएस को मिलता तवज्जो
छत्तीसगढ़ में अगर सिर्फ एनपीएस याने
न्यू पेंशन स्कीम होता तो फिर कर्मचारी यूपीएस को तवज्जो देते। मगर छत्तीसगढ़ में
पिछली सरकार ओल्ए पेंशन स्कीम को फिर से लागू कर चुकी है। अब कर्मचारियों को जब
पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प खुला है, तो
फिर सवाल है यूपीएस पर क्यों जाएंगे?
कर्मचारियों को ओपीएस
पसंद
छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को वैसे भी
पहली पसंद ओपीएस ही है। यूपीएस का ऐलान होने के बाद कल सारे कर्मचारी और शिक्षक
संगठनों के नेताओं ने एक सूर में यही कहा कि ओपीएस ही ठीक है। सभी नेताओं ने
अपने-अपने अंदाज में यूपीएस में मीन-मेख निकाला। कर्मचारी,
अधिकारी फेडरेशन के अध्यक्ष कमल वर्मा ने भी माना कि यूपीएस की बजाए
ओपीएस कर्मचारियों के हित में है। कर्मचारी नेता अनिल शुक्ला, सर्व शिक्षक संघ के अध्यक्ष विवेक दुबे, शालेय
शिक्षक संघ अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे और टीचर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष संजय शर्मा ने
भी कहा कि यूपीएस कर्मचारियों के हित में नहीं है।
प्रदेश में हैं पौने चार
लाख कर्मचारी
छत्तीसगढ़ में अधिकारी,
कर्मचारी मिलाकर करीब पौने चार लाख कर्मचारी, अधिकारी
हैं। इन सभी अधिकारी-कर्मचारियों ने ओपीएस का विकल्प भरा है। फिर छत्तीसगढ़ में
ओपीएस की वापसी के बाद जितनी भर्तियां हुई हैं, उनमें
अधिकांश लोगों ने ओपीएस का विकल्प दिया है।