श्योपुर : ‘मेरे पूर्वजों ने शेरों को पानी पिलाया है, मैंने चीतों को पानी पिलाकर कोई गलत काम नहीं किया अपितु बहादुरी का काम
किया है। मुझे वह प्यासे दिख रहे थे, इसलिए गाड़ी में रखा
पानी निकालकर उनकी तरफ बढ़ाया तो वह आ गए। यदि किसी अधिकारी में ऐसी हिम्मत हो तो
करके दिखाएं।’
यह कहना
है सत्यनारायण गुर्जर का, जो इन दिनों पूरे देश में इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि
उनका एक वीडियो वायरल है, जिसमें वह चीतों को पानी पिलाते
नजर आ रहे हैं।
चीतों को पानी पिलाने का घटनाक्रम,
जानिए सत्यनारायण की जुबानी
सत्यनारायण
के अनुसार, उनकी गाड़ी
रेंजर सुनील सेंगर के यहां चालक सहित अटैच है। घटना वाले दिन चालक नहीं आया तो वह
खुद ही गाड़ी लेकर चला गया था। घटनाक्रम याद करते हुए उन्होंने कहा-
‘मैंने तो दयाभाव से पानी पिला दिया था। आपने वीडियो में देखा होगा कि
मैंने पानी डाला और वह शांति से पानी पी रहे हैं। यदि मैं कोई जबरदस्ती छेड़छाड़
कर रहा होता तो उसे गलत माना जाए।’
‘चीतों से यहां के लोग डर रहे हैं। कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने उन्हें पत्थर
मारकर भगा दिया जो गलत है। चीतों से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि
वह तो हमारे मित्र हैं। उन्हें लाठी डंडे की से न भगाएं। उनके साथ शांति से पेश
आएं। वह प्रेम के भूखे हैं। आप पर कभी हमला नहीं करेंगे।’
‘मेरी कोई सरकारी नौकरी तो है नहीं, प्राइवेट नौकरी
है। एक बार नहीं, तीन बार हटा दें, कोई
दिक्कत नहीं।’
पानी’ पर
उबला समाज महापंचायत बुलाई
इधर मामला समाज ने मप्र वन विभाग को
चेतावनी देते हुए चालक को नौकरी पर रखने के लिए कहा है। तीन दिन बाद श्योपुर में महापंचायत
बुलाई है।
पानी पिलाने पर मचे हंगामे और चालक
पर हुई कार्रवाई के विवाद में अब गुर्जर समाज का एक संगठन भी कूद गया है। दिल्ली
में पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुखिया
गुर्जर ने घोषणा की है कि यदि तीन दिन में चालक को नौकरी पर पुनः बहाल नहीं किया
गया तो श्योपुर में महापंचायत की जाएगी। उन्होंने कहा कि सत्यनारायण ने वीरता और
साहस से अपनी जान जोखिम में डालकर दया व करुणा और मानवता का आदर्श स्थापित करते
हुए चीतों को पानी पिलाया है।