रायपुर। राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा शुक्रवार 1 july 2022 को रायपुर पहुंचे। दोपहर बाद वह मीडिया से मुखातिब हुए और केन्द्र सरकार पर चुन-चुन कर वार किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का पद गरिमा का पद होता है। इस पद के लिए देश में चुनाव कराये जाने के बजाय सत्ता और विपक्ष द्वारा सर्वसहमति के आधार पर चयन होना चाहिए।
हम भी सर्वसहमति से राष्टपति का चुनाव चाहते हैं पर केन्द्र की सरकार सर्वसहमति नहीं चाहती। केन्द्र की सरकार टकराव के आधार पर सत्ता में बने रहना चाहती है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को चाहिए था कि वह राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसहमति बनाये जाने की पहल करती। विपक्ष ने इसका इंतजार किया पर केन्द्र ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की।
दिखावे के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ नेताओं को फोन किया किन्तु उन्होंने उम्मीदवार का नाम तक नहीं बताया।
इतना ही नहीं उन्होंने देश में व्याप्त अशांति के माहौल, ईडी और सीबीआई की छापेमारी, अग्रिपथ योजना से लेकर आर्थिक पहलुओं और महाराष्ट्र के सियासी हलचल तक केन्द्र सरकार को निशाने पर रखा।
उन्होंने कहा कि आज देश में जो हालात हैं देश को खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए। ऐसे भी लोग इस पद पर आए जिन्होंने इसकी शोभा बढ़ाई है। जो राष्ट्रपति पद पर जाए वो अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाए।
राष्ट्रपति का एक अधिकार जो है वो ये है कि वो सरकार को मशवरा दे सकता है। वो अगर पीएम हाथ में कठपुतली होंगे तो ऐसा नहीं करेंगे। मुझे जो भी दल समर्थन दे रहे हैं मैं सभी का आभारी हूं।
उसके अलावा भाजपा के जो हमारे मित्र हैं, जो पुराने साथी हैं उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए, लकीर का फकीर न बनें । ये लड़ाई विचारधारा की है, संवैधानिक मूल्यों को बचाने और उसे नष्ट करने वालों के बीच की है।
इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साथ थे।
सिन्हा ने आगे कहा- छत्तीसगढ़ से मेरा गहरा संबंध है। वो संबंध ये कि आज से करीब 60 साल पहले मैं यहां भिलाई आया था, यहां मेरी शादी हुई थी। इसलिए बराबर छत्तीसगढ़ से मैं विशेष लगाव महसूस करता हूं, आनंद आता है।
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर 1937 को पटना के एक कायस्थ परिवार में हुआ। उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक बतौर शिक्षक काम किया। 1960 में आईएएस बने। 24 साल तक नौकरी की। फिर नौकरी छोड़कर वह 1986 में राजनीति में सक्रिय हो गये। वह 1998 से साल 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे। उन्होंने 2002 में विदेश मंत्रालय का पद भी संभाला।