रायपुर : हर्ष, 8 वर्षीय
एक बालक, बचपन से ही एक जुझारू योद्धा रहा है। उसकी
चिकित्सकीय यात्रा महज दो वर्ष की आयु में शुरू हुई, जब उसे
हिर्शस्प्रंग डिजीज के संदेह में डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर में भर्ती किया गया। हालांकि, बायोप्सी
रिपोर्ट में यह बीमारी नहीं पाई गई। मेगाकोलन के कारण उसकी कोलोस्टॉमी की गई और
फिर उसे छुट्टी दे दी गई।
समय
बीतता गया और हर्ष को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह एक बार फिर अस्पताल
लौटा, इस बार
पैरालिसिस (पैरापेरेसिस) और न्यूरोजेनिक ब्लैडर की समस्या के साथ, जिससे उसका दैनिक जीवन अत्यंत कठिन हो गया था। पीडियाट्रिक और
न्यूरोसर्जरी टीमों ने मिलकर कार्य किया और एमआरआई जांच में उसकी रीढ़ में एक
एपिडमॉइड सिस्ट का पता चला। सर्जरी टीम ने सफलतापूर्वक इस सिस्ट को निकाल दिया और
उसे नया जीवनदान मिला लेकिन उसकी सबसे कठिन परीक्षा अभी बाकी थी।
हर्ष को
एक बार फिर, इस बार गंभीर स्थिति में, पीआईसीयू (पीडियाट्रिक
इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराया गया। वह तीव्र मेटाबॉलिक एसिडोसिस और श्वसन
विफलता के साथ आया। जिसके चलते तुरंत इंटुबेशन करना पड़ा। अनुभवी पीडियाट्रिशियन
और इंटेंसिविस्ट्स के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने उसे स्थिर करने के लिए दिन-रात
मेहनत की। गहन जांच के बाद, उसके पुराने यूरीन इंफेक्शन्स
(जो कि न्यूरोजेनिक ब्लैडर के कारण हुए) से उत्पन्न क्रॉनिक किडनी डिजीज की पुष्टि
हुई।
लगातार
निगरानी, गहन उपचार और अद्वितीय समर्पण के साथ, अस्पताल के
स्टाफ ने हर्ष को मृत्यु के कगार से वापस खींच लिया। जैसे-जैसे वह धीरे-धीरे ठीक
होने लगा और अंततः वेंटिलेटर से हटाया गया, वह क्षण हर्ष और
पूरी टीम के लिए एक बड़ी जीत थी।
एक लंबी
और चुनौतीपूर्ण यात्रा के बाद, हर्ष को छुट्टी दी गई एक नए उत्साह और ताकत के साथ जीवन को
आगे बढ़ाने के लिए। उसकी यह रिकवरी डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर में उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा, टीमवर्क और अथक
प्रयासों का सजीव प्रमाण है। जब हर दिशा में अंधकार था, तब
डॉक्टरों ने आशा की रौशनी दी। डॉ. ओंकार खंडवाल, डॉ. पी. बेक,
डॉ. माधवी साओ, डॉ. आकाश लालवानी, डॉ. समरीन यूसुफ, डॉ. ओनम तुरकाने, डॉ. नव्या बंसल, डॉ. राजा जैन, डॉ. आकांक्षा, डॉ. नंदिनी और डॉ. ऐश्वर्या के अथक
प्रयासों, सेवा भावना, समर्पण और
टीमवर्क ने असंभव को संभव किया।
यह सफलता
केवल हर्ष की नहीं है यह उन जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों, कंसल्टेंट्स और मेडिकल स्टाफ की
कहानी है, जिनके समर्पण ने एक बच्चे की संघर्षगाथा को आशा और
विजय की कहानी में बदल दिया। समर्पित डॉक्टरों और स्टाफ की बदौलत हर्ष ने मौत को
मात दी और जीवन की नई शुरुआत की। यह सिर्फ एक इलाज नहीं, एक
चमत्कार है।