रायपुर : छत्तीसगढ़ में अवैध खनन माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाते
हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय
जनता पार्टी की सरकार आने के साथ ही प्रदेश में जंगल राज आ गया है। अपराधी बेखौफ
हो गए हैं। पूरे प्रदेश में अवैध माइनिंग का कारोबार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं
के संरक्षण में फल-फूल रहा है। खनन माफिया भारतीय जनता पार्टी के सरकार में इतने
बेफिक्र हो गए हैं की खुलेआम माइनिंग अधिकारियों कर्मचारीयों की पिटाई कर रहे हैं।
लगभग 9 दिन पहले गरियाबंद में खनिज इंस्पेक्टर सहित अनेकों कर्मचारीयों की पिटाई
के बाद अब रायपुर जिले के आरंग के पास समोदा के हरदीडीह रेत घाट में खनिज विभाग के
16 अधिकारी, कर्मचारियों को अवैध खनन
माफिया के लोगों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। आरोप है कि उसके बाद खनिज विभाग के
कर्मचारियों के द्वारा सील की गई मशीन खुलवाई गई और कार्यवाही का पत्रक भी फाड़
दिया। कार्यवाही के नाम पर प्रशासन लीपा-पोती में लगा हुआ है। ना मशीनें जप्त की
गई और न ही गाड़ियां। इससे बेहद स्पष्ट है कि अवैध खनन माफियाओं को भारतीय जनता
पार्टी के नेताओं का संरक्षण प्राप्त है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता
सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि साय सरकार कानून व्यवस्था के मसले पर पूरी तरह नाकाम
साबित हुई है। दिनदहाड़े राजधानी में गोली चल रहे हैं, चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ गई है, राजधानी के निकट ही महादेव घाट में विगत दिनों गेंगवार की घटना के बाद अब
आरंग के समोदा, गुल्लू, राजिम, अभनपुर, फिंगेश्वर, धमतरी,
भखारा, कुरूद के रेत खदानों में माफिया राज से
स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद गुंडे, बदमाशों और माफियाओं के हौसले बुलंद हो गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता
सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पूर्व में भी जब भाजपा की सरकार थी तब भी इस तरह की
घटनाएं लगातार होते रहे हैं। समोदा घाट में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान रेत
माफियाओं के द्वारा सरपंच की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या की गई थी। धमतरी कुरूद में
एक कुख्यात खनन माफिया के आतंक का अंत कांग्रेस सरकार ने किया था। पूर्ववर्ती
कांग्रेस की सरकार ने ठोस पॉलिसी बनाई थी, खनिज विकास निगम की निगरानी में प्रदेश के सभी 450 रेत
खदानों में पारदर्शिता पूर्ण व्यवस्था बनाई थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय
रेत खदानों में लोडिंग चार्ज अधिकतम 450 रूपए था, जो अब भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी के चलते हैं 2000, 3000 और 5000 तक वसूले जा रहे हैं, जिस
पर शायद सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है या अघोषित रूप से संरक्षण है?