रायपुर : कोलकाता हाईकोर्ट ने एक
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत निर्वाचन आयोग (ECI)
द्वारा अपनाई गई नामांकन और नागरिकता सत्यापन की प्रक्रियाओं पर
पूर्ण संतोष व्यक्त किया है।
WPA(P)/85/2025 – Manik Fakir @ Manik
Mondal vs Union of India & Ors. नामक इस मामले में याचिकाकर्ता
ने आरोप लगाया था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए पूर्ण नागरिकता सत्यापन
अनिवार्य होना चाहिए, और यह कार्य चुनाव आयोग द्वारा उचित
रूप से नहीं किया गया है। साथ ही यह चिंता भी जताई गई कि कुछ विदेशी नागरिक अवैध
रूप से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं, विशेषकर आगामी 2026 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव
में।
इस पर माननीय मुख्य न्यायाधीश टी.
एस. शिवगननम ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग तब कार्य करता है जब चुनाव अधिसूचित हो
जाता है और उम्मीदवार नामांकन दाखिल करता है। आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं
में पहले से ही पर्याप्त जांच और संतुलन हैं।
यदि कोई शिकायत पूर्ण रूप में
प्राप्त होती है, तो उस पर निश्चित रूप से
कार्रवाई की जाती है।
कोई भी नागरिक किसी उम्मीदवार के नामांकन की वैधता को लेकर आपत्ति
दर्ज करा सकता है।
अदालत ने यह भी कहा कि नए प्रकार की
प्रक्रिया लागू करना एक विधायी कार्य है, जिसे
न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र (अनुच्छेद 226) के अंतर्गत
नहीं कर सकता। अंततः, अदालत ने याचिका को इन टिप्पणियों के
साथ निस्तारित कर दिया और चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं को वैध और संतोषजनक करार
दिया।