November 20, 2023


बचपन में गुलशन ग्रोवर ने बेची फिनाइल की गोलियां, आज बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में बजता है डंका

मुंबई : सैकड़ों फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके गुलशन ग्रोवर को कौन नहीं जानता। उनकी विलनगीरी आज ही लोगों को डरा देती है। इन्होंने सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड में भी अपना परचम बुलंद किया है। इनकी प्रोफेशनल से लेकर पर्सनल लाइफ सुर्खियों में रही है। बावजूद इनके पैर डगमगाए नहीं। इन्होंने हमेशा अपना 100 प्रतिशत दिया और आज एक नए मुकाम पर पहुंचे हैं। इन्होंने एक किताब भी लिखी है। आज 'सैटरडे सुपरस्टार' सेग्मेंट में हम आपको इनके बारे में ही बताने जा रहे हैं।

गुलशन ग्रोवर ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज से पढ़ाई की है। इनका जन्म 21 सितंबर 1955 को दिल्ली के पास के एक इलाके में हुआ था। इन्होंने एक्टिंग के अलावा प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया है। इनको लोग 'बैड मैन' की उपाधि दी और इसी नाम से उन्होंने एक बुक भी लॉन्च कर दी। एक्टर ने साल 1980 में 'हम पांच' मूवी से करियर की शुरुआत की थी। एक्टर ने अपनी किताब में अपने संघर्ष से जुड़ी बातों का जिक्र किया था। बताया था कि कैसे उन्होंने नाम कमाया और अपनी जगह बनाई।

पापा का पाकिस्तान में था कपड़ों का बिजनेस

गुलशन ग्रोवर के पिता कपड़ों का व्यापार करते थे। रावलपिंडी जो कि पाकिस्तान में अब है, वहां के रहने वाले थे। लेकिन बंटवारे के बाद इंडिया आ गए थे। ऐसे में बिजनेस चौपट हो गया था। 2 बेटे और 3 बेटियों को पालना मुश्किल हो गया था। वह कई दिन तो भूखे भी सो जाया करते थे। लेकिन बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते थे। वहीं, गुलशन भी बहनों को सिर्फ पढ़ने देते थे। टीवी देखने के लिए मना करते थे। जिससे सभी अच्छे से पढ़कर कुछ कर लें।

कपडे धुलने के साबुन बेचते थे गुलशन ग्रोवर

गुलशन ग्रोवर ने अपनी किताब 'बैड मैन' में बताया है कि उनके स्कूल की टाइमिंग दोपहर की होती थी। लेकिन वह सुबह ही बैग में अपनी यूनिफॉर्म रखकर घर से निकल जाते थे। उसके बाद वह सुबह से लेकर स्कूल जाने के बीच के समय में कपड़े और बर्तन धुलने वाले साबुन और पाउडर बेचते थे। साथ ही फिनाइल की गोलियां भी बेचने का काम करते थे। उससे मिलने वाले पैसों से गुजारा करते थे। क्योंकि उनके घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। पिता अकेले सब नहीं कर पा रहे थे। इसलिए वह ऐसे करके उनका हाथ बटा रहे थे।

एक्टर बनाने के लिए मां ने बेचे गहने, पापा ने घर

गुलशन ग्रोवर ने स्कूल के समय से ही रामलीला में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। ऐसे ही हर साल वह भाग लेते, जिससे उनकी रुचि एक्टिंग में हो गई। जब वह मुंबई आए थे तो उस वक्त भी उनके घर की हालत अच्छी नहीं थी। इसलिए मां ने अपने गहने और पिता ने घर को गिरवी रख दिया था, जिससे बेटे का सपना पूरा हो सके। मगर बात बनी नहीं। कामयाबी न मिलने पर गुलशन घर वापस आ गए। हालांकि एक्टर ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने पिता से दोबारा मुंबई जाने की इच्छा जाहिर की। कहा कि भले उस शहर ने उनके साथ अच्छा व्यवहार न किया हो लेकिन वह एक बार खुद को मौका देना चाहते हैं। तंग हालातों के बावजूद माता-पिता ने उनको नहीं रोका और उन्हें जाने की परमिशन दे दी।

ऐसे मिली थी गुलशन को पहली फिल्म

गुलशन ग्रोवर ने रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल में एडमिशन लिया। उनके बैच में अनिल कपूर, मजहर खान और मदन जैन जैसी हस्ती थी। यहां वह सीखने के दौरान पढ़ाने भी लगे थे। उन्होंने संजय दत्त, टीना मुनीम, कुमार गौरव और सनी देओल को एक्टिंग सिखाई थी, जिसके लिए उन्होंने फीस के तौर पर पहले 4000 रुपए मिले थे। जब गुलशन का कोर्स खत्म हुआ तो उनका प्लेसमेंट हुआ। अनिल कपूर के पापा सुरेंद्र कपूर को काम पसंद आया और उन्होंने कई नामी प्रोड्यूसर्स से उनकी मुलाकात करवाई। इसी दौरान डायरेक्टर राजीव मेहरा गुलशन के पर्सनालिटी से प्रभावित हुए और उन्होंने फिल्म 'हम पांच' ऑफर कर दी। उसके बाद उन्होंने 'रॉकी' की और यहीं से इनका विलन रोल चमक गया।

अमिताभ और शत्रुघ्न ने दिया था गुलशन का साथ

'हिंदुस्तान टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में गुलशन ग्रोवर ने अपने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए कहा था, 'मैं कड़ी मेहनत का नतीजा हूं, लेकिन इनसाइडर्स ने मेरी मदद की। शत्रुघ्न सिन्हा ने मुझे एक रोल दिया तो अमिताभ बच्चन ने एक फिल्म के लिए मेरी सिफारिश की थी। जब जान पहचान होती है तो निर्देशकों से मिलना आसान हो जाता है। मैं घंटों लोगों के दफ्तरों के बाहर खड़ा रहता था। यह तब की बात है, जब मैं एक ट्रेंड एक्टर था। तो, यह ईमानदारी और कड़ी मेहनत है जो आखिर में रंग लाती है।'


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