रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में आज लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक
लाने पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. इस विधेयक में समवर्ती सूची के विषय का
उल्लेख नहीं होने पर कांग्रेस विधायकों ने आपत्ति जताई. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय
ने समवर्ती सूची 3 के पैरा 20 के सामाजिक
शब्द के उल्लेख की बात कही. संविधान में सामाजिक/आर्थिक क्षेत्र में नियम-कानून
बनाना राज्य सूची में होने की जानकारी दी. इसके बाद विधानसभा के सभापति ने विपक्ष
की आपत्ति को खारिज किया, इससे नाराज होकर विपक्ष ने सदन से
बहिर्गमन किया. वहीं चर्चा के बाद सर्वसम्मति से विधेयक को सदन में पारित किया
गया.
नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने
विधेयक पर आपत्ति करते हुए कहा कि यह तो संविधान के खिलाफ है. इस विषय पर कानून
बनाने का अधिकार विधानसभा के पास नहीं है, क्योंकि
संविधान में निहित राज्यों की सूची में इस विषय पर कानून बनाने का अधिकार
विधानमंडल को नहीं है. ऐसी स्थिति में उन्होंने सभापति से इस विधेयक को स्थगित
करने की मांग करते हुए कहा कि इस पर चर्चा कराने का कोई औचित्य ही नहीं है.
डॉ. महंत की आपत्ति के बाद सदन में
कुछ देर के लिए खामोशी छा गई. डॉ. महंत ने इस पर कानून मंत्री अरुण साव से भी जवाब
मांगा. चर्चा के बीच में विधानमंडल की किताब निकाली गई. भाजपा विधायक ने किताब के
हवाले से कहा कि कानून बनाने का अधिकार विधानमंडल को है. इसमें सामाजिक और आर्थिक
क्षेत्र का उल्लेख है. यह राज्य की सूची में शामिल है इसलिए इस विधेयक पर चर्चा हो
सकती है.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी अजय
चंद्राकर की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस विषय पर मध्यप्रदेश में 2018
में कानून बन चुका है. यह राज्य की सूची में शामिल है. इसमें
सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र निहित है. चूंकि यह सम्मान लोकतंत्र के सेनानियों के
सम्मान से जुड़ा है और यह समाज का हिस्सा है. लोकतंत्र की हत्या करने वालों के
विरुद्ध लड़ने वालों का सम्मान करने की बात हो रही है इसलिए इस पर चर्चा होनी
चाहिए. सभापति की ओर से इस पर व्यवस्था देते हुए नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति खारिज
कर दी गई.और विधेयक पर सदस्यों की चर्चा की अनुमति दी गई.
आपत्ति खारिज होने पर विपक्ष ने इस
चर्चा से हिस्सा लेने से इंकार करते हुए सदन से बहिगर्मन कर दिया. विधेयक पर चर्चा
की शुरुआत भाजपा विधायक अमर अग्रवाल ने की. अमर अग्रवाल ने 1975
के आपातकाल को याद करते हुए कहा कि यह इतिहास का सबसे काला दिन था.
इसके खिलाफ लड़बे वाले सेनानियों को कांग्रेस की सरकार ने जेलों में बंद कर दिया
था. इसी तरह भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक, राजेश मूणत, सुशांत शुक्ला सहित अन्य सदस्यों ने अपनी बात कही. मुख्यमंत्री ने भी
विधेयक में चर्चा के दौरान कहा कि देश इसे कभी नहीं भूला पाएगा. देश में लोकतंत्र
को कुचलने का काम किया गया. एक पूरी पीढ़ी इस दंश को झेला था. चर्चा के बाद
सर्वसम्मति से विधेयक को सदन में पारित किया गया.