रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री
विष्णु देव साय की विशेष मौजूदगी में आज जगदलपुर में आयोजित “विकसित बस्तर की ओर” परिचर्चा में बस्तर के समग्र
विकास के लिए एक व्यापक कार्ययोजना प्रस्तुत की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में कृषि,
कौशल विकास, पर्यटन और उद्योग जैसे क्षेत्रों
में बस्तर की संभावनाओं को उजागर करने और विकास की नई दिशा तय करने पर गहन और
सार्थक चर्चा हुई। संबंधित विभागों के अधिकारियों, स्थानीय
जनप्रतिनिधियों और स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श कर मुख्यमंत्री ने बस्तर को
नक्सलवाद के अंधेरे से निकालकर विकास के प्रकाश की ओर ले जाने का संकल्प दोहराया।
यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय दो दिवसीय प्रवास पर
जगदलपुर गए हुए हैं। अपने प्रवास के पहले दिन विकसित बस्तर की ओर परिचर्चा में
शामिल हुए।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि बस्तर ने दशकों तक नक्सलवाद का दंश झेला है, लेकिन अब यह क्षेत्र अपनी समृद्ध
जनजातीय संस्कृति, नैसर्गिक सुन्दरता, कृषि
विकास, कौशल उन्नयन, उद्योग और खनिज
संसाधनों के साथ विकास की नई राह पर अग्रसर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “विकसित छत्तीसगढ़ @2047” का संकल्प “नवा अंजोर” विजन के माध्यम से साकार होगा, और इसकी शुरुआत बस्तर से हो रही है। बस्तर के किसान, महिला समूह, युवा उद्यमी, और
आदिवासी समुदाय छत्तीसगढ़ की प्रगति की नई इबारत लिखने को तैयार हैं।
परिचर्चा
के पहले सत्र में बस्तर के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि, उद्यानिकी, मछली
पालन, पशुपालन, और जैविक खेती पर
विस्तार चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के स्वदेशी और जैविक उत्पादों को
देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचाने के लिए प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग,
और मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर
प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना और उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर
दिया गया। उन्होंने कहा, “बस्तर के उत्पाद न केवल छत्तीसगढ़
की पहचान बनेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी जगह
बनाएंगे।
बस्तर
संभाग में लगभग 9 लाख हेक्टेयर में खरीफ तथा पौने तीन लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती
होती है। खरीफ की मुख्य फसल धान एवं मक्का है। बस्तर संभाग में 1.85 हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है, जिसे आगमी तीन
वर्षों में बढ़ाकर 3 लाख हेक्टेयर किए जाने का लक्ष्य रखा गया
है। मक्का उत्पादक कृषकों के साथ जैव ईंधन, बायोफार्मास्युटिकल,
स्टार्च एवं पोल्ट्री फीड उद्योगों के साथ मार्केट लिंकेज कराने पर
जोर दिया गया, ताकि कृषकों को उनकी उपज का ज्यादा से ज्यादा
लाभ मिल सके।
इसी तरह
आगामी तीन वर्ष में मिलेट्स की खेती को 52 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 75 हजार
हेक्टेयर करने तथा स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण इकाई की स्थापना और स्कूलों,
आंगनबाड़ियों तथा छात्रावास के बच्चों के खाद्यान्न में मिलेट्स को
शामिल करने पर जोर दिया गया है। बस्तर में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने तथा
प्राइवेट कंपनियों की सहभागिता से बाजार एकीकरण, सिंचाई
क्षेत्र में विस्तार के लिए तीन वर्षों में 27 हजार 600
सोलर पंप तथा नदी-नालों के किनारे सोलर लिफ्ट सिंचाई पंप की स्थापना
की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 30
से 40 नए कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना का
लक्ष्य निर्धारित किया गया। बस्तर में वर्तमान में 1010 कृषि
यंत्र केन्द्र संचालित है। बस्तर में काजू, कोंडागांव में
आचार, मसाला एवं कोकोनट आयल, कांकेर
में सीताफल पल्प, दंतेवाड़ा में शहद एवं हल्दी पाउडर, सुकमा, नारायणपुर एवं बीजापुर में मसाला प्रसंस्करण
की स्थापना को लेकर चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री
श्री विष्णु देव साय ने बस्तर के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास पर
विशेष ध्यान देने की बात कही। परिचर्चा के दौरान यह जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री
कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री कौशल योजना, और नियद नेल्ला नार
योजनाओं के तहत अब तक 90 हजार युवाओं को प्रशिक्षित और 40
हजार युवाओं को नियोजित किया गया है। इसके अलावा, बस्तर में 32 नए कौशल विकास केंद्र और सातों जिलों
में आवासीय प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाने की योजना है। इन केंद्रों के माध्यम
से स्थानीय युवाओं को बाजार और उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण देकर रोजगार
से जोड़ा जाएगा। नक्सल पीड़ित परिवारों, आत्मसमर्पित नक्सलियों
और महिलाओं को इन योजनाओं में विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। कौशल प्रशिक्षण के लिए
महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, नंदी, एनएसडीसी
एवं नीति आयोग से अनुबंध किया गया है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत बस्तर
संभाग के सातों जिलों में 6123 लोगों को विभिन्न ट्रेड का
प्रशिक्षण दिया गया है।
मुख्यमंत्री
श्री विष्णु देव साय ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री ने बस्तर दशहरा, जो 75 दिनों तक चलता है, को देशभर में और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने पर बल
दिया। मुख्यमंत्री आगामी पर्यटन सीजन के बीच आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को लेकर
भी योजनाओं की रूपरेखा बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि निजी
क्षेत्र को पर्यटन में भागीदार बनाना जरूरी है। उन्होंने पर्यटन सर्किट विकसित
करने गाइड प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाए, ताकि स्थानीय
युवाओं को रोजगार मिले।
मुख्यमंत्री
श्री साय ने कहा कि चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और प्राचीन गुफाओं जैसे
आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र अद्भुत परिदृश्य और समृद्ध जैव विविधता
प्रदान करता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बस्तर दशहरा को अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर प्रचारित करने के लिए अभी से तैयारी के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि पर्यटक जीवंत जनजातीय गांवों का भ्रमण कर
बस्तर दशहरा जैसे पारंपरिक त्योहारों का अनुभव कर सकते हैं और स्थानीय शिल्प तथा
व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। पर्यटन स्थलों की दृश्यता और सटीकता को बेहतर बनाने
के लिए निजी एजेंसियों के सहयोग से गूगल मैपिंग सेवाओं में सुधार किया जाएगा।
बैठक में
जानकारी दी गई कि नई छत्तीसगढ़ पर्यटन नीति 2025, शीघ्र प्रकाशित की जाएगी। मौजूदा पर्यटन संपत्तियों को
निजी होटल व्यवसायियों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत लीज पर देने की
योजना बनाई जाएगी। तीरथगढ़ जलप्रपात के पास कांच के पुल के निर्माण हेतु चक्रीय
निधि से लगभग 6 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए गए हैं। ग्राम
पेदावाड़ में होमस्टे सह परंपरागत हीलिंग सेंटर के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2025-26
की राज्य योजना मद में लगभग 40 लाख रुपए का
प्रस्ताव रखा गया है।
मुख्यमंत्री
श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने का काम
सरकार कर रही है। नई औद्योगिक नीति में कई विशेष प्रावधान किए गए हैं। बस्तर संभाग
के लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित करना हमारी प्राथमिकता में
शामिल है। वन संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करके हम स्थानीय लोगों की आय को
बढ़ा सकते हैं। यहां से विभिन्न प्रकार के खनिज एवं खाद्यान्न का लगभग 102 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का निर्यात
होता है, जिसमें लौह अयस्क की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि नई औद्योगिक नीति 2024-30 में इस्पात उद्योग के लिए 15 वर्षों तक रॉयल्टी प्रतिपूर्ति का प्रबंध है। आत्मसमर्पित नक्सलियों को
रोजगार देने पर उद्योगों एवं संस्थानों को पांच वर्ष तक उनके वेतन का 40 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। अनुसूचित जाति, जनजाति
और नक्सलवाद प्रभावित लोगों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त
सब्सिडी तथा अनुसूचित जाति, जनजाति और नक्सलवाद प्रभावित
व्यक्तियों द्वारा स्थापित नए एमएसएमई के लिए 25 प्रतिशत तक
सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री
ने जोर देकर कहा कि मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य के साथ बस्तर में
विकास की गति को और तेज किया जाएगा। नई नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित, राहत-पुनर्वास नीति 2025 में कई विशेष प्रावधान किए
गए हैं, ताकि प्रोत्साहन राशि, मुआवजा,
शिक्षा, कौशल विकास और स्वरोजगार के माध्यम से
नक्सल प्रभावित परिवारों और आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा में लाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की परिचर्चा से बस्तर के विकास की एक ठोस कार्ययोजना
तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह कार्ययोजना न केवल बस्तर,
बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के विकास को नई गति प्रदान करेगी। उन्होंने सभी
स्टेकहोल्डर्स से इस दिशा में मिलकर काम करने का आह्वान किया।
जगदलपुर में
आयोजित बस्तर की ओर परिचर्चा में उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, सांसद श्री महेश कश्यप, विधायक श्री किरण सिंह देव,
श्री विनायक गोयल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव
श्री सुबोध कुमार सिंह, सचिव श्री राहुल भगत, संबंधित विभागों के सचिव, बस्तर संभाग के सभी जिलों
के कलेक्टर, कृषि, उद्योग, पर्यटन एवं कौशल विकास से संबंधित संस्थाओं के स्टेकहोल्डर उपस्थित थे।