December 21, 2024


विधानसभा शीतकालीन सत्र : भाजपा विधायक ने उठाया राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि में कमी का मामला, मंत्री ने पिछली सरकार पर साधा निशाना

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक मोतीलाल साहू ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि में कमी का मामला उठाया. मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि राशि कम और ज़्यादा दी गई है. पिछली सरकार ने किसानों को छलने का काम किया. इसके साथ ही सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक शुरू हो गई.

भाजपा विधायक मोतीलाल साहू ने सवाल किया कि 2020-21 के मुक़ाबले 2021-22 में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को राशि कम क्यों दी गई? इस कमी का क्या कारण है? जबकि राशि बढ़नी चाहिए थी. इस पर मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि राशि कम और ज़्यादा दी गई है. राशि में कमी होने का प्रमुख कारण था कि सरकार ने किसानों के मेड़ का रकबा काटा और राशि घटाई. विष्णुदेव सरकार किसान हितैषी है. किसानों के बारे में बोलने का इनका मुँह नहीं है.

विधायक साहू ने कहा कि किसानों की संख्या बढ़ी थी फिर भी रक़बा काटकर राशि कम दी गई थी. अटल श्रीवास्तव ने सवाल किया कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की आख़िरी किश्त कब देंगे? इस पर नेताम ने कहा कि एक साल के भीतर 17 हज़ार करोड़ रुपये किसानों को दिया गया है. इसीलिए ऑटो मोबाइल सेक्टर में बूम है.

प्रश्नकाल के दौरान आदिम जाति के आश्रम/छात्रावासों में बच्चों की मौत का मामला कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल ने उठाया. उन्होंने सवाल किया कि आदिम जाति विभाग की ओर से संचालित आश्रम/छात्रावास में बच्चों की मौत हो रही है. आदिवासी बच्चों की मौत हो रही है, और सरकार सुशासन की बात करती है, जबकि आदिवासी की सरकार होने की बात की जाती है.

आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने जवाब में एक साल में आश्रम/छात्रावास के 11 बच्चों के मौत की जानकारी देते हुए कहा कि आश्रम, छात्रावासों में स्वास्थ्य और अन्य जाँच के निर्देश दिए गए हैं.मंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त भी किसी सदस्य को जानकारी है तो दें, जाँच करवा लेंगे. आदिवासी का बेटा मुख्यमंत्री है. आपने जो बिगाड़ा है, हम उसे बना रहे हैं. हमारी सरकार ने कहीं भी शिकायत आने पर तुरंत कार्रवाई की है. आपके समय में 25 हज़ार बच्चों की मौत हुई थी, उन क्षेत्रों में ये राज्यभर में जानकारी आई है, इसलिए आरोप-प्रत्यारोप न लगाएं.


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