रायपुर : आचार सहिंता की अवधि समाप्त
होने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य के विकास की
गति तेज करने के लिए आज से विभिन्न विभागों की मैराथन समीक्षा बैठकें लेनी शुरू कर
दी। आज उन्होंने कृषि से संबंधित विभागों से इसकी शुरूआत करते हुए अधिकरियों से
उनकी तैयारियों के संबंध में जानकारी ली और खेती किसानी से जुड़े स्वयं के
व्यवहारिक अनुभवों को भी साझा किया। श्री साय स्वयं भी कृषक है और उनका परिवार
अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से खेती किसानी पर ही निर्भर रहा है। मुख्यमंत्री
ने कहा कि अच्छे परिणाम के लिए पूरी पारदर्शिता और तत्परता के साथ काम किया जाना
अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि
हमें इस तरह के कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, जो
किसानों को उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करें। परंपरागत खेती में हर
आवश्यक सहायता उन तक तत्परता से पहुंचाने के साथ-साथ आधुनिक खेती और देश भर में हो
रहे नवाचारों से भी उन्हें अवगत कराने की आवश्यकता है। राजधानी रायपुर स्थित अपने
निवास कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठकों में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित
किया जाना जरूरी है कि किसानों, पशुपालकों और दुग्ध
उत्पादकों की आय में बढ़ोत्तरी हो।
अधिकारियों को अपने अनुभव बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा काल में
पशुओं को होने वाली बिमारियों की रोकथाम के लिए मुस्तैदी के साथ काम किया जाना
आवश्यक है। श्री साय ने पशुधन विकास विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य
सहकारी दुग्ध महासंघ और मछली पालन विभाग के कार्यो की गहन समीक्षा की। उन्होंने
कहा कि पशुपालन, मछली पालन एवं दुग्ध उत्पादन जैसे व्यवसाय
किसानों और पशुपालकों के आय का बड़ा स्त्रोत हैं, इनसे जुड़ी
योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से निश्चित रूप से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी
होगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने पशुधन विकास विभाग की समीक्षा के दौरान के कहा कि
प्रदेश में गौवंश की रक्षा और संवर्धन के लिए सभी संभागों के एक-एक जिले में गौ
अभ्यारण्य की स्थापना की जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने
पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों से प्रदेश में पशुधनों की संख्या और वार्षिक
दुग्ध, अंडा एवं मांस उत्पादन एवं उपलब्धता
की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति अंडा, दुग्ध और मांस की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने जरूरी कदम
उठाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने वर्षा काल में पशुओं को संक्रामक बिमारियों
से बचाने के लिए व्यापक स्तर पर टीकाकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने पशुओं के
नस्ल सुधार के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी बल दिया। साथ
ही पशुधन विभाग की राज्य और केन्द्र के प्रवर्तित योजनाओं का लाभ भी अधिक से अधिक
पशुपालकों तक पहुंचाने को कहा। पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों ने विभाग की आगामी
कार्ययोजना और लक्ष्यों के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने
छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ के कार्यो की समीक्षा करते हुए कहा कि दूध और
दुग्ध उत्पादों की बिक्री एवं दूध उत्पादन करने वाले किसानों की आमदनी बढ़ाने के
लिए समुचित उपाए किए जाएं। उन्होंने दुग्ध महासंघ के ब्रांड देवभोग की बिक्री और
आमदनी बढ़ाने के लिए आउटलेट की संख्या में वृद्धि और अन्य विकल्पों के लिए भारतीय
प्रबंध संस्थान से विस्तृत अध्ययन कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए
अच्छी मार्केटिंग और ब्रांडिंग जैसी व्यवसायिक पद्धतियों का सहारा भी लिया जाए।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को प्रोसेस फ्लो चार्ट के माध्यम से दुग्ध संकलन से
लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने तक की पूरी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी। इसके बाद
मुख्यमंत्री ने मछलीपालन विभाग के अधिकारियों के साथ विभागीय कार्यो एवं योजनाओं
की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं का व्यापक
प्रचार-प्रसार करें और ग्रामीण इलाकों में किसानों को जानकारी एवं प्रशिक्षण देें।
साय ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि शासन
की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से तालाबों का निर्माण कराया जाता है और गर्मियों
में तालाब सूखने के कारण अनुपयोगी हो जाते हैं। ऐसे किसानों को चिन्हित कर इन
तालाबों में पानी की आपूर्ति के लिए सोलर पंप की व्यवस्था की जाए ताकि सभी मौसमों
में मछली पालन किया जा सके। मुख्यमंत्री श्री साय ने मछली उत्पादन के लिए केज
कल्चर जैसे बॉयोफ्लाक जैसे नवाचारों का बढ़ावा देने और किसानों को प्रशिक्षित करने
के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन,
कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार, मुख्यमंत्री
के सचिव पी. दयानंद, डॉ. बसव राजु एस और श्री राहुल भगत,
संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. प्रियंका शुक्ला, सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहें।