रायपुर| छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के इस्तीफे पर बवाल जारी रहा, प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, पंचायत विभाग का प्रश्न है और पंचायत मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। सिंहदेव के विभाग के सवाल पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर जवाब देने खड़े हुए तो भाजपा विधायकों ने आपत्ति की वहां से मामला संभला तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना पर सवाल उठाए। उनका कहना था, इसी प्रश्न की वजह से सिंहदेव को इस्तीफा देना पड़ा है। इस प्रश्न पर खूब हंगामा हुआ। उसके बाद भाजपा ने सदन से वॉक आउट किया। प्रश्नकाल में दूसरा ही प्रश्न स्वास्थ्य विभाग से आया। भाजपा के रजनीश सिंह के सवाल पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर जवाब देने खड़े हुए तो भाजपा विधायकों ने आपत्ति की। अजय चंद्राकर ने कहा, मंत्री इस्तीफा दे चुके तो क्या विभाग की जिम्मेदारी दी है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, मंत्री नहीं हैं। उनकी जगह पर उन्होंने अधिकृत किया है। अजय चंद्राकर ने पूछा जो व्यक्ति इस्तीफा दे चुका वह अधिकृत कैसे कर सकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, मुख्यमंत्री ने अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। ऐसे में वे अब भी मंत्री हैं। रविंद्र चौबे ने कहा कि मंत्री ने अपने पत्र में इस्तीफा शब्द का उपयोग किया ही नहीं है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि इस मामले का निपटारा होना चाहिए, मुख्यमंत्री भी यहां हैं। उनका जवाब आना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल में व्यवस्था संबंधी कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता, बाद में प्रश्नकाल शुरू हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पूछा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक कितने आवास स्वीकृत हुए थे और कितनों में काम पूरा हो गया। रमन सिंह ने कहा कि उनके यह प्रश्न लगाने के बाद ही मंत्री को दुखी होकर इस्तीफा देना पड़ा। मंत्री ने अपने पत्र में खुद स्वीकार किया है कि इस सरकार के कार्यकाल में एक ही घर नहीं बना। यह सरकार का सबसे बड़ा फेल्योर है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, इसमें संशोधन कर लीजिए। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। रमन सिंह ने केंद्र सरकार से आए पत्रों का बंडल लहराते हुए कहा कि इसमें बार-बार आवास योजना की अनदेखी के बारे में चेताया गया। किसी पत्राचार का जवाब तक नहीं दिया गया। अंत में केंद्र सरकार ने पैसा वापस ले लिया। कोई मकान नहीं बना। आपके समय का 35 हजार आवास अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है। इस सवाल पर बवाल होता रहा, बाद में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, 2019-20 के आवास निर्माण के लिए फरवरी 2022 की मंत्रिपरिषद की बैठक में 762 करोड़ का ऋण लेने का प्रस्ताव मंजूर हुआ। पंजाब नेशनल बैंक ने इसमें रुचि दिखाई। तभी रिजर्व बैंक ने उस पर रोक लगा दी। रिजर्व बैंक का कहना था कि ऋण लेने वाली बॉडी को अपने स्रोतों से कर्ज की भरपाई करने लायक होना चाहिए। अब ग्रामीण आवास की बॉडी के पास आय का ऐसा कोई स्रोत तो है नहीं। स्टेट बजट से देने पर मनाही है। तो फिर यह कर्ज नहीं मिल पाया। वन मंत्री ने कहा, भारत सरकार हमारे जीएसटी और दूसरी मदों का पैसा देती नहीं है। इस तरह का अडंगा लगाती है। उसको तो आप लोग कुछ कहते नहीं हैं। प्रश्नकाल में भाजपा विधायक नारायण चंदेल ने सरकारी दुकानों से नकली शराब बिकने का मामला उठाया। उन्होंने कहा, पियक्कड़ों का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला था। उन लोगों ने कहा, शराब पिकअप नहीं पकड़ रही है। मंत्री कवासी लखमा ने बताया, जांजगीर-चांपा में एक शिकायत मिली थी वहां कार्यवाही हुई है। आबकारी विभाग के सब इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया है। रायगढ़ में भी पांच शिकायतें थीं। वहां प्लेसमेंट एजेंसी को हटा दिया गया है। वहां भी इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को निलंबित किया गया है। वहां आबकारी अधिकारी को शो काज नोटिस दिया गया है। अगर संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो उनपर भी कार्रवाई होगी। विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा, शराब में मिलावट की शिकायत की जांच की क्या व्यवस्था है। किस स्तर का अधिकारी जांच करता है। आबकारी मंत्री की जगह मोहम्मद अकबर ने बताया, विभाग के पास इसकी जांच के लिए प्रयोगशाला है। वहीं हाइड्रोमीटर की मदद से मौके पर भी जांच की जाती है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह के सवाल पर मोहम्मद अकबर ने बताया, मंत्रिपरिषद के आदेश पर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को झारखंड के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया गया है। इसके बाद सदन में हंगामा हुआ। कहा गया कि वहां क्या सलाह देगी। सरकार क्या अब देश भर में शराब बिक्री की भी विशेषज्ञ हो गई है। धर्मजीत सिंह ने पूछा कि इसके लिए झारखंड सरकार ने मांग की थी या छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी ओर से ही उनको प्रस्ताव दिया था। जवाब में बताया गया, झारखंड सरकार के अधिकारी यहां की व्यवस्था देखने आए थे। उसके बाद झारखंड सरकार की ओर से इसकी मांग आई। कैबिनेट में विचार के बाद इसको मंजूरी दी गई। उसके बाद आबकारी विभाग ने अफसरों को कंसल्टेंट नियुक्त किया है।