रायपुर| इंदिरा गांधी कृषि
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कृषि एवं लघु
वनोपज आधारित र्स्टाटअप्स स्थापित करने की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कृषि
विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं अन्य युवाओं से आव्हान किया कि वे कृषि एवं
लघु वनोपज उत्पादों तथा न्यूट्री केयर उत्पादों पर आधारित र्स्टाटअप्स लगाने के
लिए आगे आएं तथा छत्तीसगढ़ और भारत के विकास में सहभागी बने। डॉ. चंदेल ने खाद्य
प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर आधारित र्स्टाटअप्स को बढ़ावा देने की जरूरत जताई।
उन्होंने कहा कि महाविद्यालयीन शिक्षा के दौरान विद्यार्थियों को उद्यमिता विकास
के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। डॉ. चंदेल आज यहां इंदिरा गांधी कृषि
विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के सहयोग से संचालित एग्री
बिजनेस इन्क्यूबेशन कार्यक्रम के चौथे चरण अभिनव 4.0 तथा उद्भव 4.0 की शुभारंभ समारोह में यह बातें
कहीं। आईजीकेवी राबी कार्यक्रम के तहत अब तक 189 स्टार्टअप्स का पंजीयन किया गया
है और 63 स्टार्टअप्स को 5.79 करोड़ रूपये की वित्तीय मदद उपलब्ध कराई गई है।
इस अवसर पर डॉ. चंदेल ने युवा उद्यमियों को संबोधित करते हुए
कहा कि वे उत्पाद आधारित स्टार्टअप्स को प्राथमिकता दें जिससे की राज्य में
उत्पादन एवं रोजगार को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ से कृषि एवं लघु
वनोपज उत्पादों के निर्यात की भी काफी संभावनाएं हैं। देश के कुल चावल निर्यात में
पांच प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ से निर्यात होता है। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ से 17 हजार मिट्रिक टन कनकी चावल चीन
को निर्यात किया गया है। डॉ. चंदेल ने कहा की इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में
फायटोसेनेटरी प्रयोगशाला स्थापित होने से उत्पादों को विदेश निर्यात करने के लिए
आवश्यक प्रमाणीकरण की सुविधा अब यही उपलब्ध हो गई है जिससे निर्यात को बढ़ावा
मिलेगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण
विकास बैंक (नाबार्ड) की मुख्य महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ सुश्री सुपर्णा टण्डन ने कहा
कि उनका बैंक छत्तीसगढ़ में कृषि विकास एवं किसानों की बेहतरी के लिए निरंतर
प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि उद्यमिता विकास की व्यापक
संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में काफी युवा नये स्टार्टअप्स शुरू करने के लिए आगे
आ रहे हैं। उन्होंने कहा की भारत में पिछले 10 सालों में स्टार्टअप्स के लिए
अनुकूल वातावरण बना है और आज दुनिया में शुरू होने वाले हर 9 नये स्टार्टअप्स में एक
स्टार्टअप भारत में स्थापित होता है। सुश्री टण्डन ने कहा कि नाबार्ड इंदिरा गांधी
कृषि विश्वविद्यालय के साथ दीर्घकालीन साझा कार्यक्रम संचालित करना चाहता है।
जिसमें कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग दिया जायेगा तथा
वित्तीय मदद नाबार्ड द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
आईजीकेवी राबी कृषि व्यवसाय उद्यमिता कार्यक्रम के मुख्य कार्यपालन
अधिकारी डॉ. हुलास पाठक ने इस अवसर पर कार्यक्रम के तहत विगत तीन वर्षाें में किये
गये प्रयासों एवं उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विगत
दिनों बंगलुरू में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के समारोह में आईजीकेवी राबी को देश के
सर्वश्रेष्ठ स्टार्टअप इन्क्यूबेशन कार्यक्रम के रूप में सम्मानित किया गया है।
समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. पी.के.
चंन्द्राकर, संचालक
अनुसंधान सेवाएं डॉ. वी.के. त्रिपाठी, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, रायपुर डॉ. के.एल. नंदेहा, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय
के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय, नाबार्ड के महाप्रबंधक श्री सुरेन्द्र बाबू सहित कृषि विश्वविद्यालय
के अनेक विभागाध्यक्ष तथा उद्यमिता विकास कार्यक्रम हेतु चयनित युवा उद्यमी
उपस्थित थे।